***|| जय श्री राधे ||***
** महर्षि पाराशर पंचांग **
*** अथ पंचांगम् ***
****ll जय श्री राधे ll****
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दिनाँक:-12/08/2022, शुक्रवार
पूर्णिमा, शुक्ल पक्ष,
श्रावण
“”””””””””””””””””””””””””””””””””””””””(समाप्ति काल)
*** दैनिक राशिफल ***
देशे ग्रामे गृहे युद्धे सेवायां व्यवहारके।
नामराशेः प्रधानत्वं जन्मराशिं न चिन्तयेत्।।
विवाहे सर्वमाङ्गल्ये यात्रायां ग्रहगोचरे।
जन्मराशेः प्रधानत्वं नामराशिं न चिन्तयेत ।।
मेष
आज का दिन आपके लिए उत्तम रूप से फलदायक रहेगा। मित्रों तथा संबंधियों का सहयोग कर पाएंगे। मान-सम्मान मिलेगा। रुके कार्य पूर्ण होंगे। नई योजना बनेगी। कार्यप्रणाली में सुधार होगा। नए काम मिलेंगे। आय में वृद्धि होगी। प्रसन्नता रहेगी। नए लोगों से परिचय होगा। मित्रों का सहयोग प्राप्त होगा। घर-परिवार की चिंता रहेगी। आपके कुछ रुके हुए कार्य पूरे होने से आपके मन में संतुष्टि बनी रहेगी। यदि आप किसी अचल संपत्ति का प्लान बना रहे थे, तो आपकी वह इच्छा पूरी होगी। आपकी कुछ नए लोगों से मुलाकात होगी, जिसका आपको लाभ मिलेगा। आपको कार्यक्षेत्र में पूरा ध्यान रख कर कार्य करना होगा। परिवार के सदस्य आपका हर मामले में पूरा सहयोग देंगे। विवाहित जातकों के जीवन में मधुरता बनी रहेगी।
तिथि——— पूर्णिमा 07:04:42 तक
तिथि———–प्रतिपदा 27:46:09
पक्ष————————- शुक्ल
नक्षत्र———– धनिष्ठा 25:34:38
योग———- सौभाग्य 11:32:00
करण————– बव 07:04:42
करण———– बालव 17:22:55
करण———–कौलव 27:46:09
वार———————– शुक्रवार
माह———————— श्रावण
चन्द्र राशि—— मकर 14:48:12
चन्द्र राशि—————– कुम्भ
सूर्य राशि——————- कर्क
रितु————————– वर्षा
आयन——————दक्षिणायण
संवत्सर——————–शुभकृत
संवत्सर (उत्तर) ———————-नल
विक्रम संवत—————- 2079
गुजराती संवत————- 2078
शक संवत——————1944
वृन्दावन
सूर्योदय————— 05:49:22
सूर्यास्त—————- 18:58:45
दिन काल————–13:09:23
रात्री काल————- 10:51:07
चंद्रास्त————— 06:08:34
चंद्रोदय————— 19:36:37
लग्न—- कर्क 25°8′ , 115°8′
सूर्य नक्षत्र————— आश्लेषा
चन्द्र नक्षत्र—————— धनिष्ठा
नक्षत्र पाया——————– ताम्र
**** पद, चरण ****
गा—- धनिष्ठा 09:26:50
गी—- धनिष्ठा 14:48:12
गु—- धनिष्ठा 20:10:44
गे—- धनिष्ठा 25:34:38
**** ग्रह गोचर ****
ग्रह =राशी , अंश ,नक्षत्र, पद
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सूर्य=कर्क 25:12 अश्लेषा , 3 डे
चन्द्र =धनु 24 °23, धनिष्ठा, 1 गा
बुध =सिंह 18 ° 07′ पू o फा o ‘ 2 टा
शुक्र=कर्क 06°05, पुष्य ‘ 1 हु
मंगल=वृषभ 00°30 ‘ कृतिका ‘ 2 ई
गुरु=मीन 14°30 ‘ उ o भा o, 4 ञ
शनि=कुम्भ 29°33 ‘ धनिष्ठा ‘ 2 गी
राहू=(व) मेष 23°30’ भरणी , 4 लो
केतु=(व) तुला 23°30 विशाखा , 2 तू
**** मुहूर्त प्रकरण ****
राहू काल 10:45 – 12:24 अशुभ
यम घंटा 15:41 – 17:20 अशुभ
गुली काल 07:28 – 09: 07अशुभ
अभिजित 11:58 – 12:50 शुभ
दूर मुहूर्त 08:27 – 09:20 अशुभ
दूर मुहूर्त 12:50 – 13:43 अशुभ
**** पंचक 14:48 – अहोरात्र अशुभ
**** चोघडिया, दिन
चर 05:49 – 07:28 शुभ
लाभ 07:28 – 09:07 शुभ
अमृत 09:07 – 10:45 शुभ
काल 10:45 – 12:24 अशुभ
शुभ 12:24 – 14:03 शुभ
रोग 14:03 – 15:41 अशुभ
उद्वेग 15:41 – 17:20 अशुभ
चर 17:20 – 18:59 शुभ
**** चोघडिया, रात
रोग 18:59 – 20:20 अशुभ
काल 20:20 – 21:42 अशुभ
लाभ 21:42 – 23:03 शुभ
उद्वेग 23:03 – 24:24* अशुभ
शुभ 24:24* – 25:46* शुभ
अमृत 25:46* – 27:07* शुभ
चर 27:07* – 28:28* शुभ
रोग 28:28* – 29:50* अशुभ
**** होरा, दिन
शुक्र 05:49 – 06:55
बुध 06:55 – 08:01
चन्द्र 08:01 – 09:07
शनि 09:07 – 10:13
बृहस्पति 10:13 – 11:18
मंगल 11:18 – 12:24
सूर्य 12:24 – 13:30
शुक्र 13:30 – 14:36
बुध 14:36 – 15:41
चन्द्र 15:41 – 16:47
शनि 16:47 – 17:53
बृहस्पति 17:53 – 18:59
**** होरा, रात
मंगल 18:59 – 19:53
सूर्य 19:53 – 20:47
शुक्र 20:47 – 21:42
बुध 21:42 – 22:36
चन्द्र 22:36 – 23:30
शनि 23:30 – 24:24
बृहस्पति 24:24* – 25:19
मंगल 25:19* – 26:13
सूर्य 26:13* – 27:07
शुक्र 27:07* – 28:01
बुध 28:01* – 28:56
चन्द्र 28:56* – 29:50
**** उदयलग्न प्रवेशकाल ****
कर्क > 03:07 से 05:24 तक
सिंह > 05:24 से 07:30 तक
कन्या > 07:30 से 09:40 तक
तुला > 09:40 से 11:54 तक
वृश्चिक > 11:54 से 14:10 तक
धनु > 14:10 से 16:30 तक
मकर > 16:30 से 18:14 तक
कुम्भ > 18:14 से 19:46 तक
मीन > 19:46 से 20:20 तक
मेष > 20:20 से 10:52 तक
वृषभ > 10:52 से 00:44 तक
मिथुन > 00:44 से 03:07 तक
**** विभिन्न शहरों का रेखांतर (समय)संस्कार
(लगभग-वास्तविक समय के समीप)
दिल्ली +10मिनट——— जोधपुर -6 मिनट
जयपुर +5 मिनट—— अहमदाबाद-8 मिनट
कोटा +5 मिनट———— मुंबई-7 मिनट
लखनऊ +25 मिनट——–बीकानेर-5 मिनट
कोलकाता +54—–जैसलमेर -15 मिनट
नोट– दिन और रात्रि के चौघड़िया का आरंभ क्रमशः सूर्योदय और सूर्यास्त से होता है।
प्रत्येक चौघड़िए की अवधि डेढ़ घंटा होती है।
चर में चक्र चलाइये , उद्वेगे थलगार ।
शुभ में स्त्री श्रृंगार करे,लाभ में करो व्यापार ॥
रोग में रोगी स्नान करे ,काल करो भण्डार ।
अमृत में काम सभी करो , सहाय करो कर्तार ॥
अर्थात- चर में वाहन,मशीन आदि कार्य करें ।
उद्वेग में भूमि सम्बंधित एवं स्थायी कार्य करें ।
शुभ में स्त्री श्रृंगार ,सगाई व चूड़ा पहनना आदि कार्य करें ।
लाभ में व्यापार करें ।
रोग में जब रोगी रोग मुक्त हो जाय तो स्नान करें ।
काल में धन संग्रह करने पर धन वृद्धि होती है ।
अमृत में सभी शुभ कार्य करें ।
**** दिशा शूल ज्ञान————-पश्चिम
परिहार-: आवश्यकतानुसार यदि यात्रा करनी हो तो घी अथवा काजू खाके यात्रा कर सकते है l
इस मंत्र का उच्चारण करें-:
शीघ्र गौतम गच्छत्वं ग्रामेषु नगरेषु च l
भोजनं वसनं यानं मार्गं मे परिकल्पय: ll
**** अग्नि वास ज्ञान -:
यात्रा विवाह व्रत गोचरेषु,
चोलोपनिताद्यखिलव्रतेषु ।
दुर्गाविधानेषु सुत प्रसूतौ,
नैवाग्नि चक्रं परिचिन्तनियं ।। महारुद्र व्रतेSमायां ग्रसतेन्द्वर्कास्त राहुणाम्
नित्यनैमित्यके कार्ये अग्निचक्रं न दर्शायेत् ।।
15 + 6 + 1 = 22 ÷ 4 = 2 शेष
आकाश लोक पर अग्नि वास हवन के लिए अशुभ कारक है l
**** ग्रह मुख आहुति ज्ञान ****
सूर्य नक्षत्र से अगले 3 नक्षत्र गणना के आधार पर क्रमानुसार सूर्य , बुध , शुक्र , शनि , चन्द्र , मंगल , गुरु , राहु केतु आहुति जानें । शुभ ग्रह की आहुति हवनादि कृत्य शुभपद होता है
चन्द्र ग्रह मुखहुति
**** शिव वास एवं फल -:
15 + 15 + 5 = 35 ÷ 7 = 0 शेष
शमशान वास = मृत्यु कारक
**** भद्रा वास एवं फल -:
स्वर्गे भद्रा धनं धान्यं ,पाताले च धनागम:।
मृत्युलोके यदा भद्रा सर्वकार्य विनाशिनी।।
**** विशेष जानकारी ****
* प्रतिपदाक्षय
* पंचक प्रारम्भ
* वरद महालक्ष्मी व्रत
* संस्कृत दिवस
*जीवंतिका पूजन
* गोगामेड़ी मेला प्रारम्भ
*विश्व युवा दिवस
*अमरनाथ यात्रा पूर्ण
**** शुभ विचार ****
यस्यार्थास्तस्य मित्राणि यस्यर्थास्तस्य बांधवाः ।
यस्याथाः स पुमांल्लोके यस्यार्थाः सच पण्डितः ।।
।। चा o नी o।।
धनवान व्यक्ति के कई मित्र होते है. उसके कई सम्बन्धी भी होते है. धनवान को ही आदमी कहा जाता है और पैसेवालों को ही पंडित कह कर नवाजा जाता है.
**** सुभाषितानि ****
गीता -: मोक्षसान्यांसयोग अo-18
सहजं कर्म कौन्तेय सदोषमपि न त्यजेत्।,
सर्वारम्भा हि दोषेण धूमेनाग्निरिवावृताः॥,
अतएव हे कुन्तीपुत्र! दोषयुक्त होने पर भी सहज कर्म (प्रकृति के अनुसार शास्त्र विधि से नियत किए हुए वर्णाश्रम के धर्म और सामान्य धर्मरूप स्वाभाविक कर्म हैं उनको ही यहाँ स्वधर्म, सहज कर्म, स्वकर्म, नियत कर्म, स्वभावज कर्म, स्वभावनियत कर्म इत्यादि नामों से कहा है) को नहीं त्यागना चाहिए, क्योंकि धूएँ से अग्नि की भाँति सभी कर्म किसी-न-किसी दोष से युक्त हैं॥,48॥,
****आपका दिन मंगलमय हो ****
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आचार्य नीरज पाराशर (वृन्दावन)
(व्याकरण,ज्योतिष,एवं पुराणाचार्य)
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