*** || जय श्री राधे ||***
***महर्षि पाराशर पंचांग ***
*** अथ पंचांगम् ***
****ll जय श्री राधे ll****
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दिनाँक:- 27/04/2022, बुधवार
द्वादशी, कृष्ण पक्ष
वैशाख
*** *** *** *** *** *** *** (समाप्तिकाल)
*** दैनिक राशिफल ***
देशे ग्रामे गृहे युद्धे सेवायां व्यवहारके।
नामराशेः प्रधानत्वं जन्मराशिं न चिन्तयेत्।।
विवाहे सर्वमाङ्गल्ये यात्रायां ग्रहगोचरे।
जन्मराशेः प्रधानत्वं नामराशिं न चिन्तयेत ।।
मेष
आज आपको अपने व्यवहार में संयम बनाए रखना होगा,क्योंकि आपके परिवार के कुछ सदस्य आपके व्यवहार से परेशान रहेंगे,जिसके बाद आपका अपने भाइयों से वाद विवाद खड़ा हो सकता है,लेकिन पिछली कुछ समस्याओं को आप अपने पिताजी की मदद से भी समझाने में सफल रहेंगे। नई योजना बनेगी। कार्यप्रणाली में सुधार होगा। सामजिक कार्य करने की इच्छा जागृत होगी। प्रतिष्ठा वृद्धि होगी। सुख के साधन जुटेंगे। नौकरी में वर्चस्व स्थापित होगा। आय के स्रोत बढ़ सकते हैं। व्यवसाय लाभप्रद रहेगा। निवेश शुभ रहेगा। घर-बाहर सहयोग व प्रसन्नता में वृद्धि होगी। बिजनेस करने वाले लोगों को अत्यधिक धन का निवेश करने से अलर्ट रहना होगा, नहीं तो उनका धन सकता है। आप जीवनसाथी को कहीं घुमाने फिराने लेकर जाएंगे,जिससे आपको भी मानसिक शांति मिलेगी और आप अपनी कुछ समस्याओं को भी उनसे साझा करेंगे
तिथि——— द्वादशी 24:23:06 तक
पक्ष———————— कृष्ण
नक्षत्र—–पूर्वाभाद्रपदा 17:03:58
योग————- ऐन्द्र 17:34:46
करण———- कौलव 12:31:56
करण———- तैतुल 24:23:06
वार———————- बुधवार
माह——————— वैशाख
चन्द्र राशि—– कुम्भ 10:59:21
चन्द्र राशि—————— मीन
सूर्य राशि—————— मेष
रितु————————-वसंत
सायन———————- ग्रीष्म
आयन—————— उत्तरायण
संवत्सर———————- नल
संवत्सर (उत्तर) ——————राक्षस
विक्रम संवत————— 2079
विक्रम संवत (कर्तक)———-2078
शाका संवत—————-1944
वृन्दावन
सूर्योदय————— 05:44:49
सूर्यास्त—————- 18:49:15
दिन काल————- 13:04:25
रात्री काल————- 10:54:42
चंद्रास्त—————- 15:41:34
चंद्रोदय————— 28:19:50
लग्न—- मेष 12°34′ , 12°34′
सूर्य नक्षत्र—————– अश्विनी
चन्द्र नक्षत्र————- पूर्वाभाद्रपदा
नक्षत्र पाया——————– ताम्र
*** पद, चरण ***
दा—- पूर्वाभाद्रपदा 10:59:21
दी—- पूर्वाभाद्रपदा 17:03:58
दू—- उत्तराभाद्रपदा 23:10:13
थ—- उत्तराभाद्रपदा 29:18:07
*** ग्रह गोचर ***
ग्रह =राशी , अंश ,नक्षत्र, पद
==========================
सूर्य=मीन 12:12 अश्विनी , 4 ता
चन्द्र =कुम्भ 27°23 , ki, 3 सी
बुध =मेष 02 ° 07′ कृतिका ‘ 2 ई
शुक्र=कुम्भ 29°05, पू o भा o ‘ 3 दा
मंगल=कुम्भ 14°30 ‘ शतभिषा’ 3 सी
गुरु=मीन 02°30 ‘ पू o भा o, 4 दी
शनि=मकर 29°33 ‘ धनिष्ठा ‘ 2 गी
राहू=(व)वृषभ 29°20’ कृतिका , 1 अ
केतु=(व) तुला 29°20 विशाखा , 3 ते
*** मुहूर्त प्रकरण ***
राहू काल 12:17 – 13:55 अशुभ
यम घंटा 07:23 – 09:01 अशुभ
गुली काल 10:39 – 12:17 अशुभ
अभिजित 11:51 -12:43 अशुभ
दूर मुहूर्त 11:51 – 12:43 अशुभ
पंचक अहोरात्र अशुभ
चोघडिया, दिन
लाभ 05:45 – 07:23 शुभ
अमृत 07:23 – 09:01 शुभ
काल 09:01 – 10:39 अशुभ
शुभ 10:39 – 12:17 शुभ
रोग 12:17 – 13:55 अशुभ
उद्वेग 13:55 – 15:33 अशुभ
चर 15:33 – 17:11 शुभ
लाभ 17:11 – 18:49 शुभ
चोघडिया, रात
उद्वेग 18:49 – 20:11 अशुभ
शुभ 20:11 – 21:33 शुभ
अमृत 21:33 – 22:55 शुभ
चर 22:55 – 24:17* शुभ
रोग 24:17* – 25:38* अशुभ
काल 25:38* – 27:00* अशुभ
लाभ 27:00* – 28:22* शुभ
उद्वेग 28:22* – 29:44* अशुभ
होरा, दिन
बुध 05:45 – 06:50
चन्द्र 06:50 – 07:56
शनि 07:56 – 09:01
बृहस्पति 09:01 – 10:06
मंगल 10:06 – 11:12
सूर्य 11:12 – 12:17
शुक्र 12:17 – 13:22
बुध 13:22 – 14:28
चन्द्र 14:28 – 15:33
शनि 15:33 – 16:39
बृहस्पति 16:39 – 17:44
मंगल 17:44 – 18:49
होरा, रात
सूर्य 18:49 – 19:44
शुक्र 19:44 – 20:38
बुध 20:38 – 21:33
चन्द्र 21:33 – 22:27
शनि 22:27 – 23:22
बृहस्पति 23:22 – 24:17
मंगल 24:17* – 25:11
सूर्य 25:11* – 26:06
शुक्र 26:06* – 27:00
बुध 27:00* – 27:55
चन्द्र 27:55* – 28:49
शनि 28:49* – 29:44
*** उदयलग्न प्रवेशकाल ***
मेष > 04:16 से 06:05 तक
वृषभ > 06:05 से 07:58 तक
मिथुन > 07:58 से 10:11 तक
कर्क > 10:11 से 12:28 तक
सिंह > 12:28 से 14:40 तक
कन्या > 14:40 से 06:52 तक
तुला > 06:52 से 07:07 तक
वृश्चिक > 07:07 से 09:23 तक
धनु > 09:23 से 23:24 तक
मकर > 23:24 से 01:14 तक
कुम्भ > 01:14 से 02:48 तक
मीन > 02:48 से 04:16 तक
विभिन्न शहरों का रेखांतर (समय)संस्कार
(लगभग-वास्तविक समय के समीप)
दिल्ली +10मिनट——— जोधपुर -6 मिनट
जयपुर +5 मिनट—— अहमदाबाद-8 मिनट
कोटा +5 मिनट———— मुंबई-7 मिनट
लखनऊ +25 मिनट——–बीकानेर-5 मिनट
कोलकाता +54—–जैसलमेर -15 मिनट
नोट– दिन और रात्रि के चौघड़िया का आरंभ क्रमशः सूर्योदय और सूर्यास्त से होता है।
प्रत्येक चौघड़िए की अवधि डेढ़ घंटा होती है।
चर में चक्र चलाइये , उद्वेगे थलगार ।
शुभ में स्त्री श्रृंगार करे,लाभ में करो व्यापार ॥
रोग में रोगी स्नान करे ,काल करो भण्डार ।
अमृत में काम सभी करो , सहाय करो कर्तार ॥
अर्थात- चर में वाहन,मशीन आदि कार्य करें ।
उद्वेग में भूमि सम्बंधित एवं स्थायी कार्य करें ।
शुभ में स्त्री श्रृंगार ,सगाई व चूड़ा पहनना आदि कार्य करें ।
लाभ में व्यापार करें ।
रोग में जब रोगी रोग मुक्त हो जाय तो स्नान करें ।
काल में धन संग्रह करने पर धन वृद्धि होती है ।
अमृत में सभी शुभ कार्य करें ।
दिशा शूल ज्ञान————-उत्तर
परिहार-: आवश्यकतानुसार यदि यात्रा करनी हो तो पान अथवा काजू खाके यात्रा कर सकते है l
इस मंत्र का उच्चारण करें-:
शीघ्र गौतम गच्छत्वं ग्रामेषु नगरेषु च l
भोजनं वसनं यानं मार्गं मे परिकल्पय: ll
अग्नि वास ज्ञान -:
यात्रा विवाह व्रत गोचरेषु,
चोलोपनिताद्यखिलव्रतेषु ।
दुर्गाविधानेषु सुत प्रसूतौ,
नैवाग्नि चक्रं परिचिन्तनियं ।। महारुद्र व्रतेSमायां ग्रसतेन्द्वर्कास्त राहुणाम्
नित्यनैमित्यके कार्ये अग्निचक्रं न दर्शायेत् ।।
15 + 12 + 4 + 1 = 32 ÷ 4 = 0 शेष
मृत्यु लोक पर अग्नि वास हवन के लिए शुभ कारक है l
*** ग्रह मुख आहुति ज्ञान ***
सूर्य नक्षत्र से अगले 3 नक्षत्र गणना के आधार पर क्रमानुसार सूर्य , बुध , शुक्र , शनि , चन्द्र , मंगल , गुरु , राहु केतु आहुति जानें । शुभ ग्रह की आहुति हवनादि कृत्य शुभपद होता है
राहु ग्रह मुखहुति
शिव वास एवं फल -:
27 + 27 + 5 = 59 ÷ 7 = 3 शेष
वृषभारूढ़ = शुभ कारक
भद्रा वास एवं फल -:
स्वर्गे भद्रा धनं धान्यं ,पाताले च धनागम:।
मृत्युलोके यदा भद्रा सर्वकार्य विनाशिनी।।
*** विशेष जानकारी ***
* एकादशी व्रत निंबार्क
* श्रीसेन जयन्ती
* पंचक अहोरात्र
*** शुभ विचार ***
आप्तद्वेषाद्भवैन्मृत्युः परद्वेषाध्दनक्षयः ।
राजद्वेषाद्भवेन्नशो ब्रह्मद्वेषात्कुलक्षयः ।।
।। चा o नी o।।
अपने निकट संबंधियों का अपमान करने से जान जाती है.
दुसरो का अपमान करने से दौलत जाती है.
राजा का अपमान करने से सब कुछ जाता है.
एक ब्राह्मण का अपमान करने से कुल का नाश हो जाता है.
*** सुभाषितानि ***
गीता -: पुरुषोत्तमयोग अo-15
ममैवांशो जीवलोके जीवभूतः सनातनः ।,
मनः षष्ठानीन्द्रियाणि प्रकृतिस्थानि कर्षति ॥,
इस देह में यह जीवात्मा मेरा ही सनातन अंश है (जैसे विभागरहित स्थित हुआ भी महाकाश घटों में पृथक-पृथक की भाँति प्रतीत होता है, वैसे ही सब भूतों में एकीरूप से स्थित हुआ भी परमात्मा पृथक-पृथक की भाँति प्रतीत होता है, इसी से देह में स्थित जीवात्मा को भगवान ने अपना ‘सनातन अंश’ कहा है) और वही इन प्रकृति में स्थित मन और पाँचों इन्द्रियों को आकर्षित करता है॥,7॥,
*** आपका दिन मंगलमय हो ***
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आचार्य नीरज पाराशर (वृन्दावन)
(व्याकरण,ज्योतिष,एवं पुराणाचार्य)
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