***|| जय श्री राधे ||***
🌺🙏 महर्षि पाराशर पंचांग 🙏🌺
🙏🌺🙏 अथ पंचांगम् 🙏🌺🙏
****ll जय श्री राधे ll****
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दिनाँक:- 18/09/2022, रविवार
अष्टमी, कृष्ण पक्ष,
आश्विन
“””””””””””””””””””””””””””””””””””””””””(समाप्ति काल)
💮🚩 दैनिक राशिफल 🚩💮
देशे ग्रामे गृहे युद्धे सेवायां व्यवहारके।
नामराशेः प्रधानत्वं जन्मराशिं न चिन्तयेत्।।
विवाहे सर्वमाङ्गल्ये यात्रायां ग्रहगोचरे।
जन्मराशेः प्रधानत्वं नामराशिं न चिन्तयेत ।।
मेष
आय में वृद्धि तथा उन्नति मनोनुकूल रहेंगे। लाभ के अवसर हाथ आएंगे। पार्टनरों का सहयोग समय पर प्राप्त होगा। यात्रा की योजना बनेगी। घर-बाहर कुछ तनाव रहेगा। स्वास्थ्य का ध्यान रखें। स्थायी संपत्ति के कार्य बड़ा लाभ दे सकते हैं। बेरोजगारी दूर करने के प्रयास सफल रहेंगे।
तिथि———– अष्टमी 16:32:23 तक
पक्ष————————- कृष्ण
नक्षत्र——— मृगशिरा 15:09:35
योग———— सिद्वि 06:31:40
करण———– कौलव 16:32:23
करण———– तैतुल 29:46:25
वार———————— रविवार
माह———————– आश्विन
चन्द्र राशि—————- मिथुन
सूर्य राशि—————– कन्या
रितु————————- शरद
आयन—————- दक्षिणायण
संवत्सर——————- शुभकृत
संवत्सर (उत्तर)——————— नल
विक्रम संवत————— 2079
गुजराती संवत————– 2078
शक संवत—————– 1944
वृन्दावन
सूर्योदय————— 06:06:49
सूर्यास्त—————- 18:19:29
दिन काल————- 12:12:40
रात्री काल————- 11:47:46
चंद्रास्त—————- 13:32:27
चंद्रोदय—————- 23:49:00
लग्न—- कन्या 0°56′ , 150°56′
सूर्य नक्षत्र———- उत्तरा फाल्गुनी
चन्द्र नक्षत्र—————- मृगशिरा
नक्षत्र पाया——————- लोहा
🚩💮🚩 पद, चरण 🚩💮🚩
का—- मृगशिरा 08:25:41
की—- मृगशिरा 15:09:35
कु—- आर्द्रा 21:54:08
घ—- आर्द्रा 28:39:04
💮🚩💮 ग्रह गोचर 💮🚩💮
ग्रह =राशी , अंश ,नक्षत्र, पद
==========================
सूर्य=सिंह 00:12 उ o फ़ाo , 2 टी
चन्द्र =मिथुन 02 °23, मृगशिरा, 3 का
बुध =कन्या 11 ° 34′ हस्त ‘ 1 पू
शुक्र=सिंह 21°05, पू o फ़ा o ‘ 3 टी
मंगल=वृषभ 20°30 ‘ रोहिणी’ 4 वु
गुरु=मीन 10°30 ‘ उ o भा o, 3 झ
शनि=मकर 25°43 ‘ धनिष्ठा ‘ 1 गा
राहू=(व) मेष 21°40’ भरणी , 3 ले
केतु=(व) तुला 21°50 विशाखा , 1 ती
राहू काल 16:48 – 18:19 अशुभ
यम घंटा 12:13 – 13:45 अशुभ
गुली काल 15:16 – 16:48 अशुभ
अभिजित 11:49 – 12:38 शुभ
दूर मुहूर्त 16:42 – 17:31 अशुभ
वर्ज्यम 24:36* – 26:24* अशुभ
💮चोघडिया, दिन
उद्वेग 06:07 – 07:38 अशुभ
चर 07:38 – 09:10 शुभ
लाभ 09:10 – 10:42 शुभ
अमृत 10:42 – 12:13 शुभ
काल 12:13 – 13:45 अशुभ
शुभ 13:45 – 15:16 शुभ
रोग 15:16 – 16:48 अशुभ
उद्वेग 16:48 – 18:19 अशुभ
🚩चोघडिया, रात
शुभ 18:19 – 19:48 शुभ
अमृत 19:48 – 21:16 शुभ
चर 21:16 – 22:45 शुभ
रोग 22:45 – 24:13* अशुभ
काल 24:13* – 25:42* अशुभ
लाभ 25:42* – 27:10* शुभ
उद्वेग 27:10* – 28:39* अशुभ
शुभ 28:39* – 30:07* शुभ
💮होरा, दिन
सूर्य 06:07 – 07:08
शुक्र 07:08 – 08:09
बुध 08:09 – 09:10
चन्द्र 09:10 – 10:11
शनि 10:11 – 11:12
बृहस्पति 11:12 – 12:13
मंगल 12:13 – 13:14
सूर्य 13:14 – 14:15
शुक्र 14:15 – 15:16
बुध 15:16 – 16:17
चन्द्र 16:17 – 17:18
शनि 17:18 – 18:19
🚩होरा, रात
बृहस्पति 18:19 – 19:18
मंगल 19:18 – 20:17
सूर्य 20:17 – 21:16
शुक्र 21:16 – 22:15
बुध 22:15 – 23:14
चन्द्र 23:14 – 24:13
शनि 24:13* – 25:12
बृहस्पति 25:12* – 26:11
मंगल 26:11* – 27:10
सूर्य 27:10* – 28:09
शुक्र 28:09* – 29:08
बुध 29:08* – 30:07
🚩💮 उदयलग्न प्रवेशकाल 💮🚩
कन्या > 05:12 से 07:26 तक
तुला > 07:26 से 09:32 तक
वृश्चिक > 09:32 से 11:48 तक
धनु > 11:48 से 14:14 तक
मकर > 14:14 से 15:56 तक
कुम्भ > 15:56 से 17:24 तक
मीन > 17:24 से 17:58 तक
मेष > 17:58 से 19:30 तक
वृषभ > 19:30 से 22:18 तक
कर्क > 01:18 से 02:48 तक
सिंह > 03:02 से 05:12 तक
🚩विभिन्न शहरों का रेखांतर (समय)संस्कार
(लगभग-वास्तविक समय के समीप)
दिल्ली +10मिनट——— जोधपुर -6 मिनट
जयपुर +5 मिनट—— अहमदाबाद-8 मिनट
कोटा +5 मिनट———— मुंबई-7 मिनट
लखनऊ +25 मिनट——–बीकानेर-5 मिनट
कोलकाता +54—–जैसलमेर -15 मिनट
नोट– दिन और रात्रि के चौघड़िया का आरंभ क्रमशः सूर्योदय और सूर्यास्त से होता है।
प्रत्येक चौघड़िए की अवधि डेढ़ घंटा होती है।
चर में चक्र चलाइये , उद्वेगे थलगार ।
शुभ में स्त्री श्रृंगार करे,लाभ में करो व्यापार ॥
रोग में रोगी स्नान करे ,काल करो भण्डार ।
अमृत में काम सभी करो , सहाय करो कर्तार ॥
अर्थात- चर में वाहन,मशीन आदि कार्य करें ।
उद्वेग में भूमि सम्बंधित एवं स्थायी कार्य करें ।
शुभ में स्त्री श्रृंगार ,सगाई व चूड़ा पहनना आदि कार्य करें ।
लाभ में व्यापार करें ।
रोग में जब रोगी रोग मुक्त हो जाय तो स्नान करें ।
काल में धन संग्रह करने पर धन वृद्धि होती है ।
अमृत में सभी शुभ कार्य करें ।
💮दिशा शूल ज्ञान————-पश्चिम
परिहार-: आवश्यकतानुसार यदि यात्रा करनी हो तो घी अथवा चिरौजी खाके यात्रा कर सकते है l
इस मंत्र का उच्चारण करें-:
शीघ्र गौतम गच्छत्वं ग्रामेषु नगरेषु च l
भोजनं वसनं यानं मार्गं मे परिकल्पय: ll
🚩 अग्नि वास ज्ञान -:
यात्रा विवाह व्रत गोचरेषु,
चोलोपनिताद्यखिलव्रतेषु ।
दुर्गाविधानेषु सुत प्रसूतौ,
नैवाग्नि चक्रं परिचिन्तनियं ।। महारुद्र व्रतेSमायां ग्रसतेन्द्वर्कास्त राहुणाम्
नित्यनैमित्यके कार्ये अग्निचक्रं न दर्शायेत् ।।
15 + 8 + 1 + 1 = 25 ÷ 4 = 1शेष
पाताल लोक पर अग्नि वास हवन के लिए अशुभ कारक है l
🚩💮 ग्रह मुख आहुति ज्ञान 💮🚩
सूर्य नक्षत्र से अगले 3 नक्षत्र गणना के आधार पर क्रमानुसार सूर्य , बुध , शुक्र , शनि , चन्द्र , मंगल , गुरु , राहु केतु आहुति जानें । शुभ ग्रह की आहुति हवनादि कृत्य शुभपद होता है
गुरु ग्रह मुखहुति
💮 शिव वास एवं फल -:
23 + 23 + 5 = 51 ÷ 7 = 2 शेष
गौरि सन्निधौ = शुभ कारक
🚩भद्रा वास एवं फल -:
स्वर्गे भद्रा धनं धान्यं ,पाताले च धनागम:।
मृत्युलोके यदा भद्रा सर्वकार्य विनाशिनी।।
💮🚩 विशेष जानकारी 🚩💮
* अष्टमी श्राद्ध
*पुत्रजीविका व्रत
💮🚩💮 शुभ विचार 💮🚩💮
परकार्यविहन्ता च दाम्भिकः स्वार्थसाधकः ।
छली द्वेषी मृदुक्रूरो विप्रो मार्जार उच्यते ।।
।। चा o नी o।।
वह ब्राह्मण जो दुसरो के काम में अड़ंगे डालता है, जो दम्भी है, स्वार्थी है, धोखेबाज है, दुसरो से घृणा करता है और बोलते समय मुह में मिठास और ह्रदय में क्रूरता रखता है, वह एक बिल्ली के समान है.
🚩💮🚩 सुभाषितानि 🚩💮🚩
गीता -: क्षेत्र-क्षेत्रज्ञविज्ञानयोग अo-13
असक्तिरनभिष्वङ्ग: पुत्रदारगृहादिषु ।,
नित्यं च समचित्तत्वमिष्टानिष्टोपपत्तिषु ॥,
पुत्र, स्त्री, घर और धन आदि में आसक्ति का अभाव, ममता का न होना तथा प्रिय और अप्रिय की प्राप्ति में सदा ही चित्त का सम रहना॥,9॥,
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