कुंभ राशिफल 22 जुलाई 2022

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Aquarius Horoscope

***|| जय श्री राधे ||***

** महर्षि पाराशर पंचांग **
*** अथ पंचांगम् ***
****ll जय श्री राधे ll****
*******************

दिनाँक:-22/07/2022, शुक्रवार
नवमी, कृष्ण पक्ष,
श्रावण
“”””””””””””””””””””””””””””””””””””””””(समाप्ति काल)

*** दैनिक राशिफल ***

देशे ग्रामे गृहे युद्धे सेवायां व्यवहारके।
नामराशेः प्रधानत्वं जन्मराशिं न चिन्तयेत्।।
विवाहे सर्वमाङ्गल्ये यात्रायां ग्रहगोचरे।
जन्मराशेः प्रधानत्वं नामराशिं न चिन्तयेत ।।

कुंभ 

आज आपको अपने स्वास्थ्य के प्रति कोई लापरवाही नहीं बरतनी है। यदि आपने ऐसा किया, तो बाद में आप किसी बड़ी बीमारी का शिकार हो सकते हैं। स्वास्थ्य का पाया कमजोर रहेगा। चोट व दुर्घटना से हानि संभव है। कार्य करते समय लापरवाही न करें। बनते कामों में बाधा हो सकती है। विवाद से बचें। काम में मन नहीं लगेगा। किसी व्यक्ति के उकसाने में न आएं। विवेक का प्रयोग करें। आय बनी रहेगी। पारिवारिक सहयोग मिलेगा। व्यापार ठीक चलेगा। आपका कोई अपना आपको समय पर मदद ना करने के कारण आपका मन दुखी रहेगा। कार्यक्षेत्र में आपके जिम्मेदारियों का बोझ बढ़ सकता है, इसलिए आपको किसी भी कार्य को जल्दबाजी में नहीं करना है वह सोच विचारकर करना बेहतर रहेगा। व्यापार में आ रही समस्याओं के लिए आपको किसी वरिष्ठ सदस्य से सलाह मशवरा करना होगा।

तिथि———– नवमी 09:31:43 तक
पक्ष————————- कृष्ण
नक्षत्र———– भरणी 16:23:34
योग————– शूल 12:28:58
करण————– गर 09:31:43
करण———– वणिज 22:25:33
वार———————– शुक्रवार
माह———————— श्रावण
चन्द्र राशि——— मेष 23:00:42
चन्द्र राशि——————- वृषभ
सूर्य राशि——————- कर्क
रितु————————– वर्षा
आयन——————दक्षिणायण
संवत्सर——————- शुभकृत
संवत्सर (उत्तर)——————— नल
विक्रम संवत—————- 2079
विक्रम संवत (कर्तक)——— 2078
शक संवत—————— 1944

वृन्दावन
सूर्योदय————— 05:38:17
सूर्यास्त————— 19:12:48
दिन काल————- 13:34:31
रात्री काल———— 10:26:00
चंद्रास्त—————- 14:06:01
चंद्रोदय—————- 25:05:23

लग्न—- कर्क 5°2′ , 95°2′

सूर्य नक्षत्र——————– पुष्य
चन्द्र नक्षत्र—————— भरणी
नक्षत्र पाया——————- स्वर्ण

**** पद, चरण ****

ले—- भरणी 09:48:22

लो—- भरणी 16:23:34

अ—- कृत्तिका 23:00:42

**** ग्रह गोचर ****

ग्रह =राशी , अंश ,नक्षत्र, पद
==========================
सूर्य=कर्क 05:12 पुष्य , 1 हु
चन्द्र = मेष 21 °23, भरणी , 3 ले
बुध =कर्क 10 ° 07′ पुष्य ‘ 3 हो
शुक्र=मिथुन 10°05, आर्द्रा ‘ 2 घ
मंगल=मेष 17°30 ‘ भरणी ‘ 2 लू
गुरु=मीन 15°30 ‘ उ o भा o, 4 ञ
शनि=कुम्भ 29°33 ‘ धनिष्ठा ‘ 2 गी
राहू=(व) मेष 24°30’ भरणी , 4 लो
केतु=(व) तुला 24°30 विशाखा , 2 तू

**** मुहूर्त प्रकरण ****

राहू काल 10:44 – 12:26 अशुभ
यम घंटा 15:49 – 17:31 अशुभ
गुली काल 07:20 – 09: 02अशुभ
अभिजित 11:58 – 12:53 शुभ
दूर मुहूर्त 08:21 – 09:15 अशुभ
दूर मुहूर्त 12:53 – 13:47 अशुभ

**** चोघडिया, दिन
चर 05:38 – 07:20 शुभ
लाभ 07:20 – 09:02 शुभ
अमृत 09:02 – 10:44 शुभ
काल 10:44 – 12:26 अशुभ
शुभ 12:26 – 14:07 शुभ
रोग 14:07 – 15:49 अशुभ
उद्वेग 15:49 – 17:31 अशुभ
चर 17:31 – 19:13 शुभ

**** चोघडिया, रात
रोग 19:13 – 20:31 अशुभ
काल 20:31 – 21:49 अशुभ
लाभ 21:49 – 23:08 शुभ
उद्वेग 23:08 – 24:26* अशुभ
शुभ 24:26* – 25:44* शुभ
अमृत 25:44* – 27:02* शुभ
चर 27:02* – 28:21* शुभ
रोग 28:21* – 29:39* अशुभ

**** होरा, दिन
शुक्र 05:38 – 06:46
बुध 06:46 – 07:54
चन्द्र 07:54 – 09:02
शनि 09:02 – 10:10
बृहस्पति 10:10 – 11:18
मंगल 11:18 – 12:26
सूर्य 12:26 – 13:33
शुक्र 13:33 – 14:41
बुध 14:41 – 15:49
चन्द्र 15:49 – 16:57
शनि 16:57 – 18:05
बृहस्पति 18:05 – 19:13

**** होरा, रात
मंगल 19:13 – 20:05
सूर्य 20:05 – 20:57
शुक्र 20:57 – 21:49
बुध 21:49 – 22:41
चन्द्र 22:41 – 23:34
शनि 23:34 – 24:26
बृहस्पति 24:26* – 25:18
मंगल 25:18* – 26:10
सूर्य 26:10* – 27:02
शुक्र 27:02* – 27:54
बुध 27:54* – 28:47
चन्द्र 28:47* – 29:39

**** उदयलग्न प्रवेशकाल ****

कर्क > 04:36 से 06:44 तक
सिंह > 06:44 से 09:00 तक
कन्या > 09:00 से 11:10 तक
तुला > 11:10 से 13:25 तक
वृश्चिक > 13:25 से 15:38 तक
धनु > 15:38 से 17:56 तक
मकर > 17:56 से 19:38 तक
कुम्भ > 19:38 से 21:12 तक
मीन > 21:12 से 21:46 तक
मेष > 21:46 से 00:18 तक
वृषभ > 00:18 से 02:09 तक
मिथुन > 02:09 से 04:36 तक

**** विभिन्न शहरों का रेखांतर (समय)संस्कार

(लगभग-वास्तविक समय के समीप)
दिल्ली +10मिनट——— जोधपुर -6 मिनट
जयपुर +5 मिनट—— अहमदाबाद-8 मिनट
कोटा +5 मिनट———— मुंबई-7 मिनट
लखनऊ +25 मिनट——–बीकानेर-5 मिनट
कोलकाता +54—–जैसलमेर -15 मिनट

नोट— दिन और रात्रि के चौघड़िया का आरंभ क्रमशः सूर्योदय और सूर्यास्त से होता है।
प्रत्येक चौघड़िए की अवधि डेढ़ घंटा होती है।
चर में चक्र चलाइये , उद्वेगे थलगार ।
शुभ में स्त्री श्रृंगार करे,लाभ में करो व्यापार ॥
रोग में रोगी स्नान करे ,काल करो भण्डार ।
अमृत में काम सभी करो , सहाय करो कर्तार ॥
अर्थात- चर में वाहन,मशीन आदि कार्य करें ।
उद्वेग में भूमि सम्बंधित एवं स्थायी कार्य करें ।
शुभ में स्त्री श्रृंगार ,सगाई व चूड़ा पहनना आदि कार्य करें ।
लाभ में व्यापार करें ।
रोग में जब रोगी रोग मुक्त हो जाय तो स्नान करें ।
काल में धन संग्रह करने पर धन वृद्धि होती है ।
अमृत में सभी शुभ कार्य करें ।

**** दिशा शूल ज्ञान————-पश्चिम
परिहार-: आवश्यकतानुसार यदि यात्रा करनी हो तो घी अथवा काजू खाके यात्रा कर सकते है l
इस मंत्र का उच्चारण करें-:
शीघ्र गौतम गच्छत्वं ग्रामेषु नगरेषु च l
भोजनं वसनं यानं मार्गं मे परिकल्पय: ll

**** अग्नि वास ज्ञान -:
यात्रा विवाह व्रत गोचरेषु,
चोलोपनिताद्यखिलव्रतेषु ।
दुर्गाविधानेषु सुत प्रसूतौ,
नैवाग्नि चक्रं परिचिन्तनियं ।। महारुद्र व्रतेSमायां ग्रसतेन्द्वर्कास्त राहुणाम्
नित्यनैमित्यके कार्ये अग्निचक्रं न दर्शायेत् ।।

15 + 9 + 6 + 1 = 31 ÷ 4 = 3 शेष
मृत्यु लोक पर अग्नि वास हवन के लिए शुभ कारक है l

**** ग्रह मुख आहुति ज्ञान ****

सूर्य नक्षत्र से अगले 3 नक्षत्र गणना के आधार पर क्रमानुसार सूर्य , बुध , शुक्र , शनि , चन्द्र , मंगल , गुरु , राहु केतु आहुति जानें । शुभ ग्रह की आहुति हवनादि कृत्य शुभपद होता है

राहु ग्रह मुखहुति

**** शिव वास एवं फल -:

24 + 24 + 5 = 53 ÷ 7 = 4 शेष

सभायां = संताप कारक

**** भद्रा वास एवं फल -:

स्वर्गे भद्रा धनं धान्यं ,पाताले च धनागम:।
मृत्युलोके यदा भद्रा सर्वकार्य विनाशिनी।।

रात्रि 22:29 से प्रारम्भ

स्वर्ग लोक = शुभ कारक

**** विशेष जानकारी ****

* गुरु हरिकिशन जयन्ती

**** शुभ विचार ****

किं तया क्रियते धेन्वा या न दोग्ध्री न गर्भिणी ।
कोऽर्थः पुत्रेण जातेन यो न विद्वान्न भक्तिमान् ।।
।। चा o नी o।।

वह गाय किस काम की जो ना तो दूध देती है ना तो बच्चे को जन्म देती है. उसी प्रकार उस बच्चे का जन्म किस काम का जो ना ही विद्वान हुआ ना ही भगवान् का भक्त हुआ.

**** सुभाषितानि ****

गीता -: मोक्षसान्यांसयोग अo-18

मुक्तसङ्‍गोऽनहंवादी धृत्युत्साहसमन्वितः ।,
सिद्धयसिद्धयोर्निर्विकारः कर्ता सात्त्विक उच्यते॥,

जो कर्ता संगरहित, अहंकार के वचन न बोलने वाला, धैर्य और उत्साह से युक्त तथा कार्य के सिद्ध होने और न होने में हर्ष -शोकादि विकारों से रहित है- वह सात्त्विक कहा जाता है॥,26॥,

****आपका दिन मंगलमय हो ****
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आचार्य नीरज पाराशर (वृन्दावन)
(व्याकरण,ज्योतिष,एवं पुराणाचार्य)

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