***|| जय श्री राधे ||***
🌺🙏 महर्षि पाराशर पंचांग 🙏🌺
🙏🌺🙏 अथ पंचांगम् 🙏🌺🙏
****ll जय श्री राधे ll****
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दिनाँक:-15/10/2022, शनिवार
षष्ठी, कृष्ण पक्ष,
कार्तिक
“”””””””””””””””””””””””””””””””””””””””””(समाप्ति काल)
💮🚩 दैनिक राशिफल 🚩💮
देशे ग्रामे गृहे युद्धे सेवायां व्यवहारके।
नामराशेः प्रधानत्वं जन्मराशिं न चिन्तयेत्।।
विवाहे सर्वमाङ्गल्ये यात्रायां ग्रहगोचरे।
जन्मराशेः प्रधानत्वं नामराशिं न चिन्तयेत ।।
मेष
दूर से अच्छे समाचार प्राप्त होंगे। जीवनसाथी से सहयोग मिलेगा। डूबी हुई रकम प्राप्त हो सकती है, प्रयास करें। यात्रा मनोरंजक रहेगी। सामाजिक कार्य करने की इच्छा जागृत होगी। व्यापार ठीक चलेगा। परिवार के साथ समय सुखमय व्यतीत होगा। प्रसन्नता बनी रहेगी।
तिथि—————- षष्ठी अहोरात्र तक
पक्ष————————- कृष्ण
नक्षत्र——— मृगशिरा 23:20:44
योग———- वरियान 14:22:38
करण————– गर 17:54:47
वार———————– शनिवार
माह———————– कार्तिक
चन्द्र राशि——- वृषभ 10:00:25
चन्द्र राशि—————— मिथुन
सूर्य राशि——————- कन्या
रितु————————- शरद
आयन—————– दक्षिणायण
संवत्सर—————— शुभकृत
संवत्सर (उत्तर)——————– नल
विक्रम संवत—————- 2079
गुजराती संवत————– 2078
शक संवत—————— 1944
वृन्दावन
सूर्योदय————— 06:20:12
सूर्यास्त—————- 17:49:20
दिन काल————- 11:29:08
रात्री काल————- 12:31:25
चंद्रास्त—————–11:22:24
चंद्रोदय—————- 21:40:04
लग्न—- कन्या 27°29′ , 177°29′
सूर्य नक्षत्र——————– चित्रा
चन्द्र नक्षत्र—————- मृगशिरा
नक्षत्र पाया——————- लोहा
🚩💮🚩 पद, चरण 🚩💮🚩
वो—- मृगशिरा 10:00:25
का—- मृगशिरा 16:39:55
की—- मृगशिरा 23:20:44
कु—- आर्द्रा 30:02:41
💮🚩💮 ग्रह गोचर 💮🚩💮
ग्रह =राशी , अंश ,नक्षत्र, पद
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सूर्य=कन्या 27 :49 चित्रा , 2 पो
चन्द्र =वृषभ 28 °23, मृगशिरा , 2 वो
बुध =कन्या 11 ° 34′ हस्त ‘1 पू
शुक्र=कन्या 25°05, चित्रा ‘ 1 पे
मंगल=वृषभ 29°30 ‘ मृगशिरा’ 2 वो
गुरु=मीन 07°30 ‘ उ o भा o, 2 थ
शनि=मकर 24°43 ‘ धनिष्ठा ‘ 1 गा
राहू=(व) मेष 20°10’ भरणी , 3 ले
केतु=(व) तुला 20°10 विशाखा , 1 ती
राहू काल 09:12 – 10:39 अशुभ
यम घंटा 13:31 – 14:57 अशुभ
गुली काल 06:20 – 07:46 अशुभ
अभिजित 11:42 – 12:28 शुभ
दूर मुहूर्त 07:52 – 08:38 अशुभ
वर्ज्यम 32:44* – 34:31* अशुभ
💮चोघडिया, दिन
काल 06:20 – 07:46 अशुभ
शुभ 07:46 – 09:12 शुभ
रोग 09:12 – 10:39 अशुभ
उद्वेग 10:39 – 12:05 अशुभ
चर 12:05 – 13:31 शुभ
लाभ 13:31 – 14:57 शुभ
अमृत 14:57 – 16:23 शुभ
काल 16:23 – 17:49 अशुभ
🚩चोघडिया, रात
लाभ 17:49 – 19:23 शुभ
उद्वेग 19:23 – 20:57 अशुभ
शुभ 20:57 – 22:31 शुभ
अमृत 22:31 – 24:05* शुभ
चर 24:05* – 25:39* शुभ
रोग 25:39* – 27:13* अशुभ
काल 27:13* – 28:47* अशुभ
लाभ 28:47* – 30:21* शुभ
💮होरा, दिन
शनि 06:20 – 07:18
बृहस्पति 07:18 – 08:15
मंगल 08:15 – 09:12
सूर्य 09:12 – 10:10
शुक्र 10:10 – 11:07
बुध 11:07 – 12:05
चन्द्र 12:05 – 13:02
शनि 13:02 – 13:59
बृहस्पति 13:59 – 14:57
मंगल 14:57 – 15:54
सूर्य 15:54 – 16:52
शुक्र 16:52 – 17:49
🚩होरा, रात
बुध 17:49 – 18:52
चन्द्र 18:52 – 19:55
शनि 19:55 – 20:57
बृहस्पति 20:57 – 21:59
मंगल 21:59 – 23:02
सूर्य 23:02 – 24:05
शुक्र 24:05* – 25:08
बुध 25:08* – 26:10
चन्द्र 26:10* – 27:13
शनि 27:13* – 28:16
बृहस्पति 28:16* – 29:18
मंगल 29:18* – 30:21
🚩💮 उदयलग्न प्रवेशकाल 💮🚩
कन्या > 03:25 से 05:31 तक
तुला > 05:31 से 07:42 तक
वृश्चिक > 07:42 से 10:02 तक
धनु > 10:02 से 12:32 तक
मकर > 12:32 से 14:10 तक
कुम्भ > 14:10 से 15:40 तक
मीन > 15:40 से 16:12 तक
मेष > 16:12 से 17:46 तक
वृषभ > 17:46 से 20:32 तक
कर्क > 20:32 से 01:02 तक
सिंह > 01:02 से 03:20 तक
🚩विभिन्न शहरों का रेखांतर (समय)संस्कार
(लगभग-वास्तविक समय के समीप)
दिल्ली +10मिनट——— जोधपुर -6 मिनट
जयपुर +5 मिनट—— अहमदाबाद-8 मिनट
कोटा +5 मिनट———— मुंबई-7 मिनट
लखनऊ +25 मिनट——–बीकानेर-5 मिनट
कोलकाता +54—–जैसलमेर -15 मिनट
नोट– दिन और रात्रि के चौघड़िया का आरंभ क्रमशः सूर्योदय और सूर्यास्त से होता है।
प्रत्येक चौघड़िए की अवधि डेढ़ घंटा होती है।
चर में चक्र चलाइये , उद्वेगे थलगार ।
शुभ में स्त्री श्रृंगार करे,लाभ में करो व्यापार ॥
रोग में रोगी स्नान करे ,काल करो भण्डार ।
अमृत में काम सभी करो , सहाय करो कर्तार ॥
अर्थात- चर में वाहन,मशीन आदि कार्य करें ।
उद्वेग में भूमि सम्बंधित एवं स्थायी कार्य करें ।
शुभ में स्त्री श्रृंगार ,सगाई व चूड़ा पहनना आदि कार्य करें ।
लाभ में व्यापार करें ।
रोग में जब रोगी रोग मुक्त हो जाय तो स्नान करें ।
काल में धन संग्रह करने पर धन वृद्धि होती है ।
अमृत में सभी शुभ कार्य करें ।
💮दिशा शूल ज्ञान————-पूर्व
परिहार-: आवश्यकतानुसार यदि यात्रा करनी हो तो लौंग अथवा कालीमिर्च खाके यात्रा कर सकते है l
इस मंत्र का उच्चारण करें-:
शीघ्र गौतम गच्छत्वं ग्रामेषु नगरेषु च l
भोजनं वसनं यानं मार्गं मे परिकल्पय: ll
🚩 अग्नि वास ज्ञान -:
यात्रा विवाह व्रत गोचरेषु,
चोलोपनिताद्यखिलव्रतेषु ।
दुर्गाविधानेषु सुत प्रसूतौ,
नैवाग्नि चक्रं परिचिन्तनियं ।। महारुद्र व्रतेSमायां ग्रसतेन्द्वर्कास्त राहुणाम्
नित्यनैमित्यके कार्ये अग्निचक्रं न दर्शायेत् ।।
15 + 6 + 7 + 1 = 29 ÷ 4 = 1 शेष
आकाश लोक पर अग्नि वास हवन के लिए अशुभ कारक है l
🚩💮 ग्रह मुख आहुति ज्ञान 💮🚩
सूर्य नक्षत्र से अगले 3 नक्षत्र गणना के आधार पर क्रमानुसार सूर्य , बुध , शुक्र , शनि , चन्द्र , मंगल , गुरु , राहु केतु आहुति जानें । शुभ ग्रह की आहुति हवनादि कृत्य शुभपद होता है
गुरु ग्रह मुखहुति
💮 शिव वास एवं फल -:
21 + 21 + 5 = 47 ÷ 7 = 5 शेष
ज्ञानवेलायां = कष्ट कारक
🚩भद्रा वास एवं फल -:
स्वर्गे भद्रा धनं धान्यं ,पाताले च धनागम:।
मृत्युलोके यदा भद्रा सर्वकार्य विनाशिनी।।
💮🚩 विशेष जानकारी 🚩💮
* स्कंध षष्ठी
*मिथुने भौम:
💮🚩💮 शुभ विचार 💮🚩💮
सत्कुले योजयेत्कन्यां पुत्रं विद्यासु योजतेत् ।
व्यसने योजयेच्छत्रुं मित्रं धर्मे नियोजयेत् ।।
।। चा o नी o।।
लड़की का बयाह अच्छे खानदान मे करना चाहिए. पुत्र को अचछी शिक्षा देनी चाहिए, शत्रु को आपत्ति और कष्टों में डालना चाहिए, एवं मित्रों को धर्म कर्म में लगाना चाहिए.
🚩💮🚩 सुभाषितानि 🚩💮🚩
गीता -: भक्तियोग अo-12
क्लेशोऽधिकतरस्तेषामव्यक्तासक्तचेतसाम् ।,
अव्यक्ता हि गतिर्दुःखं देहवद्भिरवाप्यते ॥,
उन सच्चिदानन्दघन निराकार ब्रह्म में आसक्त चित्तवाले पुरुषों के साधन में परिश्रम विशेष है क्योंकि देहाभिमानियों द्वारा अव्यक्तविषयक गति दुःखपूर्वक प्राप्त की जाती है॥,5॥,
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