कुंभ राशिफल 21 मई 2022

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कुंभ राशिफल 21 मई 2022

***|| जय श्री राधे ||***

*** महर्षि पाराशर पंचांग ***
*** अथ पंचांगम् ***
****ll जय श्री राधे ll****
*** *** *** *** *** *** ***

दिनाँक:-21/05/2022, शनिवार
षष्ठी, कृष्ण पक्ष
ज्येष्ठ
“”””””””””””””””””””””””””””””””””””””””””(समाप्ति काल)

*** दैनिक राशिफल ***

देशे ग्रामे गृहे युद्धे सेवायां व्यवहारके।
नामराशेः प्रधानत्वं जन्मराशिं न चिन्तयेत्।।
विवाहे सर्वमाङ्गल्ये यात्रायां ग्रहगोचरे।
जन्मराशेः प्रधानत्वं नामराशिं न चिन्तयेत ।।

कुंभ

आज का दिन आपके लिए भाग्य के दृष्टिकोण से उत्तम रहेगा। किसी आनंदोत्सव में भाग लेने का अवसर मिलेगा। रचनात्मक कार्य सफल रहेंगे। व्यवसाय ठीक चलेगा। कामकाज में धैर्य रखने से सफलता मिल सकेगी। योजनाएं फलीभूत होंगी। मित्रों में आपका वर्चस्व बढ़ेगा। स्वास्थ्य की ओर ध्यान दें। कार्यक्षेत्र में आपको अपने शत्रुओं की चिंता करने की कोई आवश्यकता नहीं है। वह आपस में लड़कर भी नष्ट हो जाएंगे। आपका कोई लंबे समय से रुका हुआ कार्य पूर्ण होगा, जिसके लिए आप परेशान थे। संतान की शिक्षा से संबंधित आपको कोई समस्या हो सकती है, जिसके समाधान के लिए आपको उनके गुरुजनों से बातचीत करनी होगी। नौकरी में कार्यरत लोगों को पदोन्नति प्राप्त हो सकती है। माता जी के साथ आप कुछ समय अकेले में व्यतीत करेंगे।

तिथि————- षष्ठी 14:58:33 तक
पक्ष————————- कृष्ण
नक्षत्र———– श्रवण 23:45:14
योग———— शुक्ल 08:09:49
योग————– ब्रह्म 29:20:05
करण———– वणिज 14:58:33
करण——- विष्टि भद्र 25:54:43
वार———————– शनिवार
माह————————– ज्येष्ठ
चन्द्र राशि——————– मकर
सूर्य राशि——————— वृषभ
रितु————————- ग्रीष्म
आयन—————— उत्तरायण
संवत्सर———————– नल
संवत्सर (उत्तर)—————– राक्षस
विक्रम संवत—————–2079
विक्रम संवत (कर्तक)———–2078
शाका संवत—————- 1944

वृन्दावन
सूर्योदय————— 05:28:50
सूर्यास्त—————- 19:03:03
दिन काल————- 13:34:13
रात्री काल————- 10:25:21
चंद्रास्त————— 10:27:28
चंद्रोदय————— 24:35:05

लग्न—- वृषभ 5°47′ , 35°47′

सूर्य नक्षत्र—————– कृत्तिका
चन्द्र नक्षत्र—————— श्रवण
नक्षत्र पाया——————–ताम्र

*** पद, चरण। ***

खी—- श्रवण 06:51:21

खू—- श्रवण 12:27:25

खे—- श्रवण 18:05:21

खो—- श्रवण 23:45:14

गा—- धनिष्ठा 29:27:08

*** ग्रह गोचर ***

ग्रह =राशी , अंश ,नक्षत्र, पद
==========================
सूर्य=वृषभ 05:12 कृतिका , 3 उ
चन्द्र =मकर 12°23 , श्रवण , 1 खी
बुध =वृषभ 07 ° 07′ कृतिका ‘ 4 ए
शुक्र=मीन 26 °05, रेवती ‘ 4 ची
मंगल=कुम्भ 02°30 ‘ पूoभाo’ 4 दी
गुरु=मीन 07°30 ‘ ऊ o भा o, 2 थ
शनि=कुम्भ 00°33 ‘ धनिष्ठा ‘ 3 गु
राहू=(व) मेष 28°05’ कृतिका , 1 अ
केतु=(व) तुला 28°05 विशाखा , 3 ते

*** मुहूर्त प्रकरण ***

राहू काल 08:52 – 10:34 अशुभ
यम घंटा 13:58 – 15:40 अशुभ
गुली काल 05:29 – 07:11 अशुभ
अभिजित 11:49 -12:43 शुभ
दूर मुहूर्त 07:17 – 08:12 अशुभ

चोघडिया, दिन
काल 05:29 – 07:11 अशुभ
शुभ 07:11 – 08:52 शुभ
रोग 08:52 – 10:34 अशुभ
उद्वेग 10:34 – 12:16 अशुभ
चर 12:16 – 13:58 शुभ
लाभ 13:58 – 15:40 शुभ
अमृत 15:40 – 17:21 शुभ
काल 17:21 – 19:03 अशुभ

चोघडिया, रात
लाभ 19:03 – 20:21 शुभ
उद्वेग 20:21 – 21:39 अशुभ
शुभ 21:39 – 22:58 शुभ
अमृत 22:58 – 24:16* शुभ
चर 24:16* – 25:34* शुभ
रोग 25:34* – 26:52* अशुभ
काल 26:52* – 28:10* अशुभ
लाभ 28:10* – 29:28* शुभ

होरा, दिन
शनि 05:29 – 06:37
बृहस्पति 06:37 – 07:45
मंगल 07:45 – 08:52
सूर्य 08:52 – 10:00
शुक्र 10:00 – 11:08
बुध 11:08 – 12:16
चन्द्र 12:16 – 13:24
शनि 13:24 – 14:32
बृहस्पति 14:32 – 15:40
मंगल 15:40 – 16:47
सूर्य 16:47 – 17:55
शुक्र 17:55 – 19:03

होरा, रात
बुध 19:03 – 19:55
चन्द्र 19:55 – 20:47
शनि 20:47 – 21:39
बृहस्पति 21:39 – 22:32
मंगल 22:32 – 23:24
सूर्य 23:24 – 24:16
शुक्र 24:16* – 25:08
बुध 25:08* – 25:59
चन्द्र 25:59* – 26:52
शनि 26:52* – 27:44
बृहस्पति 27:44* – 28:36
मंगल 28:36* – 29:28

*** उदयलग्न प्रवेशकाल ***

वृषभ > 04:22 से 06:20 तक
मिथुन > 06:20 से 08:33 तक
कर्क > 08:33 से 10:50 तक
सिंह > 10:50 से 13:03 तक
कन्या > 13:03 से 15:14 तक
तुला > 15:14 से 17:29 तक
वृश्चिक > 17:29 से 19:50 तक
धनु > 19:50 से 21:50 तक
मकर > 21:54 से 23:36 तक
कुम्भ > 11:36 से 01:09 तक
मीन > 01:09 से 02:39 तक
मेष > 02:39 से 04:22 तक

विभिन्न शहरों का रेखांतर (समय)संस्कार

(लगभग-वास्तविक समय के समीप)
दिल्ली +10मिनट——— जोधपुर -6 मिनट
जयपुर +5 मिनट—— अहमदाबाद-8 मिनट
कोटा +5 मिनट———— मुंबई-7 मिनट
लखनऊ +25 मिनट——–बीकानेर-5 मिनट
कोलकाता +54—–जैसलमेर -15 मिनट

नोट– दिन और रात्रि के चौघड़िया का आरंभ क्रमशः सूर्योदय और सूर्यास्त से होता है।
प्रत्येक चौघड़िए की अवधि डेढ़ घंटा होती है।
चर में चक्र चलाइये , उद्वेगे थलगार ।
शुभ में स्त्री श्रृंगार करे,लाभ में करो व्यापार ॥
रोग में रोगी स्नान करे ,काल करो भण्डार ।
अमृत में काम सभी करो , सहाय करो कर्तार ॥
अर्थात- चर में वाहन,मशीन आदि कार्य करें ।
उद्वेग में भूमि सम्बंधित एवं स्थायी कार्य करें ।
शुभ में स्त्री श्रृंगार ,सगाई व चूड़ा पहनना आदि कार्य करें ।
लाभ में व्यापार करें ।
रोग में जब रोगी रोग मुक्त हो जाय तो स्नान करें ।
काल में धन संग्रह करने पर धन वृद्धि होती है ।
अमृत में सभी शुभ कार्य करें ।

दिशा शूल ज्ञान————-पूर्व
परिहार-: आवश्यकतानुसार यदि यात्रा करनी हो तो लौंग अथवा कालीमिर्च खाके यात्रा कर सकते है l
इस मंत्र का उच्चारण करें-:
शीघ्र गौतम गच्छत्वं ग्रामेषु नगरेषु च l
भोजनं वसनं यानं मार्गं मे परिकल्पय: ll

 अग्नि वास ज्ञान -:
यात्रा विवाह व्रत गोचरेषु,
चोलोपनिताद्यखिलव्रतेषु ।
दुर्गाविधानेषु सुत प्रसूतौ,
नैवाग्नि चक्रं परिचिन्तनियं ।। महारुद्र व्रतेSमायां ग्रसतेन्द्वर्कास्त राहुणाम्
नित्यनैमित्यके कार्ये अग्निचक्रं न दर्शायेत् ।।

15 + 6 + 7 + 1 = 29 ÷ 4 = 1 शेष
पाताल लोक पर अग्नि वास हवन के लिए अशुभ कारक है l

*** ग्रह मुख आहुति ज्ञान ***

सूर्य नक्षत्र से अगले 3 नक्षत्र गणना के आधार पर क्रमानुसार सूर्य , बुध , शुक्र , शनि , चन्द्र , मंगल , गुरु , राहु केतु आहुति जानें । शुभ ग्रह की आहुति हवनादि कृत्य शुभपद होता है

गुरु ग्रह मुखहुति

शिव वास एवं फल -:

21 + 21 + 5 = 27 ÷ 7 = 6 शेष

क्रीड़ायां = शोक, दुःख कारक

भद्रा वास एवं फल -:

स्वर्गे भद्रा धनं धान्यं ,पाताले च धनागम:।
मृत्युलोके यदा भद्रा सर्वकार्य विनाशिनी।।

दोपहर 14:58 से रात्रि 25:54 तक

पाताल लोक = धनलाभ कारक

*** विशेष जानकारी ***

*सर्वार्थ सिद्धि योग 23:45 तक

*आतंकवाद विरोध दिवस

*** शुभ विचार ***

बंधनानि खलु सन्ति बहूनि प्रेमरज्जुकृतबन्धनमन्यत् ।
दारुभेदनिपुणोऽपिषण्डघ्निर्निष्क्रियोभवति पंकजकोशे ।।
।। चा o नी o।।

दुनिया में बाँधने के ऐसे अनेक तरीके है जिससे व्यक्ति को प्रभाव में लाया जा सकता है और नियंत्रित किया जा सकता है. सबसे मजबूत बंधन प्रेम का है. इसका उदाहरण वह मधु मक्खी है जो लकड़ी को छेड़ सकती है लेकिन फूल की पंखुडियो को छेदना पसंद नहीं करती चाहे उसकी जान चली जाए.

*** सुभाषितानि ***

गीता -: दैवासुरसम्पद्विभागयोग अo-16

इदमद्य मया लब्धमिमं प्राप्स्ये मनोरथम्‌।,
इदमस्तीदमपि मे भविष्यति पुनर्धनम्‌॥,

वे सोचा करते हैं कि मैंने आज यह प्राप्त कर लिया है और अब इस मनोरथ को प्राप्त कर लूँगा।, मेरे पास यह इतना धन है और फिर भी यह हो जाएगा॥,13॥,

 

*** आपका दिन मंगलमय हो *** 
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आचार्य नीरज पाराशर (वृन्दावन)
(व्याकरण,ज्योतिष,एवं पुराणाचार्य)