***|| जय श्री राधे ||***
** महर्षि पाराशर पंचांग **
*** अथ पंचांगम् ***
****ll जय श्री राधे ll****
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दिनाँक:-11/08/2022, गुरुवार
चतुर्दशी, शुक्ल पक्ष,
श्रावण
“”””””””””””””””””””””””””””””””””””””””(समाप्ति काल)
*** दैनिक राशिफल ***
देशे ग्रामे गृहे युद्धे सेवायां व्यवहारके।
नामराशेः प्रधानत्वं जन्मराशिं न चिन्तयेत्।।
विवाहे सर्वमाङ्गल्ये यात्रायां ग्रहगोचरे।
जन्मराशेः प्रधानत्वं नामराशिं न चिन्तयेत ।।
मेष
आज का दिन आपके लिए सांसारिक सुख भोग के साधनों में वृद्धि लेकर आएगा। धनागम होगा। भूमि व भवन संबंधी योजना बनेगी। रोजगार मिलेगा। आय में वृद्धि होगी। जल्दबाजी न करें। नौकरी में ऐच्छिक स्थानांतरण एवं पदोन्नति के योग हैं। स्वाध्याय के महत्व को समझें। संतान को अपने कार्यों में सफलता मिल सकेगी। आपको सुख-सुविधा हासिल होगी। जीवनसाथी को आप ससुराल पक्ष के लोगों से मेल मिलाप कराने लेकर जा सकते हैं। संतान से आपकी किसी बात पर बहसबाजी हो सकती है। किसी नए प्रोजेक्ट पर आज आप रिसर्च कर सकते हैं। आप अपनी बुद्धि से कुछ नया करने की कोशिश में लगे रहेंगे,लेकिन किसी भी डील को आपको ईमानदारी से फाइनल करना होगा। माता-पिता का आशीर्वाद लेकर जाएं,तो आपके लिए बेहतर रहेगा।
तिथि———- चतुर्दशी 10:37:54 तक
पक्ष————————- शुक्ल
नक्षत्र—— उत्तराषाढा 06:51:34
नक्षत्र———– श्रवण 28:06:29
योग——— आयुष्मान 15:30:14
करण———- वणिज 10:37:54
करण——- विष्टि भद्र 20:50:09
वार———————– गुरूवार
माह———————– श्रावण
चन्द्र राशि—————— मकर
सूर्य राशि——————– कर्क
रितु————————– वर्षा
आयन—————– दक्षिणायण
संवत्सर——————–शुभकृत
संवत्सर (उत्तर)———————-नल
विक्रम संवत—————- 2079
गुजराती संवत————- 2078
शक संवत——————1944
वृन्दावन
सूर्योदय————— 05:48:51
सूर्यास्त————— 18:59:36
दिन काल————- 13:10:45
रात्री काल———— 10:49:45
चंद्रास्त————— 06:08:03
चंद्रोदय—————- 18:50:40
लग्न—- कर्क 24°11′ , 114°11′
सूर्य नक्षत्र————— आश्लेषा
चन्द्र नक्षत्र————– उत्तराषाढा
नक्षत्र पाया——————– ताम्र
**** पद, चरण ****
जी—- उत्तराषाढा 06:51:34
खी—- श्रवण 12:09:41
खू—- श्रवण 17:28:05
खे—- श्रवण 22:46:58
खो—- श्रवण 28:06:29
**** ग्रह गोचर ****
ग्रह =राशी , अंश ,नक्षत्र, पद
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सूर्य=कर्क 24:12 अश्लेषा , 3 डे
चन्द्र =मकर 09 °23, उ o षाo, 4 जी
बुध =सिंह 16 ° 07′ पू o फा o ‘ 1 मो
शुक्र=कर्क 04°05, पुष्य ‘ 1 हु
मंगल=वृषभ 00°30 ‘ कृतिका ‘ 2 ई
गुरु=मीन 14°30 ‘ उ o भा o, 4 ञ
शनि=कुम्भ 29°33 ‘ धनिष्ठा ‘ 2 गी
राहू=(व) मेष 23°40’ भरणी , 4 लो
केतु=(व) तुला 23°40 विशाखा , 2 तू
**** मुहूर्त प्रकरण ****
राहू काल 14:03 – 15:42 अशुभ
यम घंटा 05:49 – 07:28 अशुभ
गुली काल 09:07 – 10:45 अशुभ
अभिजित 11:58 – 12:51 शुभ
दूर मुहूर्त 10:12 – 11:05 अशुभ
दूर मुहूर्त 15:29 – 16:21 अशुभ
**** गंड मूल अहोरात्र अशुभ
**** चोघडिया, दिन
शुभ 05:49 – 07:28 शुभ
रोग 07:28 – 09:07 अशुभ
उद्वेग 09:07 – 10:45 अशुभ
चर 10:45 – 12:24 शुभ
लाभ 12:24 – 14:03 शुभ
अमृत 14:03 – 15:42 शुभ
काल 15:42 – 17:21 अशुभ
शुभ 17:21 – 18:59 शुभ
**** चोघडिया, रात
अमृत 18:59 – 20:21 शुभ
चर 20:21 – 21:42 शुभ
रोग 21:42 – 23:03 अशुभ
काल 23:03 – 24:24* अशुभ
लाभ 24:24* – 25:46* शुभ
उद्वेग 25:46* – 27:07* अशुभ
शुभ 27:07* – 28:28* शुभ
अमृत 28:28* – 29:49* शुभ
**** होरा, दिन
बृहस्पति 05:49 – 06:55
मंगल 06:55 – 08:01
सूर्य 08:01 – 09:07
शुक्र 09:07 – 10:12
बुध 10:12 – 11:18
चन्द्र 11:18 – 12:24
शनि 12:24 – 13:30
बृहस्पति 13:30 – 14:36
मंगल 14:36 – 15:42
सूर्य 15:42 – 16:48
शुक्र 16:48 – 17:54
बुध 17:54 – 18:59
**** होरा, रात
चन्द्र 18:59 – 19:54
शनि 19:54 – 20:48
बृहस्पति 20:48 – 21:42
मंगल 21:42 – 22:36
सूर्य 22:36 – 23:30
शुक्र 23:30 – 24:24
बुध 24:24* – 25:19
चन्द्र 25:19* – 26:13
शनि 26:13* – 27:07
बृहस्पति 27:07* – 28:01
मंगल 28:01* – 28:55
सूर्य 28:55* – 29:49
**** उदयलग्न प्रवेशकाल ****
कर्क > 03:18 से 05:30 तक
सिंह > 05:30 से 07:40 तक
कन्या > 07:40 से 09:50 तक
तुला > 09:50 से 12:04 तक
वृश्चिक > 12:04 से 14:20 तक
धनु > 14:24 से 16:40 तक
मकर > 16:40 से 18:24 तक
कुम्भ > 18:24 से 19:56 तक
मीन > 19:56 से 20:30 तक
मेष > 20:30 से 11:02 तक
वृषभ > 11:02 से 00:54 तक
मिथुन > 00:54 से 03:18 तक
**** विभिन्न शहरों का रेखांतर (समय)संस्कार
(लगभग-वास्तविक समय के समीप)
दिल्ली +10मिनट——— जोधपुर -6 मिनट
जयपुर +5 मिनट—— अहमदाबाद-8 मिनट
कोटा +5 मिनट———— मुंबई-7 मिनट
लखनऊ +25 मिनट——–बीकानेर-5 मिनट
कोलकाता +54—–जैसलमेर -15 मिनट
नोट– दिन और रात्रि के चौघड़िया का आरंभ क्रमशः सूर्योदय और सूर्यास्त से होता है।
प्रत्येक चौघड़िए की अवधि डेढ़ घंटा होती है।
चर में चक्र चलाइये , उद्वेगे थलगार ।
शुभ में स्त्री श्रृंगार करे,लाभ में करो व्यापार ॥
रोग में रोगी स्नान करे ,काल करो भण्डार ।
अमृत में काम सभी करो , सहाय करो कर्तार ॥
अर्थात- चर में वाहन,मशीन आदि कार्य करें ।
उद्वेग में भूमि सम्बंधित एवं स्थायी कार्य करें ।
शुभ में स्त्री श्रृंगार ,सगाई व चूड़ा पहनना आदि कार्य करें ।
लाभ में व्यापार करें ।
रोग में जब रोगी रोग मुक्त हो जाय तो स्नान करें ।
काल में धन संग्रह करने पर धन वृद्धि होती है ।
अमृत में सभी शुभ कार्य करें ।
**** दिशा शूल ज्ञान————-दक्षिण
परिहार-: आवश्यकतानुसार यदि यात्रा करनी हो तो घी अथवा केशर खाके यात्रा कर सकते है l
इस मंत्र का उच्चारण करें-:
शीघ्र गौतम गच्छत्वं ग्रामेषु नगरेषु च l
भोजनं वसनं यानं मार्गं मे परिकल्पय: ll
**** अग्नि वास ज्ञान -:
यात्रा विवाह व्रत गोचरेषु,
चोलोपनिताद्यखिलव्रतेषु ।
दुर्गाविधानेषु सुत प्रसूतौ,
नैवाग्नि चक्रं परिचिन्तनियं ।। महारुद्र व्रतेSमायां ग्रसतेन्द्वर्कास्त राहुणाम्
नित्यनैमित्यके कार्ये अग्निचक्रं न दर्शायेत् ।।
14 + 5 + 1 = 20 ÷ 4 = 0 शेष
मृत्यु लोक पर अग्नि वास हवन के लिए शुभ कारक है l
**** ग्रह मुख आहुति ज्ञान ****
सूर्य नक्षत्र से अगले 3 नक्षत्र गणना के आधार पर क्रमानुसार सूर्य , बुध , शुक्र , शनि , चन्द्र , मंगल , गुरु , राहु केतु आहुति जानें । शुभ ग्रह की आहुति हवनादि कृत्य शुभपद होता है
शनि ग्रह मुखहुति
**** शिव वास एवं फल -:
14 + 14 + 5 = 33 ÷ 7 = 5 शेष
ज्ञानवेलायां = कष्ट कारक
**** भद्रा वास एवं फल -:
स्वर्गे भद्रा धनं धान्यं ,पाताले च धनागम:।
मृत्युलोके यदा भद्रा सर्वकार्य विनाशिनी।।
प्रातः 10:37 से रात्रि 20: 50तक
पाताल लोक = धनलाभ कारक
**** विशेष जानकारी ****
*सत्य पूर्णिमा व्रत
*रक्षाबंधन भद्रोपरांत 20:51पर
* श्री हयग्रीव जयन्ति
*खुदीराम बॉस शहीद दिवस
*यजुर्वेदीय, तैत्तरीय, अथर्ववेदीय, हिरण्यकेशीय उपाकर्म
**** शुभ विचार ****
भ्रमन्संपूज्यते राजा भ्रमन्संपूज्यते द्विजः ।
भ्रमन्संपूज्यते योगी स्त्री भ्रमन्ती विनश्यति ।।
।। चा o नी o।।
राजा, ब्राह्मण और तपस्वी योगी जब दुसरे देश जाते है, तो आदर पाते है. लेकिन औरत यदि भटक जाती है तो बर्बाद हो जाती है.
**** सुभाषितानि ****
गीता -: मोक्षसान्यांसयोग अo-18
श्रेयान्स्वधर्मो विगुणः परधर्मात्स्वनुष्ठितात्।,
स्वभावनियतं कर्म कुर्वन्नाप्नोति किल्बिषम्॥,
अच्छी प्रकार आचरण किए हुए दूसरे के धर्म से गुणरहित भी अपना धर्म श्रेष्ठ है, क्योंकि स्वभाव से नियत किए हुए स्वधर्मरूप कर्म को करता हुआ मनुष्य पाप को नहीं प्राप्त होता॥,47॥,
****आपका दिन मंगलमय हो ****
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आचार्य नीरज पाराशर (वृन्दावन)
(व्याकरण,ज्योतिष,एवं पुराणाचार्य)
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