FARIDABAD NEWS : योजनाओं के बीच आगरा नहर के आसपास एरिया डंपिंग ग्राउंड में तब्दील

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आगरा नहर के किनारे पड़ा हुआ कचरा। आज समाज

फरीदाबाद। (आज समाज) संदीप पराशर : जब दुनिया 2024 पेरिस ओलंपिक के लिए तैयार हो रही है, जहां उद्घाटन समारोह के दौरान नदी सीन पर नावें औरफ्लोट्स होंगी, और लंदन के टेम्स नदी पर्यटकों को आकर्षित करती है, वहीं भारत में यमुना नदी और उससे जुड़ी जल निकायों की अनदेखी और प्रदूषण जारी है। इस उपेक्षा का एक प्रमुख उदाहरण यूपी आगरा नहर है, जो फरीदाबाद से होकर गुजरती है और यमुना से जल प्राप्त करती है।
आगरा नहर शहर के कचरे के लिए डंपिंग ग्राउंड बन गई है। नगर निगम का ठोस कचरा, निर्माण मलबा, प्लास्टिक और यहां तक कि जैव चिकित्सा कचरे को नहर के किनारों पर, विशेष रूप से तिगांव रोड के पास, नियमित रूप से फेंका जाता है। निवासियों ने बताया कि टैंकर रात के अंधेरे में नहर में सीवेज खाली कर देते हैं, जिससे प्रदूषण बढ़ता है। नहर के किनारे इन टैंकरों के लिए अस्थायी पार्किंग स्थल और निर्माण सामग्री विक्रेताओं के लिए बाजार बन गए हैं।
नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल को कई शिकायतें और याचिकाएं देने के बावजूद, स्थानीय अधिकारी एक विभाग से दूसरे विभाग पर जिम्मेदारी डालते रहते हैं। फरीदाबाद नगर निगम इस क्षेत्र की देखरेख करता है, लेकिन नहर के आसपास की भूमि यूपी सरकार के अधिकार क्षेत्र में आती है, जिससे प्रवर्तन और सफाई के प्रयासों में जटिलताएं उत्पन्न होती हैं।
फरीदाबाद के लिए 2031 की अंतिम विकास योजना में नहर के किनारे एक हरित पट्टी का परिकल्पना की गई है। हालांकि, हरियाणा सरकार की 14 मार्च 2018 की अधिसूचना के अनुसार, फरीदाबाद के लिए ठोस कचरे के निपटान की निर्धारित स्थल जिला गुरुग्राम में है। फरीदाबाद को स्मार्ट सिटी में बदलने की आकांक्षाओं के बावजूद, महत्वपूर्ण पर्यावरणीय चुनौतियां बनी हुई हैं।
सामाजिक कार्यकर्ता व मामले से जुड़ी अधिवक्ता पाञ्चजन्य बत्रा सिंह ने बताया कि याचिकाकर्ताओं ने नहर के किनारे अंधाधुंध कचरे की निकासी से राहत के लिए मामले को हृत्रञ्ज के प्रधान पीठ के समक्ष प्रस्तुत किया है। सिंह ने स्थायी समाधान की तत्काल आवश्यकता पर प्रकाश डाला, यह देखते हुए कि नहर के पास आवासीय कॉलोनियां और स्कूल स्थित हैं, और इसके आस-पास की सडक़ पर कचरे के बावजूद भारी यातायात होता है।
मानसून का मौसम आने के साथ, स्थिर पानी के गड्ढों के बढऩे की संभावना है, जिससे डेंगू और मलेरिया जैसी बीमारियों के प्रकोप की चिंता बढ़ जाती है। हालांकि हृत्रञ्ज ने पहले अधिकारियों को सुधारात्मक कार्रवाई करने का निर्देश दिया था, जिसमें सीवेज को उपचार संयंत्रों में मोडऩा, तालाबों का पुनर्जीवन, और अपशिष्ट जल को हटाना शामिल है, लेकिन जमीनी स्थिति अभी भी गंभीर है। नहर का जल गुणवत्ता निम्न स्तर पर है, और फरीदाबाद के निवासी इस क्षेत्र की सफाई और सौंदर्यीकरण का बेसब्री से इंतजार कर रहे हैं।