Air Dropping Health Cube, (आज समाज), नई दिल्ली: भारतीय सेना ने लगभग 15,000 फीट की ऊंचाई वाले क्षेत्र में आरोग्य मैत्री हेल्थ क्यूब को सफलतापूर्वक एयर ड्रॉप कर बड़ी उपलब्धि हासिल की है। सेना ने वायुसेना के साथ एक संयुक्त आपरेशन में यह महत्वपूर्ण मुकाम हासिल किया है। बता दें कि आरोग्य मैत्री हेल्थ क्यूब को देश में ही भारत हेल्थ इनीशिएटिव फॉर सहयोग हित और मैत्री (बीएचआईएसएचएम) योजना के तहत विकसित किया गया है।
भारतीय सेना के पैरा ब्रिगेड का कमाल
भारतीय सेना के पैरा ब्रिगेड ने अपने उन्नत सटीक ड्रॉप उपकरणों का उपयोग करके ट्रॉमा केयर क्यूब को एयर ड्रॉप के बाद सफल तैनाती में अहम भूमिका निभाई है। इस आॅपरेशन में सेना की क्षमताओं को रेखांकित किया गया, जिसमें दूरस्थ और ऊंचाई वाले दुर्गम इलाकों में भी प्रभावी ढंग से एचएडीएआर संचालन किया जा सकता है।
वायु सेना ने किया सुपर हरक्यूलिस का उपयोग
वायुसेना ने क्यूब को एयरलिफ्ट करने और सटीक रूप से पैरा-ड्रॉप करने के लिए अपने उन्नत सामरिक परिवहन विमान सी-130जे सुपर हरक्यूलिस का उपयोग किया। आमतौर पर युद्ध या आपात स्थिति में जख्मी हुए जवानों को उपचार के लिए एयर लिफ्ट करना पड़ता है, पर इस आरोग्य मैत्री हेल्थ क्यूब की मदद से युद्धक्षेत्र में ही जवानों को उपचार की सुविधा तैयार की जा सकती है।
दुनिया का पहला पोर्टेबल अस्पताल
बता दें कि आरोग्य मैत्री हेल्थ क्यूब दुनिया का पहला पोर्टेबल अस्पताल है। केरल के तिरुवनंतपुरम स्थित भारतीय कंपनी, एचएलएल लाइफ केयर, आरोग्य मैत्री क्यूब के निर्माण के लिए नोडल एजेंसी है। प्रोजेक्ट भीष्म ( सहयोग हित और मैत्री के लिए भारत स्वास्थ्य पहल ) के तहत इन हेल्थ क्यूब को डिजाइन किया गया है।
मॉड्यूलर आघात प्रबंधन व सहायता प्रणाली 72 मिनी-क्यूब्स से बना है। इसमें एक मिनी-आईसीयू, एक आॅपरेशन थिएटर, खाना पकाने का स्टेशन, पानी, भोजन, एक बिजली जेनरेटर, एक एक्स-रे मशीन और रक्त परीक्षण उपकरण, जैसे चिकित्सा उपकरण व आपूर्ति शामिल है।
यह पोर्टेबल अस्पताल गोली लगने, जलने, सिर, रीढ़ की हड्डी, छाती की चोट, छोटी सर्जरी, फ्रैक्चर व बड़े रक्तस्राव का उपचार कर सकता है। इसमें 200 से ज्यादा रोगियों का इलाज हो सकता है।
ये क्यूब हल्के और पोर्टेबल हैं तथा इन्हें एयरड्रॉप से लेकर ग्राउंड ट्रांसपोर्टेशन तक, कहीं भी तेजी से तैनात किया जा सकता है। इस पोर्टेबल अस्पताल को महज 8 मिनट में तैयार करके इससे मरीजों का इलाज शुरू किया जा सकता है। एक अस्पताल को तैयार करने में करीब डेढ़ करोड़ रुपए की लागत आती है। यह पोर्टेबल अस्पताल हवाई रूट के जरिए, जमीन से अथवा समुद्र के रास्ते कहीं भी भेजा जा सकता है।