कुंभ राशिफल 27 जून 2022

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Aquarius Horoscope 29 August 2022

***|| जय श्री राधे ||***

*** महर्षि पाराशर पंचांग ***
*** अथ पंचांगम् ***
****ll जय श्री राधे ll****
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दिनाँक:-27/06/2022, सोमवार
चतुर्दशी, कृष्ण पक्ष,
आषाढ़
“””””””””””””””””””””””””””””””””””””””””(समाप्ति काल)

** दैनिक राशिफल **

देशे ग्रामे गृहे युद्धे सेवायां व्यवहारके।
नामराशेः प्रधानत्वं जन्मराशिं न चिन्तयेत्।।
विवाहे सर्वमाङ्गल्ये यात्रायां ग्रहगोचरे।
जन्मराशेः प्रधानत्वं नामराशिं न चिन्तयेत ।।

कुंभ 

आज का दिन आपके लिए मिश्रित रूप से फलदायक रहने वाला है। नौकरीपेशा लोगों को अपने अधिकारियों द्वारा कोई नया पदभार सौंपा जाएगा। व्ययवृद्धि से तनाव रहेगा। किसी व्यक्ति के उकसावे में न आएं। विवाद से बचें। पारिवारिक चिंता बनी रहेगी। काम में मन नहीं लगेगा। व्यापार ठीक चलेगा। आय होगी। विवेक का प्रयोग करें। जोखिम व जमानत के कार्य टालें। मित्रों का सहयोग प्राप्त होगा। यदि आप किसी नए कार्य में हाथ डालेंगे, तो उसे पूरा करके ही दम लेंगे। जो लोग सामाजिक क्षेत्रों में कार्यरत हैं, उन्हें अपने आसपास रह रहे लोगों से सावधान रहना होगा, क्योंकि वह उनकी छवि खराब करने की पूरी कोशिश करेंगे। आप अपने आस-पड़ोस के लोगों से मेलजोल बढ़ाने में कामयाब रहेंगे। कार्यक्षेत्र में आपको आमदनी के कुछ नए स्त्रोत प्राप्त होंगे, जिन पर अमल करके आप अपनी आर्थिक स्थिति को मजबूत करने में सफल रहेंगे।

तिथि————- चतुर्दशी अहोरात्र तक
पक्ष————————- कृष्ण
नक्षत्र——— रोहिणी 16:00:59
योग————- शूल 06:45:19
करण——–विष्टि भद्र 16:37:31
वार————————सोमवार
माह————————आषाढ
चन्द्र राशि——————- वृषभ
सूर्य राशि——————- मिथुन
रितु————————– ग्रीष्म
सायन———————— वर्षा
सायन—————– दक्षिणायण
संवत्सर———————– नल
संवत्सर (उत्तर)—————- राक्षस
विक्रम संवत—————- 2079
विक्रम संवत (कर्तक)——— 2078
शक संवत—————– 1944

वृन्दावन
सूर्योदय————— 05:27:17
सूर्यास्त————— 19:17:13
दिन काल————- 13:49:56
रात्री काल————- 10:10:22
चंद्रोदय—————- 05:46:29
चंद्रास्त—————- 18:02:56

लग्न—-मिथुन 11°11′ , 71°11′

सूर्य नक्षत्र—————— आर्द्रा
चन्द्र नक्षत्र——————रोहिणी
नक्षत्र पाया——————- लोहा

*** पद, चरण ***

वी—- रोहिणी 09:16:02

वु—- रोहिणी 16:00:59

वे—- मृगशिरा 22:46:21

*** ग्रह गोचर ***

ग्रह =राशी , अंश ,नक्षत्र, पद
==========================
सूर्य=मिथुन 11:12 आर्द्रा , 2 घ
चन्द्र = वृषभ 18°23 भरणी, 3 वी
बुध =वृषभ 21 ° 07′ रोहिणी ‘ 4 वू
शुक्र=वृषभ 10°05, रोहिणी ‘ 1 ओ
मंगल=मेष 00°30 ‘ अश्विनी ‘ 1 चू
गुरु=मीन 12°30 ‘ उ o भा o, 3 झ
शनि=कुम्भ 00°33 ‘ उ o भा o ‘ 3 गु
राहू=(व) मेष 26°00’ भरणी , 4 लो
केतु=(व) तुला 26°00 विशाखा , 2 तू

*** मुहूर्त प्रकरण ***

राहू काल 07:11 – 08:55 अशुभ
यम घंटा 10:39 – 12:22 अशुभ
गुली काल 14:06 – 15:50 अशुभ
अभिजित 11:55 – 12:50 शुभ
दूर मुहूर्त 12:50 – 13:45 अशुभ
दूर मुहूर्त 15:36 – 16:31 अशुभ

*** चोघडिया, दिन
अमृत 05:27 – 07:11 शुभ
काल 07:11 – 08:55 अशुभ
शुभ 08:55 – 10:39 शुभ
रोग 10:39 – 12:22 अशुभ
उद्वेग 12:22 – 14:06 अशुभ
चर 14:06 – 15:50 शुभ
लाभ 15:50 – 17:33 शुभ
अमृत 17:33 – 19:17 शुभ

*** चोघडिया, रात
चर 19:17 – 20:34 शुभ
रोग 20:34 – 21:50 अशुभ
काल 21:50 – 23:06 अशुभ
लाभ 23:06 – 24:22* शुभ
उद्वेग 24:22* – 25:39* अशुभ
शुभ 25:39* – 26:55* शुभ
अमृत 26:55* – 28:11* शुभ
चर 28:11* – 29:28* शुभ

*** होरा, दिन
चन्द्र 05:27 – 06:36
शनि 06:36 – 07:46
बृहस्पति 07:46 – 08:55
मंगल 08:55 – 10:04
सूर्य 10:04 – 11:13
शुक्र 11:13 – 12:22
बुध 12:22 – 13:31
चन्द्र 13:31 – 14:41
शनि 14:41 – 15:50
बृहस्पति 15:50 – 16:59
मंगल 16:59 – 18:08
सूर्य 18:08 – 19:17

*** होरा, रात
शुक्र 19:17 – 20:08
बुध 20:08 – 20:59
चन्द्र 20:59 – 21:50
शनि 21:50 – 22:41
बृहस्पति 22:41 – 23:32
मंगल 23:32 – 24:22
सूर्य 24:22* – 25:13
शुक्र 25:13* – 26:04
बुध 26:04* – 26:55
चन्द्र 26:55* – 27:46
शनि 27:46* – 28:37
बृहस्पति 28:37* – 29:28

*** उदयलग्न प्रवेशकाल ***

मिथुन > 04:52 से 06:08 तक
कर्क > 06:08 से 08:32 तक
सिंह > 08:32 से 10:36 तक
कन्या > 10:36 से 12:52 तक
तुला > 12:52 से 15:07 तक
वृश्चिक > 15:07 से 17:22 तक
धनु > 17:22 से 19:32 तक
मकर > 19:32 से 21:14 तक
कुम्भ > 21:14 से 22:48 तक
मीन > 22:48 से 23:14 तक
मेष > 23:14 से 01:58 तक
वृषभ > 01:58 से 04:52 तक

*** विभिन्न शहरों का रेखांतर (समय)संस्कार

(लगभग-वास्तविक समय के समीप)
दिल्ली +10मिनट——— जोधपुर -6 मिनट
जयपुर +5 मिनट—— अहमदाबाद-8 मिनट
कोटा +5 मिनट———— मुंबई-7 मिनट
लखनऊ +25 मिनट——–बीकानेर-5 मिनट
कोलकाता +54—–जैसलमेर -15 मिनट

नोट– दिन और रात्रि के चौघड़िया का आरंभ क्रमशः सूर्योदय और सूर्यास्त से होता है।
प्रत्येक चौघड़िए की अवधि डेढ़ घंटा होती है।
चर में चक्र चलाइये , उद्वेगे थलगार ।
शुभ में स्त्री श्रृंगार करे,लाभ में करो व्यापार ॥
रोग में रोगी स्नान करे ,काल करो भण्डार ।
अमृत में काम सभी करो , सहाय करो कर्तार ॥
अर्थात- चर में वाहन,मशीन आदि कार्य करें ।
उद्वेग में भूमि सम्बंधित एवं स्थायी कार्य करें ।
शुभ में स्त्री श्रृंगार ,सगाई व चूड़ा पहनना आदि कार्य करें ।
लाभ में व्यापार करें ।
रोग में जब रोगी रोग मुक्त हो जाय तो स्नान करें ।
काल में धन संग्रह करने पर धन वृद्धि होती है ।
अमृत में सभी शुभ कार्य करें ।

*** दिशा शूल ज्ञान————-पूर्व
परिहार-: आवश्यकतानुसार यदि यात्रा करनी हो तो घी अथवा काजू खाके यात्रा कर सकते है l
इस मंत्र का उच्चारण करें-:
शीघ्र गौतम गच्छत्वं ग्रामेषु नगरेषु च l
भोजनं वसनं यानं मार्गं मे परिकल्पय: ll

*** अग्नि वास ज्ञान -:
यात्रा विवाह व्रत गोचरेषु,
चोलोपनिताद्यखिलव्रतेषु ।
दुर्गाविधानेषु सुत प्रसूतौ,
नैवाग्नि चक्रं परिचिन्तनियं ।। महारुद्र व्रतेSमायां ग्रसतेन्द्वर्कास्त राहुणाम्
नित्यनैमित्यके कार्ये अग्निचक्रं न दर्शायेत् ।।

15 + 14 + 2 + 1 = 32 ÷ 4 = 0 शेष
मृत्यु लोक पर अग्नि वास हवन के लिए शुभ कारक है l

*** ग्रह मुख आहुति ज्ञान ***

सूर्य नक्षत्र से अगले 3 नक्षत्र गणना के आधार पर क्रमानुसार सूर्य , बुध , शुक्र , शनि , चन्द्र , मंगल , गुरु , राहु केतु आहुति जानें । शुभ ग्रह की आहुति हवनादि कृत्य शुभपद होता है

केतु ग्रह मुखहुति

*** शिव वास एवं फल -:

29 + 29 + 5 = 63 ÷ 7 = 0 शेष

शमशान वास = मृत्यु कारक

***भद्रा वास एवं फल -:

स्वर्गे भद्रा धनं धान्यं ,पाताले च धनागम:।
मृत्युलोके यदा भद्रा सर्वकार्य विनाशिनी।।

सांय 16:37 तक समाप्त

स्वर्ग लोक = शुभ कारक

*** विशेष जानकारी ***

*सर्वार्थ सिद्धि ,अमृत सिद्धि योग 14:38 तक

*मासिक शिवरात्रि

*** शुभ विचार ***

यावत्स्वस्थो ह्ययं देहो यावन्मृत्युश्च दूरतः ।
तावदात्महितं कुर्यात् प्राणान्ते किं करिष्यति।।
।। चा o नी o।।

जब आपका शरीर स्वस्थ है और आपके नियंत्रण में है उसी समय आत्मसाक्षात्कार का उपाय कर लेना चाहिए क्योंकि मृत्यु हो जाने के बाद कोई कुछ नहीं कर सकता है.

*** सुभाषितानि ***

गीता -: मोक्षसान्यांसयोग अo-18

सन्न्यासस्य महाबाहो तत्त्वमिच्छामि वेदितुम्‌ ।,
त्यागस्य च हृषीकेश पृथक्केशिनिषूदन ॥,

अर्जुन बोले- हे महाबाहो! हे अन्तर्यामिन्‌! हे वासुदेव! मैं संन्यास और त्याग के तत्व को पृथक्‌-पृथक्‌ जानना चाहता हूँ॥,1॥,

*आपका दिन मंगलमय हो*
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आचार्य नीरज पाराशर (वृन्दावन)
(व्याकरण,ज्योतिष,एवं पुराणाचार्य)

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