24 अप्रैल 2022 राशिफल
*** *** *** *** *** *** *** ***
***|| जय श्री राधे ||***
*** महर्षि पाराशर पंचांग ***
*** अथ पंचांगम् ***
****ll जय श्री राधे ll****
*** *** *** *** *** *** ***
दिनाँक:-24/04/2022, रविवार
नवमी, कृष्ण पक्ष
चैत्र
*** *** *** *** *** *** *** *** *** (समाप्ति काल)
*** दैनिक राशिफल ***
देशे ग्रामे गृहे युद्धे सेवायां व्यवहारके।
नामराशेः प्रधानत्वं जन्मराशिं न चिन्तयेत्।।
विवाहे सर्वमाङ्गल्ये यात्रायां ग्रहगोचरे।
जन्मराशेः प्रधानत्वं नामराशिं न चिन्तयेत ।।
मेष
आज का दिन आपके लिए कुछ परेशानियों भरा रहेगा। विद्यार्थियों को मानसिक व बौद्धिक बोझ से छुटकारा मिलता दिख रहा है। कम प्रयास से ही कार्यसिद्धि होगी। लाभ के अवसर हाथ आएंगे। रोजगार में वृद्धि होगी। मित्रों की सहायता कर पाएंगे। सामाजिक प्रतिष्ठा में वृद्धि होगी। व्यापार लाभदायक रहेगा। शेयर मार्केट में सोच-समझकर निवेश करें। कष्ट, भय, चिंता तथा तनाव का वातावरण बन सकता है। कुसगंति से हानि होगी। सायंकाल से लेकर रात्रि तक आपको कोई ऐसी खुशखबरी सुनने को मिलेगी जिसकी प्रतीक्षा आप लंबे समय से कर रहे थे,लेकिन नौकरी से जुड़े जातकों को कार्यक्षेत्र में काम बिल्कुल संभलकर करना होगा, नहीं तो उनके अधिकारी उन्हें नौकरी से निकाल सकते हैं। संतान पक्ष की ओर से भी आपको कोई निराशाजनक समाचार सुनने को मिलेगा। पिताजी के स्वास्थ्य में गिरावट के कारण आप भाग दौड़ में लगे रहेंगे।
तिथि———– नवमी 26:51:56 तक
पक्ष————————- कृष्ण
नक्षत्र———– श्रवण 17:51:09
योग————- शुभ 23:02:14
करण———– तैतुल 15:37:45
करण————– गर 26:51:56
वार———————— रविवार
माह———————— वैशाख
चन्द्र राशि—– मकर 29:28:28
चन्द्र राशि——————- कुम्भ
सूर्य राशि——————— मेष
रितु————————- वसंत
सायन———————– ग्रीष्म
आयन——————–उत्तरायण
संवत्सर———————– नल
संवत्सर (उत्तर)—————– राक्षस
विक्रम संवत————— 2079
विक्रम संवत (कर्तक)——— 2078
शाका संवत—————- 1944
हनुमान जी ने भक्तों से जुड़ा शनिदेव ने दिया था वचन
वृन्दावन
सूर्योदय————— 05:47:30
सूर्यास्त————— 18:47:34
दिन काल————–13:00:04
रात्री काल———— 10:59:01
चंद्रास्त—————- 12:36:51
चंद्रोदय—————- 26:35:47
लग्न—- मेष 9°39′ , 9°39′
सूर्य नक्षत्र——————अश्विनी
चन्द्र नक्षत्र—————— श्रवण
नक्षत्र पाया——————– ताम्र
*** पद, चरण ***
खू—– श्रवण 06:19:16
खे—- श्रवण 12:04:33
खो—- श्रवण 17:51:09
गा—- धनिष्ठा 23:39:07
गी—- धनिष्ठा 29:28:28
जाने श्री दाऊजी मंदिर का इतिहास Know History Of Shri Dauji Temple
*** ग्रह गोचर ***
ग्रह =राशी , अंश ,नक्षत्र, पद
*** *** *** *** *** *** *** *** ***
सूर्य=मीन 09:12 अश्विनी , 3 चो
चन्द्र =मकर 16°23 , श्रवण , 2 खू
बुध =मेष 28 ° 07′ कृतिका ‘ 1 अ
शुक्र=कुम्भ 26°05, पू o भा o ‘ 2 सो
मंगल=कुम्भ 12°30 ‘ शतभिषा’ 2 सा
गुरु=मीन 02°30 ‘ पू o भा o, 4 दी
शनि=मकर 29°33 ‘ धनिष्ठा ‘ 2 गी
राहू=(व)वृषभ 29°30’ कृतिका , 1 अ
केतु=(व) तुला 29°30 विशाखा , 3 ते
दुखों का भंजन करते हैं श्रीदुखभंजन Shreedukhbhanjan Breaks Sorrows
*** मुहूर्त प्रकरण ***
राहू काल 17:10 – 18:48 अशुभ
यम घंटा 12:18 – 13:55 अशुभ
गुली काल 15:33 – 17:10 अशुभ
अभिजित 11:52 -12:44 शुभ
दूर मुहूर्त 17:04 – 17:56 अशुभ
चोघडिया, दिन
उद्वेग 05:48 – 07:25 अशुभ
चर 07:25 – 09:03 शुभ
लाभ 09:03 – 10:40 शुभ
अमृत 10:40 – 12:18 शुभ
काल 12:18 – 13:55 अशुभ
शुभ 13:55 – 15:33 शुभ
रोग 15:33 – 17:10 अशुभ
उद्वेग 17:10 – 18:48 अशुभ
तुरंत प्रसन्न हो जाएंगी मां Mother Pleased Immediately
चोघडिया, रात
शुभ 18:48 – 20:10 शुभ
अमृत 20:10 – 21:32 शुभ
चर 21:32 – 22:55 शुभ
रोग 22:55 – 24:17* अशुभ
काल 24:17* – 25:39* अशुभ
लाभ 25:39* – 27:02* शुभ
उद्वेग 27:02* – 28:24* अशुभ
शुभ 28:24* – 29:47* शुभ
होरा, दिन
सूर्य 05:48 – 06:53
शुक्र 06:53 – 07:58
बुध 07:58 – 09:03
चन्द्र 09:03 – 10:08
शनि 10:08 – 11:13
बृहस्पति 11:13 – 12:18
मंगल 12:18 – 13:23
सूर्य 13:23 – 14:28
शुक्र 14:28 – 15:33
बुध 15:33 – 16:38
चन्द्र 16:38 – 17:43
शनि 17:43 – 18:48
होरा, रात
बृहस्पति 18:48 – 19:42
मंगल 19:42 – 20:37
सूर्य 20:37 – 21:32
शुक्र 21:32 – 22:27
बुध 22:27 – 23:22
चन्द्र 23:22 – 24:17
शनि 24:17* – 25:12
बृहस्पति 25:12* – 26:07
मंगल 26:07* – 27:02
सूर्य 27:02* – 27:57
शुक्र 27:57* – 28:52
बुध 28:52* – 29:47
रोगों से मुक्ति देती है देवी माँ शीतला माता Goddess Sheetla Mata Gives Freedom From Diseases
*** उदयलग्न प्रवेशकाल ***
मेष > 04:24 से 06:13 तक
वृषभ > 06:13 से 08:06 तक
मिथुन > 08:06 से 10:19 तक
कर्क > 10:19 से 12:36 तक
सिंह > 12:36 से 14:48 तक
कन्या > 14:48 से 07:00 तक
तुला > 07:00 से 07:15 तक
वृश्चिक > 07:15 से 09:31 तक
धनु > 09:31 से 23:36 तक
मकर > 23:36 से 01:26 तक
कुम्भ > 01:26 से 02:56 तक
मीन > 02:56 से 04:24 तक
विभिन्न शहरों का रेखांतर (समय)संस्कार
(लगभग-वास्तविक समय के समीप)
दिल्ली +10मिनट——— जोधपुर -6 मिनट
जयपुर +5 मिनट—— अहमदाबाद-8 मिनट
कोटा +5 मिनट———— मुंबई-7 मिनट
लखनऊ +25 मिनट——–बीकानेर-5 मिनट
कोलकाता +54—–जैसलमेर -15 मिनट
नोट– दिन और रात्रि के चौघड़िया का आरंभ क्रमशः सूर्योदय और सूर्यास्त से होता है।
प्रत्येक चौघड़िए की अवधि डेढ़ घंटा होती है।
चर में चक्र चलाइये , उद्वेगे थलगार ।
शुभ में स्त्री श्रृंगार करे,लाभ में करो व्यापार ॥
रोग में रोगी स्नान करे ,काल करो भण्डार ।
अमृत में काम सभी करो , सहाय करो कर्तार ॥
अर्थात- चर में वाहन,मशीन आदि कार्य करें ।
उद्वेग में भूमि सम्बंधित एवं स्थायी कार्य करें ।
शुभ में स्त्री श्रृंगार ,सगाई व चूड़ा पहनना आदि कार्य करें ।
लाभ में व्यापार करें ।
रोग में जब रोगी रोग मुक्त हो जाय तो स्नान करें ।
काल में धन संग्रह करने पर धन वृद्धि होती है ।
अमृत में सभी शुभ कार्य करें ।
दिशा शूल ज्ञान————-पश्चिम
परिहार-: आवश्यकतानुसार यदि यात्रा करनी हो तो घी अथवा चिरौंजी खाके यात्रा कर सकते है l
इस मंत्र का उच्चारण करें-:
शीघ्र गौतम गच्छत्वं ग्रामेषु नगरेषु च l
भोजनं वसनं यानं मार्गं मे परिकल्पय: ll
अग्नि वास ज्ञान -:
यात्रा विवाह व्रत गोचरेषु,
चोलोपनिताद्यखिलव्रतेषु ।
दुर्गाविधानेषु सुत प्रसूतौ,
नैवाग्नि चक्रं परिचिन्तनियं ।। महारुद्र व्रतेSमायां ग्रसतेन्द्वर्कास्त राहुणाम्
नित्यनैमित्यके कार्ये अग्निचक्रं न दर्शायेत् ।।
15 + 9 + 1 + 1 = 26 ÷ 4 = 2 शेष
आकाश लोक पर अग्नि वास हवन के लिए अशुभ कारक है l
*** ग्रह मुख आहुति ज्ञान ***
सूर्य नक्षत्र से अगले 3 नक्षत्र गणना के आधार पर क्रमानुसार सूर्य , बुध , शुक्र , शनि , चन्द्र , मंगल , गुरु , राहु केतु आहुति जानें । शुभ ग्रह की आहुति हवनादि कृत्य शुभपद होता है
राहु ग्रह मुखहुति
शिव वास एवं फल -:
24 + 24 + 5 = 53 ÷ 7 = 4 शेष
सभायां = संताप कारक
भद्रा वास एवं फल -:
स्वर्गे भद्रा धनं धान्यं ,पाताले च धनागम:।
मृत्युलोके यदा भद्रा सर्वकार्य विनाशिनी।।
*** विशेष जानकारी ***
*मानव एकता दिवस
*** शुभ विचार ***
लुब्धानां याचकः शत्रुमूर्खाणां बोधको रिपुः ।
जारस्त्रीणां पतिः शत्रुश्चौराणां चन्द्रमा रिपुः ।।
।। चा o नी o।।
भिखारी यह कंजूस आदमी का दुश्मन है. एक अच्छा सलाहकार एक मुर्ख आदमी का शत्रु है.
वह पत्नी जो पर पुरुष में रूचि रखती है, उसके लिए उसका पति ही उसका शत्रु है.
जो चोर रात को काम करने निकलता है, चन्द्रमा ही उसका शत्रु है.
*** सुभाषितानि ***
गीता -: पुरुषोत्तमयोग अo-15
ततः पदं तत्परिमार्गितव्यं यस्मिन्गता न निवर्तन्ति भूयः ।,
तमेव चाद्यं पुरुषं प्रपद्ये यतः प्रवृत्तिः प्रसृता पुराणी ॥,
उसके पश्चात उस परम-पदरूप परमेश्वर को भलीभाँति खोजना चाहिए, जिसमें गए हुए पुरुष फिर लौटकर संसार में नहीं आते और जिस परमेश्वर से इस पुरातन संसार वृक्ष की प्रवृत्ति विस्तार को प्राप्त हुई है, उसी आदिपुरुष नारायण के मैं शरण हूँ- इस प्रकार दृढ़ निश्चय करके उस परमेश्वर का मनन और निदिध्यासन करना चाहिए॥,4॥,
*** आपका दिन मंगलमय हो ***
*** *** *** *** *** *** ***
आचार्य नीरज पाराशर (वृन्दावन)
(व्याकरण,ज्योतिष,एवं पुराणाचार्य)
पूर्वजो की आत्मा की शांति के लिए फल्गू तीर्थ Falgu Tirtha For Peace Of Souls Of Ancestors