Aaj Samaj (आज समाज), Arya Samaj Bohar, रोहतक,10 सितम्बर :
आर्यसमाज बोहर में पं. बस्तीराम आर्योपदेशक जी का स्मृति दिवस मनाया गया। इस अवसर पर उनकी दुर्लभपुस्तक आत्मकथा का सैंकड़ों आर्य जनों की उपस्थिति में आर्य समाज बोहर ने विमोचन किया गया। कार्यक्रम का शुभारम्भ यज्ञ द्वारा किया गया। यज्ञ ब्रह्मा आर्य अजय नादंल रहे और यजमान आर्यसमाज बोहर के संरक्षक श्री कृष्ण शास्त्री जी रहे। इसके उपरांत भजनोपदेशक सुशील आर्य रोहतक ने दादा बस्तीराम आर्योपदेशक जी द्वारा रचित भजन-एक दिन जां थे धुन अपनी में सुनाया।
भारत शब्द की निंदा करने पर उदय निधि स्टालिन की आर्य समाज बोहर ने की निंदा : आचार्य बलबीर
दादा बस्तीराम जी ने इस भजन को भारतवर्ष में महर्षि दयानंद द्वारा स्थापित प्रथम गौशाला पर लिखा था व सुशील ने धार लो जनेऊ जाटों धर्म है तुम्हारा सुनाया व समाज में बढ़ रही बुराइयों पर चोट करते हुए तथा महिलाओं को सजग करते हुए मास्टर अजीत मलिक भैंसवाल कलां ने आज संसार अदल बदल में है सुनाया तथा सभी श्रोताओं का मनमोह लिया। बहन दयावती आर्या ने दादा बस्तीराम द्वारा लिखित भजन हे मेरी बहनों पति अपने की सेवा में लगी रहो वेद में यही बताई बात को सुनाया।
इस अवसर पर मंच संचालक कृष्ण देव शास्त्री ने कहा कि आज भारतवर्ष में रहकर कुछ साउथ के उदय निधि स्टालिन जैसे लोग धर्म पर उंगली उठा रहे है उन्हें पता ही नहीं है कि जिस धर्म के नाम में ही सनातन है अर्थात जो सदा से है व सदा रहने वाला है, उस पर उदय निधि स्टालिन जैसे लोगों का प्रयास केवल प्रमाद जन्य है। ऐसे लोगों की आर्य समाज बोहर निंदा करता है एवं केंद्र सरकार व सुप्रीम कोर्ट से आशा करता है कि इस प्रकार के लोगों पर कड़ी से कड़ी कानूनी कार्यवाही की जाए और वहां उपस्थित सभी लोगों ने इस बात का समर्थन किया।
कार्यक्रम में आमंत्रित डॉक्टर बलबीर शास्त्री ने दादा बस्तीराम जी के जीवन पर प्रकाश डाला और उन्होंने कहा कि वो हरियाणा के संत कवि थे। सहदेव समर्पित ने बताया कि भजनोपदेशकों ने अपने तप और त्याग से समाज में फैली कुरीतियों का खंडन किया और नव जागरण में मुख्य भूमिका निभाई व आचार्य अभय आर्य गुरूकुल सिंहपुरा ने दादा बस्तीराम के संस्मरण सुनाते हुए आर्यसमाज के प्रचार प्रसार व पाखंड खंडन के लिए अधिक कार्य करने का आह्वान किया।
अंत में आर्यसमाज बोहर के अधिकारियों की तरफ से अतिथियों को स्मृति चिन्ह एवं साहित्य भेंट किया गया।
इस दौरान आर्यसमाज बोहर के प्रधान धनीराम आर्य, मनफूल मोहन पहलवान, डॉक्टर रूपेश आर्य, ललित आर्य, राजरानी आर्य, प्रीतम भारत बहादुरगढ़, चौधरी सूरजभान सिंधु, सुखबीर सिंह दहिया, रणवीर शास्त्री, बलदेव शास्त्री, राजेंद्र शास्त्री, अजमेर आर्य, आर्य मंजीत नांदल, विशाल आर्य, रविन्द्र आर्य, बहन दयावती आर्या, अमित सिवाहा, रूपेन्द्र आर्य लूखी, राज आनंद गौत्तम गन्नौर,मास्टर देवराज नांदल, प्रेम नांदल, अरूण आर्य आदि सैकड़ों की संख्या में आर्यजन उपस्थित रहे।
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