कुंभ राशिफल 26 जून 2022

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Aquarius Horoscope

***|| जय श्री राधे ||***

*** महर्षि पाराशर पंचांग ***
*** अथ पंचांगम् ***
****ll जय श्री राधे ll****
********************

दिनाँक:- 26/06/2022, रविवार
त्रयोदशी, कृष्ण पक्ष,
आषाढ़
“”””””””””””””””””””””””””””””(समाप्ति काल)

** दैनिक राशिफल **

देशे ग्रामे गृहे युद्धे सेवायां व्यवहारके।
नामराशेः प्रधानत्वं जन्मराशिं न चिन्तयेत्।।
विवाहे सर्वमाङ्गल्ये यात्रायां ग्रहगोचरे।
जन्मराशेः प्रधानत्वं नामराशिं न चिन्तयेत ।।

कुंभ

आज का दिन आपका किसी भूमि, वाहन और मकान आदि को खरीदने का सपना पूरा होगा। आपकी सांसारिक सुख भोग के साधनों में भी वृद्धि होगी और नौकर चाकरों का भी भरपूर सहयोग मिलेगा। पारिवारिक चिंता बनी रहेगी। अनहोनी की आशंका रहेगी। शत्रुभय रहेगा। कानूनी अड़चन दूर होगी। जीवनसाथी से सहयोग प्राप्त होगा। कारोबार में वृद्धि होगी। नौकरी में अधिकारी प्रसन्न रहेंगे। रुके हुए कार्यों में गति आएगी। घर-बाहर सभी अपेक्षित कार्य पूर्ण होंगे। दूसरों के कार्य की जवाबदारी न लें। आपको आज किसी विपरीत परिस्थिति में अक्समात यात्रा पर जाना पड़ सकता है। परिवार में भाइयों में कुछ तनातनी रहेगी, जो पारिवारिक कलह का कारण बनेगी। पिताजी को कोई नेत्रों से संबंधित समस्या भी हो सकती है। प्रेम जीवन जी रहे लोग अपने साथी के प्रेम में डूबे नजर आएंगे।

तिथि——- त्रयोदशी 27:25:14 तक
पक्ष———————– कृष्ण
नक्षत्र——— कृत्तिका 13:04:45
योग————– धृति 05:52:11
करण————– गर 14:15:32
करण———– वणिज 27:25:14
वार———————— रविवार
माह———————— आषाढ
चन्द्र राशि—————— वृषभ
सूर्य राशि—————— मिथुन
रितु————————- ग्रीष्म
सायन————————- वर्षा
आयन——————- उत्तरायण
सायन——————दक्षिणायण
संवत्सर———————– नल
संवत्सर (उत्तर) ——————-राक्षस
विक्रम संवत—————–2079
विक्रम संवत (कर्तक)——— 2078
शक संवत—————— 1944

वृन्दावन
सूर्योदय————— 05:26:59
सूर्यास्त—————- 19:17:07
दिन काल————- 13:50:08
रात्री काल————- 10:10:09
चंद्रास्त—————- 17:07:19
चंद्रोदय—————- 27:44:14

लग्न—- मिथुन 10°14′ , 70°14′

सूर्य नक्षत्र——————- आर्द्रा
चन्द्र नक्षत्र—————- कृतिका
नक्षत्र पाया——————- लोहा

*** पद, चरण ***

उ—- कृत्तिका 06:22:35

ए—- कृत्तिका 13:04:45

ओ—- रोहिणी 19:47:48

वा—- रोहिणी 26:31:36

*** ग्रह गोचर ***

ग्रह =राशी , अंश ,नक्षत्र, पद
==========================
सूर्य=मिथुन 10:12 आर्द्रा , 2 घ
चन्द्र = वृषभ 24°23 भरणी, 4 लो
बुध =वृषभ 19 ° 07′ रोहिणी ‘ 3 वी
शुक्र=वृषभ 09°05, कृतिका ‘ 4 ए
मंगल=मीन 29°30 ‘ रेवती ‘ 4 ची
गुरु=मीन 12°30 ‘ उ o भा o, 3 झ
शनि=कुम्भ 00°33 ‘ उ o भा o ‘ 3 गु
राहू=(व) मेष 26°10’ भरणी , 4 लो
केतु=(व) तुला 26°10 विशाखा , 2 तू

*** मुहूर्त प्रकरण ***

राहू काल 17:33 – 19:17 अशुभ
यम घंटा 12:22 – 14:06 अशुभ
गुली काल 15:50 – 17:33 अशुभ
अभिजित 11:54 -12:50 शुभ
दूर मुहूर्त 17:26 – 18:22 अशुभ

***चोघडिया, दिन
उद्वेग 05:27 – 07:11 अशुभ
चर 07:11 – 08:55 शुभ
लाभ 08:55 – 10:38 शुभ
अमृत 10:38 – 12:22 शुभ
काल 12:22 – 14:06 अशुभ
शुभ 14:06 – 15:50 शुभ
रोग 15:50 – 17:33 अशुभ
उद्वेग 17:33 – 19:17 अशुभ

***चोघडिया, रात
शुभ 19:17 – 20:33 शुभ
अमृत 20:33 – 21:50 शुभ
चर 21:50 – 23:06 शुभ
रोग 23:06 – 24:22* अशुभ
काल 24:22* – 25:38* अशुभ
लाभ 25:38* – 26:55* शुभ
उद्वेग 26:55* – 28:11* अशुभ
शुभ 28:11* – 29:27* शुभ

***होरा, दिन
सूर्य 05:27 – 06:36
शुक्र 06:36 – 07:45
बुध 07:45 – 08:55
चन्द्र 08:55 – 10:04
शनि 10:04 – 11:13
बृहस्पति 11:13 – 12:22
मंगल 12:22 – 13:31
सूर्य 13:31 – 14:40
शुक्र 14:40 – 15:50
बुध 15:50 – 16:59
चन्द्र 16:59 – 18:08
शनि 18:08 – 19:17

***होरा, रात
बृहस्पति 19:17 – 20:08
मंगल 20:08 – 20:59
सूर्य 20:59 – 21:50
शुक्र 21:50 – 22:41
बुध 22:41 – 23:31
चन्द्र 23:31 – 24:22
शनि 24:22* – 25:13
बृहस्पति 25:13* – 26:04
मंगल 26:04* – 26:55
सूर्य 26:55* – 27:46
शुक्र 27:46* – 28:36
बुध 28:36* – 29:27

*** उदयलग्न प्रवेशकाल ***

मिथुन > 04:56 से 06:12 तक
कर्क > 06:12 से 08:36 तक
सिंह > 08:36 से 10:40 तक
कन्या > 10:40 से 12:56 तक
तुला > 12:56 से 15:11 तक
वृश्चिक > 15:11 से 17:26 तक
धनु > 17:26 से 19:36 तक
मकर > 19:36 से 21:18 तक
कुम्भ > 21:18 से 22:52 तक
मीन > 22:52 से 00:18 तक
मेष > 00:18 से 02:02 तक
वृषभ > 02:02 से 03:56 तक

***विभिन्न शहरों का रेखांतर (समय)संस्कार

(लगभग-वास्तविक समय के समीप)
दिल्ली +10मिनट——— जोधपुर -6 मिनट
जयपुर +5 मिनट—— अहमदाबाद-8 मिनट
कोटा +5 मिनट———— मुंबई-7 मिनट
लखनऊ +25 मिनट——–बीकानेर-5 मिनट
कोलकाता +54—–जैसलमेर -15 मिनट

नोट– दिन और रात्रि के चौघड़िया का आरंभ क्रमशः सूर्योदय और सूर्यास्त से होता है।
प्रत्येक चौघड़िए की अवधि डेढ़ घंटा होती है।
चर में चक्र चलाइये , उद्वेगे थलगार ।
शुभ में स्त्री श्रृंगार करे,लाभ में करो व्यापार ॥
रोग में रोगी स्नान करे ,काल करो भण्डार ।
अमृत में काम सभी करो , सहाय करो कर्तार ॥
अर्थात- चर में वाहन,मशीन आदि कार्य करें ।
उद्वेग में भूमि सम्बंधित एवं स्थायी कार्य करें ।
शुभ में स्त्री श्रृंगार ,सगाई व चूड़ा पहनना आदि कार्य करें ।
लाभ में व्यापार करें ।
रोग में जब रोगी रोग मुक्त हो जाय तो स्नान करें ।
काल में धन संग्रह करने पर धन वृद्धि होती है ।
अमृत में सभी शुभ कार्य करें ।

***दिशा शूल ज्ञान————-पश्चिम
परिहार-: आवश्यकतानुसार यदि यात्रा करनी हो तो घी अथवा चिरौजी खाके यात्रा कर सकते है l
इस मंत्र का उच्चारण करें-:
शीघ्र गौतम गच्छत्वं ग्रामेषु नगरेषु च l
भोजनं वसनं यानं मार्गं मे परिकल्पय: ll

*** अग्नि वास ज्ञान -:
यात्रा विवाह व्रत गोचरेषु,
चोलोपनिताद्यखिलव्रतेषु ।
दुर्गाविधानेषु सुत प्रसूतौ,
नैवाग्नि चक्रं परिचिन्तनियं ।। महारुद्र व्रतेSमायां ग्रसतेन्द्वर्कास्त राहुणाम्
नित्यनैमित्यके कार्ये अग्निचक्रं न दर्शायेत् ।।

15 + 13 + 1 + 1 = 30 ÷ 4 = 2 शेष
आकाश लोक पर अग्नि वास हवन के लिए अशुभ कारक है l

*** ग्रह मुख आहुति ज्ञान ***

सूर्य नक्षत्र से अगले 3 नक्षत्र गणना के आधार पर क्रमानुसार सूर्य , बुध , शुक्र , शनि , चन्द्र , मंगल , गुरु , राहु केतु आहुति जानें । शुभ ग्रह की आहुति हवनादि कृत्य शुभपद होता है

केतु ग्रह मुखहुति

*** शिव वास एवं फल -:

28 + 28 + 5 = 61 ÷ 7 = 5 शेष

ज्ञानवेलायां = कष्ट कारक

***भद्रा वास एवं फल -:

स्वर्गे भद्रा धनं धान्यं ,पाताले च धनागम:।
मृत्युलोके यदा भद्रा सर्वकार्य विनाशिनी।।

रात्रि 27:25 से प्रारम्भ

स्वर्ग लोक = शुभ कारक

*** विशेष जानकारी ***

*प्रदोष व्रत (शिव पूजन)

*रोहिणी व्रत

*** शुभ विचार ***

कामधेनुगुण विद्या ह्यकाले फलदायिनी ।
प्रवासे मातृसदृशी विद्या गुप्तं धनं स्मृतम् ।।
।। चा o नी o।।

विद्या अर्जन करना यह एक कामधेनु के समान है जो हर मौसम में अमृत प्रदान करती है. वह विदेश में माता के समान रक्षक अवं हितकारी होती है. इसीलिए विद्या को एक गुप्त धन कहा जाता है.

*** सुभाषितानि ***

गीता -: श्रद्धात्रयविभागयोग अo-17

अश्रद्धया हुतं दत्तं तपस्तप्तं कृतं च यत्‌।,
असदित्युच्यते पार्थ न च तत्प्रेत्य नो इह॥,

हे अर्जुन! बिना श्रद्धा के किया हुआ हवन, दिया हुआ दान एवं तपा हुआ तप और जो कुछ भी किया हुआ शुभ कर्म है- वह समस्त ‘असत्‌’- इस प्रकार कहा जाता है, इसलिए वह न तो इस लोक में लाभदायक है और न मरने के बाद ही॥,28॥,

*आपका दिन मंगलमय हो*
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आचार्य नीरज पाराशर (वृन्दावन)
(व्याकरण,ज्योतिष,एवं पुराणाचार्य)

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