मेष राशिफल 21 सितंबर 2022

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Aries horoscope

***|| जय श्री राधे ||***
🌺🙏 महर्षि पाराशर पंचांग 🙏🌺
🙏🌺🙏 अथ पंचांगम् 🙏🌺🙏
****ll जय श्री राधे ll****
🌺🌺🙏🙏🌺🌺🙏🙏🌺🌺

दिनाँक:- 21/09/2022, बुधवार
एकादशी, कृष्ण पक्ष,
आश्विन
“”””””””””””””””””””””””””””””””””””””””(समाप्ति काल)

💮🚩 दैनिक राशिफल 🚩💮

देशे ग्रामे गृहे युद्धे सेवायां व्यवहारके।
नामराशेः प्रधानत्वं जन्मराशिं न चिन्तयेत्।।
विवाहे सर्वमाङ्गल्ये यात्रायां ग्रहगोचरे।
जन्मराशेः प्रधानत्वं नामराशिं न चिन्तयेत ।।

मेष

आवश्यक निर्णय सोच-समझकर करें। व्यवसाय ठीक चलेगा। नौकरी में कार्यभार रहेगा। थकान हो सकती है। जोखिम व जमानत के कार्य टालें। आय में निश्चितता रहेगी। लेन-देन में जल्दबाजी न करें। पुराना रोग उभर सकता है। दु:खद समाचार की प्राप्ति संभव है। किसी के उकसाने में न आएं। बात बिगड़ सकती है।

तिथि ————एकादशी 23:33:51 तक
पक्ष————————- कृष्ण
नक्षत्र————- पुष्य 23:45:51
योग———— परिघ 09:10:34
करण————- बव 10:32:26
करण———– बालव 23:33:51
वार———————— बुधवार
माह———————– आश्विन
चन्द्र राशि——————– कर्क
सूर्य राशि——————- कन्या
रितु————————–शरद
आयन—————– दक्षिणायण
संवत्सर——————- शुभकृत
संवत्सर (उत्तर)——————— नल
विक्रम संवत————— 2079
गुजराती संवत————– 2078
शक संवत—————— 1944

वृन्दावन
सूर्योदय————— 06:08:11
सूर्यास्त————— 18:15:59
दिन काल————- 12:07:48
रात्री काल————- 11:52:39
चंद्रास्त—————- 15:53:11
चंद्रोदय—————- 26:32:27

लग्न—- कन्या 3°51′ , 153°51′

सूर्य नक्षत्र———- उत्तरा फाल्गुनी
चन्द्र नक्षत्र——————- पुष्य
नक्षत्र पाया——————- रजत

🚩💮🚩पद, चरण 🚩💮🚩

हे—- पुष्य 10:28:12

हो—- पुष्य 17:07:44

ड—- पुष्य 23:45:51

💮🚩💮 ग्रह गोचर 💮🚩💮

ग्रह =राशी , अंश ,नक्षत्र, पद
==========================
सूर्य=सिंह 03 :12 उ o फ़ाo , 3 पा
चन्द्र =मिथन 07 °23, पुष्य , 2 हे
बुध =कन्या 08 ° 34′ उ o फा ‘ 4 पी
शुक्र=सिंह 25°05, पू o फ़ा o ‘ 4 टू
मंगल=वृषभ 22°30 ‘ रोहिणी’ 4 वु
गुरु=मीन 10°30 ‘ उ o भा o, 3 झ
शनि=मकर 25°43 ‘ धनिष्ठा ‘ 1 गा
राहू=(व) मेष 21°30’ भरणी , 3 ले
केतु=(व) तुला 21°30 विशाखा , 1 ती

राहू काल 12:12 – 13:43 अशुभ
यम घंटा 07:39 – 09:10 अशुभ
गुली काल 10:41 – 12:12 अशुभ
अभिजित 11:48 – 12:36 अशुभ
दूर मुहूर्त 11:48 – 12:36 अशुभ
वर्ज्यम 37:50* – 39:35* अशुभ

🚩गंड मूल 23:46 – अहोरात्र अशुभ

💮चोघडिया, दिन
लाभ 06:08 – 07:39 शुभ
अमृत 07:39 – 09:10 शुभ
काल 09:10 – 10:41 अशुभ
शुभ 10:41 – 12:12 शुभ
रोग 12:12 – 13:43 अशुभ
उद्वेग 13:43 – 15:14 अशुभ
चर 15:14 – 16:45 शुभ
लाभ 16:45 – 18:16 शुभ

🚩चोघडिया, रात
उद्वेग 18:16 – 19:45 अशुभ
शुभ 19:45 – 21:14 शुभ
अमृत 21:14 – 22:43 शुभ
चर 22:43 – 24:12* शुभ
रोग 24:12* – 25:41* अशुभ
काल 25:41* – 27:10* अशुभ
लाभ 27:10* – 28:40* शुभ
उद्वेग 28:40* – 30:09* अशुभ

💮होरा, दिन
बुध 06:08 – 07:09
चन्द्र 07:09 – 08:09
शनि 08:09 – 09:10
बृहस्पति 09:10 – 10:11
मंगल 10:11 – 11:11
सूर्य 11:11 – 12:12
शुक्र 12:12 – 13:13
बुध 13:13 – 14:13
चन्द्र 14:13 – 15:14
शनि 15:14 – 16:15
बृहस्पति 16:15 – 17:15
मंगल 17:15 – 18:16

🚩होरा, रात
सूर्य 18:16 – 19:15
शुक्र 19:15 – 20:15
बुध 20:15 – 21:14
चन्द्र 21:14 – 22:14
शनि 22:14 – 23:13
बृहस्पति 23:13 – 24:12
मंगल 24:12* – 25:12
सूर्य 25:12* – 26:11
शुक्र 26:11* – 27:10
बुध 27:10* – 28:10
चन्द्र 28:10* – 29:09
शनि 29:09* – 30:09

🚩💮 उदयलग्न प्रवेशकाल 💮🚩

कन्या > 04:49 से 07:12 तक
तुला > 07:12 से 09:18 तक
वृश्चिक > 09:18 से 11:34 तक
धनु > 11:44 से 14:00 तक
मकर > 14:00 से 15:42 तक
कुम्भ > 15:42 से 17:10 तक
मीन > 17:10 से 17:44 तक
मेष > 17:44 से 19:18 तक
वृषभ > 19:18 से 22:04 तक
कर्क > 01:04 से 02:34 तक
सिंह > 02:34 से 04:55 तक

🚩विभिन्न शहरों का रेखांतर (समय)संस्कार

(लगभग-वास्तविक समय के समीप)
दिल्ली +10मिनट——— जोधपुर -6 मिनट
जयपुर +5 मिनट—— अहमदाबाद-8 मिनट
कोटा +5 मिनट———— मुंबई-7 मिनट
लखनऊ +25 मिनट——–बीकानेर-5 मिनट
कोलकाता +54—–जैसलमेर -15 मिनट

नोट– दिन और रात्रि के चौघड़िया का आरंभ क्रमशः सूर्योदय और सूर्यास्त से होता है।
प्रत्येक चौघड़िए की अवधि डेढ़ घंटा होती है।
चर में चक्र चलाइये , उद्वेगे थलगार ।
शुभ में स्त्री श्रृंगार करे,लाभ में करो व्यापार ॥
रोग में रोगी स्नान करे ,काल करो भण्डार ।
अमृत में काम सभी करो , सहाय करो कर्तार ॥
अर्थात- चर में वाहन,मशीन आदि कार्य करें ।
उद्वेग में भूमि सम्बंधित एवं स्थायी कार्य करें ।
शुभ में स्त्री श्रृंगार ,सगाई व चूड़ा पहनना आदि कार्य करें ।
लाभ में व्यापार करें ।
रोग में जब रोगी रोग मुक्त हो जाय तो स्नान करें ।
काल में धन संग्रह करने पर धन वृद्धि होती है ।
अमृत में सभी शुभ कार्य करें ।

💮दिशा शूल ज्ञान————-पूर्व
परिहार-: आवश्यकतानुसार यदि यात्रा करनी हो तो पान अथवा पिस्ता खाके यात्रा कर सकते है l
इस मंत्र का उच्चारण करें-:
शीघ्र गौतम गच्छत्वं ग्रामेषु नगरेषु च l
भोजनं वसनं यानं मार्गं मे परिकल्पय: ll

🚩 अग्नि वास ज्ञान -:
यात्रा विवाह व्रत गोचरेषु,
चोलोपनिताद्यखिलव्रतेषु ।
दुर्गाविधानेषु सुत प्रसूतौ,
नैवाग्नि चक्रं परिचिन्तनियं ।। महारुद्र व्रतेSमायां ग्रसतेन्द्वर्कास्त राहुणाम्
नित्यनैमित्यके कार्ये अग्निचक्रं न दर्शायेत् ।।

15 + 11 + 4 + 1 = 31 ÷ 4 = 3 शेष
मृत्यु लोक पर अग्नि वास हवन के लिए शुभ कारक है l

🚩💮 ग्रह मुख आहुति ज्ञान 💮🚩

सूर्य नक्षत्र से अगले 3 नक्षत्र गणना के आधार पर क्रमानुसार सूर्य , बुध , शुक्र , शनि , चन्द्र , मंगल , गुरु , राहु केतु आहुति जानें । शुभ ग्रह की आहुति हवनादि कृत्य शुभपद होता है

राहु ग्रह मुखहुति

💮 शिव वास एवं फल -:

26 + 26 + 5 = 57 ÷ 7 = 1 शेष

कैलाश वास = शुभ कारक

🚩भद्रा वास एवं फल -:

स्वर्गे भद्रा धनं धान्यं ,पाताले च धनागम:।
मृत्युलोके यदा भद्रा सर्वकार्य विनाशिनी।।

💮🚩 विशेष जानकारी 🚩💮

* इंदिरा एकादशी व्रत (सर्वेषां)

* एकादशी श्राद्ध

💮🚩💮 शुभ विचार 💮🚩💮

देयं भोज्यधनं सुकृतिभिर्नो संचयस्तस्य व
श्रीकर्णस्य बलेश्च विक्रमपतेरद्यापि कीर्तिः स्थिता ।
अस्माकं मधुदानभोगरहितं नष्टं चिरात्सचितं
निर्वाणादिति नष्टपादयुगल घर्षन्यहो मक्षिकाः ।।
।। चा o नी o।।

एक गुणवान व्यक्ति को वह सब कुछ दान में देना चाहिए जो उसकी आवश्यकता से अधिक है. केवल दान के कारण ही कर्ण, बाली और राजा विक्रमादित्य आज तक चल रहे है. देखिये उन मधु मख्खियों को जो अपने पैर दुखे से धारती पर पटक रही है. वो अपने आप से कहती है ” आखिर में सब चला ही गया. हमने हमारे शहद को जो बचा कर रखा था, ना ही दान दिया और ना ही खुद खाया. अभी एक पल में ही कोई हमसे सब छीन कर चला गया.”

🚩💮🚩 सुभाषितानि 🚩💮🚩

गीता -: क्षेत्र-क्षेत्रज्ञविज्ञानयोग अo-13

सर्वतः पाणिपादं तत्सर्वतोऽक्षिशिरोमुखम्‌ ।,
सर्वतः श्रुतिमल्लोके सर्वमावृत्य तिष्ठति ॥,

वह सब ओर हाथ-पैर वाला, सब ओर नेत्र, सिर और मुख वाला तथा सब ओर कान वाला है, क्योंकि वह संसार में सबको व्याप्त करके स्थित है।, (आकाश जिस प्रकार वायु, अग्नि, जल और पृथ्वी का कारण रूप होने से उनको व्याप्त करके स्थित है, वैसे ही परमात्मा भी सबका कारण रूप होने से सम्पूर्ण चराचर जगत को व्याप्त करके स्थित है) ॥,13॥,

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