***|| जय श्री राधे ||***
*** महर्षि पाराशर पंचांग ***
*** अथ पंचांगम् ***
****ll जय श्री राधे ll****
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दिनाँक:-01/05/2022, रविवार
प्रतिपदा, शुक्ल पक्ष
वैशाख
*** *** *** *** *** *** *** (समाप्ति काल)
*** दैनिक राशिफल ***
देशे ग्रामे गृहे युद्धे सेवायां व्यवहारके।
नामराशेः प्रधानत्वं जन्मराशिं न चिन्तयेत्।।
विवाहे सर्वमाङ्गल्ये यात्रायां ग्रहगोचरे।
जन्मराशेः प्रधानत्वं नामराशिं न चिन्तयेत ।।
मेष
आज के दिन आपका व्यवहारिक दृष्टिकोण कुछ अलग रहेगा और परिवार में आपकी शान बढ़ेगी,क्योंकि आपकी बात का मान रखा जाएगा जिसे देखकर आपको प्रसन्नता होगी। वाणी पर नियंत्रण रखें। क्लेश से बचें। स्वास्थ्य का पाया कमजोर रहेगा। विवेक से कार्य करें। शेयर मार्केट व म्युचुअल फंड से लाभ होगा। स्थायी संपत्ति के कार्य बड़ा लाभ दे सकते हैं। रोजगार प्राप्ति के प्रयास सफल रहेंगे। यात्रा मनोरंजक रहेगी। समय की अनुकूलता का लाभ लें। मित्रों के साथ अच्छा समय बीतेगा। जो लोग विदेशों में जाकर बसना चाहते हैं उनको कोई शुभ सूचना सुनने को मिल सकती है,लेकिन आपको आज अपने स्वास्थ्य के प्रति भी सचेत रहना होगा,क्योंकि उसमें यदि आपको कुछ पुराना रोग चल रहा हैं,तो वह फिर से उभर सकता है। आपको आज जीवनसाथी से चल रहे वाद विवादों को समाप्त करना होगा।
तिथि——– प्रतिपदा 27:24:37 तक
पक्ष———————— शुक्ल
नक्षत्र———– भरणी 22:09:17
योग——— आयुष्मान 15:16:09
करण——- किन्स्तुघ्न 14:37:19
करण————– बव 27:24:37
वार————————-रविवार
माह———————— वैशाख
चन्द्र राशि——— मेष 28:42:49
चन्द्र राशि——————–वृषभ
सूर्य राशि———————- मेष
रितु————————- वसंत
सायन———————– ग्रीष्म
आयन—————— उत्तरायण
संवत्सर———————– नल
संवत्सर (उत्तर)—————– राक्षस
विक्रम संवत—————- 2079
विक्रम संवत (कर्तक)———–2078
शाका संवत—————- 1944
वृन्दावन
सूर्योदय————— 05:41:27
सूर्यास्त—————- 18:51:31
दिन काल————- 13:10:04
रात्री काल————- 10:49:07
चंद्रोदय—————- 06:00:39
चंद्रास्त—————- 19:27:07
लग्न—- मेष 16°28′ , 16°28′
सूर्य नक्षत्र—————— भरणी
चन्द्र नक्षत्र—————— भरणी
नक्षत्र पाया——————- स्वर्ण
*** पद, चरण ***
लू—- भरणी 09:07:06
ले—- भरणी 15:37:22
लो—- भरणी 22:09:17
अ—- कृत्तिका 28:42:49
*** ग्रह गोचर ***
ग्रह =राशी , अंश ,नक्षत्र, पद
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सूर्य=मेष 16:12 भरणी , 1 ली
चन्द्र =मेष 18°23 , भरणी, 2 लू
बुध =वृषभ 06 ° 07′ कृतिका ‘ 4 ए
शुक्र=कुम्भ 03 °05, पू o भा o ‘ 4 दी
मंगल=कुम्भ 17°30 ‘ शतभिषा’ 4 सु
गुरु=मीन 03°30 ‘ पू o भा o, 4 दी
शनि=मकर 00°33 ‘ धनिष्ठा ‘ 3 गु
राहू=(व) मेष 29°05’ कृतिका , 1 अ
केतु=(व) तुला 29°05 विशाखा , 3 ते
*** मुहूर्त प्रकरण ***
राहू काल 17:13 – 18:52 अशुभ
यम घंटा 12:16 – 13:55 अशुभ
गुली काल 15:34 – 17:13 अशुभ
अभिजित 11:50 -12:43 शुभ
दूर मुहूर्त 17:06 – 17:59 अशुभ
चोघडिया, दिन
उद्वेग 05:41 – 07:20 अशुभ
चर 07:20 – 08:59 शुभ
लाभ 08:59 – 10:38 शुभ
अमृत 10:38 – 12:16 शुभ
काल 12:16 – 13:55 अशुभ
शुभ 13:55 – 15:34 शुभ
रोग 15:34 – 17:13 अशुभ
उद्वेग 17:13 – 18:52 अशुभ
चोघडिया, रात
शुभ 18:52 – 20:13 शुभ
अमृत 20:13 – 21:34 शुभ
चर 21:34 – 22:55 शुभ
रोग 22:55 – 24:16* अशुभ
काल 24:16* – 25:37* अशुभ
लाभ 25:37* – 26:58* शुभ
उद्वेग 26:58* – 28:20* अशुभ
शुभ 28:20* – 29:41* शुभ
होरा, दिन
सूर्य 05:41 – 06:47
शुक्र 06:47 – 07:53
बुध 07:53 – 08:59
चन्द्र 08:59 – 10:05
शनि 10:05 – 11:11
बृहस्पति 11:11 – 12:16
मंगल 12:16 – 13:22
सूर्य 13:22 – 14:28
शुक्र 14:28 – 15:34
बुध 15:34 – 16:40
चन्द्र 16:40 – 17:46
शनि 17:46 – 18:52
होरा, रात
बृहस्पति 18:52 – 19:46
मंगल 19:46 – 20:40
सूर्य 20:40 – 21:34
शुक्र 21:34 – 22:28
बुध 22:28 – 23:22
चन्द्र 23:22 – 24:16
शनि 24:16* – 25:10
बृहस्पति 25:10* – 26:04
मंगल 26:04* – 26:58
सूर्य 26:58* – 27:52
शुक्र 27:52* – 28:47
बुध 28:47* – 29:41
*** उदयलग्न प्रवेशकाल ***
मेष > 04:02 से 05:52 तक
वृषभ > 05:52 से 07:42 तक
मिथुन > 07:42 से 09:57 तक
कर्क > 09:57 से 12:14 तक
सिंह > 12:14 से 14:27 तक
कन्या > 14:27 से 06:38 तक
तुला > 06:38 से 06:53 तक
वृश्चिक > 06:53 से 09:07 तक
धनु > 09:07 से 23:09 तक
मकर > 23:09 से 01:00 तक
कुम्भ > 01:00 से 02:32 तक
मीन > 02:32 से 04:02 तक
विभिन्न शहरों का रेखांतर (समय)संस्कार
(लगभग-वास्तविक समय के समीप)
दिल्ली +10मिनट——— जोधपुर -6 मिनट
जयपुर +5 मिनट—— अहमदाबाद-8 मिनट
कोटा +5 मिनट———— मुंबई-7 मिनट
लखनऊ +25 मिनट——–बीकानेर-5 मिनट
कोलकाता +54—–जैसलमेर -15 मिनट
नोट– दिन और रात्रि के चौघड़िया का आरंभ क्रमशः सूर्योदय और सूर्यास्त से होता है।
प्रत्येक चौघड़िए की अवधि डेढ़ घंटा होती है।
चर में चक्र चलाइये , उद्वेगे थलगार ।
शुभ में स्त्री श्रृंगार करे,लाभ में करो व्यापार ॥
रोग में रोगी स्नान करे ,काल करो भण्डार ।
अमृत में काम सभी करो , सहाय करो कर्तार ॥
अर्थात- चर में वाहन,मशीन आदि कार्य करें ।
उद्वेग में भूमि सम्बंधित एवं स्थायी कार्य करें ।
शुभ में स्त्री श्रृंगार ,सगाई व चूड़ा पहनना आदि कार्य करें ।
लाभ में व्यापार करें ।
रोग में जब रोगी रोग मुक्त हो जाय तो स्नान करें ।
काल में धन संग्रह करने पर धन वृद्धि होती है ।
अमृत में सभी शुभ कार्य करें ।
दिशा शूल ज्ञान————-पूर्व
परिहार-: आवश्यकतानुसार यदि यात्रा करनी हो तो घी अथवा काजू खाके यात्रा कर सकते है l
इस मंत्र का उच्चारण करें-:
शीघ्र गौतम गच्छत्वं ग्रामेषु नगरेषु च l
भोजनं वसनं यानं मार्गं मे परिकल्पय: ll
अग्नि वास ज्ञान -:
यात्रा विवाह व्रत गोचरेषु,
चोलोपनिताद्यखिलव्रतेषु ।
दुर्गाविधानेषु सुत प्रसूतौ,
नैवाग्नि चक्रं परिचिन्तनियं ।। महारुद्र व्रतेSमायां ग्रसतेन्द्वर्कास्त राहुणाम्
नित्यनैमित्यके कार्ये अग्निचक्रं न दर्शायेत् ।।
1 + 1 + 1 = 3 ÷ 4 = 3 शेष
मृत्यु लोक पर अग्नि वास हवन के लिए शुभ कारक है l
*** ग्रह मुख आहुति ज्ञान ***
सूर्य नक्षत्र से अगले 3 नक्षत्र गणना के आधार पर क्रमानुसार सूर्य , बुध , शुक्र , शनि , चन्द्र , मंगल , गुरु , राहु केतु आहुति जानें । शुभ ग्रह की आहुति हवनादि कृत्य शुभपद होता है
सूर्य ग्रह मुखहुति
शिव वास एवं फल -:
1 + 1 + 5 = 7 ÷ 7 = 0 शेष
शमशान वास = मृत्यु कारक
भद्रा वास एवं फल -:
स्वर्गे भद्रा धनं धान्यं ,पाताले च धनागम:।
मृत्युलोके यदा भद्रा सर्वकार्य विनाशिनी।।
*** विशेष जानकारी ***
* ऋषि पाराशर जयन्ती
* गुरु अंगदेव जयन्ती
* विश्व मजदूर दिवस
* विश्वहास्य दिवस
* पत्रकार दिवस
*** शुभ विचार ***
एकाहारेण सन्तुष्टः षट्कर्मनिरतः सदा ।
रीतुकालेऽभिगामी च स विप्रो द्विज उच्यते ।।
।। चा o नी o।।
वही सही में ब्राह्मण है जो केवल एक बार के भोजन से संतुष्ट रहे, जिस पर १६ संस्कार किये गए हो, जो अपनी पत्नी के साथ महीने में केवल एक दिन समागम करे. माहवारी समाप्त होने के दुसरे दिन.
*** सुभाषितानि ***
गीता -: पुरुषोत्तमयोग अo-15
यतन्तो योगिनश्चैनं पश्यन्त्यात्मन्यवस्थितम् ।,
यतन्तोऽप्यकृतात्मानो नैनं पश्यन्त्यचेतसः ॥,
यत्न करने वाले योगीजन भी अपने हृदय में स्थित इस आत्मा को तत्त्व से जानते हैं, किन्तु जिन्होंने अपने अन्तःकरण को शुद्ध नहीं किया है, ऐसे अज्ञानीजन तो यत्न करते रहने पर भी इस आत्मा को नहीं जानते॥,11॥,
*** दैनिक राशिफल ***
देशे ग्रामे गृहे युद्धे सेवायां व्यवहारके।
नामराशेः प्रधानत्वं जन्मराशिं न चिन्तयेत्।।
विवाहे सर्वमाङ्गल्ये यात्रायां ग्रहगोचरे।
जन्मराशेः प्रधानत्वं नामराशिं न चिन्तयेत ।।
*** आपका दिन मंगलमय हो ***
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आचार्य नीरज पाराशर (वृन्दावन)
(व्याकरण,ज्योतिष,एवं पुराणाचार्य)
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