Art of Living Teacher Neeraj Gupta : सांसो पर नियंत्रण से मन पर नियंत्रण पाया जा सकता हैं : नीरज गुप्ता

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Art of Living Teacher Neeraj Gupta
Shri Shri Ravishankar
Aaj Samaj (आज समाज),Art of Living Teacher Neeraj Gupta, पानीपत :  चौधरी चरण सिंह हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय के मानव संसाधन प्रबंधन निदेशालय में चल रहे इंडकशन ट्रेनिंग कोर्स के तहत आर्ट ऑफ लिविंग के शिक्षक एवं स्टेट मीडिया कोऑर्डिनेटर नीरज गुप्ता को नव नियुक्त वैज्ञानिक दल को संबोधित करने के लिए आमंत्रित किया गया। यह जानकारी स्टेट मीडिया कोऑर्डिनेटर कुसुम धीमान पानीपत ने दी। इस ट्रेनिंग कोर्स में चौधरी चरण सिंह हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय, हिसार एवं महाराणा प्रताप बागवानी विश्वविद्यालय, करनाल के कुल 33 वैज्ञानिक भाग ले रहे है। इंडकशन ट्रेनिंग कोर्स की कोऑर्डिनेटर मंजू मेहता ने जानकारी में बताया कि यह ट्रेनिंग 27 जून से 26 जुलाई तक आयोजित की गई हैं, जिसमें प्रतिभागियों को संस्थान के प्रति उनके कर्तव्यों, भूमिकाओं व कार्य-प्रणाली से अवगत कराया जाएगा।
  • हम केवल अपनी ऊर्जा को बढ़ाकर तनाव से निजात पा सकते हैं : नीरज गुप्ता

हम केवल अपनी ऊर्जा को बढ़ाकर तनाव से निजात पा सकते हैं

स्टेट मीडिया कोऑर्डिनेटर कुसुम धीमान ने बताया कि नीरज गुप्ता ने स्ट्रेस एलिमिनेशन पर अपने संबोधन में बताया कि आजकल हमारे जीवन में हम छोटी छोटी बातों से तनाव से ग्रस्त हो जाते है। तनाव लेना तो हमें आता है पर उसे हमारे जीवन से दूर करने का उपाय हमें नहीं आता है। उन्होंने बताया कि जीवन मे तनाव का मुख्य कारण हैं जब हमारे पास करने को बहुत कुछ होता हैं पर समय पर्मयाप्त नहीं होता और ऊर्जा का अभाव होता हैं। हम केवल अपनी ऊर्जा को बढ़ाकर इससे निजात पा सकते हैं। स्टेट मीडिया कोऑर्डिनेटर कुसुम धीमान ने बताया कि नीरज गुप्ता ने अपने संबोधन में बताया कि ऊर्जा के मुख्यतः 4 स्त्रोत है – भोजन, निद्रा, श्वास और योग, प्राणायाम,ध्यान। इन चारों स्त्रोतों पर ध्यान रखकर हम अपनी ऊर्जा को हमेशा नियंत्रण में रख सकते हैं।

मन को हम केवल साँसों से नियंत्रित कर सकते हैं

उन्होंने बताया कि हमारा मन निरंतर भूत काल एवं भविष्य काल में विचरण करता हैं, जिससे हम नाना प्रकार के नकारात्मक भावनाओं से परेशान रहते हैं। जब जब मन वर्तमान में रहता हैं हम सुखी एंव खुश रहते हैं। हमें ऊर्जा प्रदान करने और हमें जीवित रखने के अलावा, मन-शरीर में सांस की महत्वपूर्ण भूमिका होती है। साँस और मन का संबंध है। हमारी प्रत्येक भावना के साथ, हम अलग तरह से साँस लेते हैं। तेजी से साँस लेना अक्सर क्रोध या चिंता का संकेत होता है और एक आह आमतौर पर उदासी का संकेत देती है। जब हम किसी भावना का अनुभव करते हैं, तो हमारा मस्तिष्क स्वचालित रूप से हमारे साँस पद्धति को बदलने का संकेत देता है। नीरज गुप्ता ने आगे बताया कि मन को हम केवल साँसों से नियंत्रित कर सकते हैं, जिसके लिए अभ्यास की आवश्यकता हैं। सभी प्रतिभागियों को लगभग 15 मिनट का ध्यान करवाया गया, जिसके बाद वहाँ मौजूद सभी को गहरी शांति, आनंद एवं ताज़ा ऊर्जा का अनुभव हुआ।