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***|| जय श्री राधे ||***
?? महर्षि पाराशर पंचांग ??
??? अथ पंचांगम् ???
****ll जय श्री राधे ll****
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दिनाँक :- 02/08/2022, मंगलवार
पंचमी, शुक्ल पक्ष,
श्रावण
“”””””””””””””””””””””””””””””””””””””””(समाप्ति काल)
?? दैनिक राशिफल ??
देशे ग्रामे गृहे युद्धे सेवायां व्यवहारके।
नामराशेः प्रधानत्वं जन्मराशिं न चिन्तयेत्।।
विवाहे सर्वमाङ्गल्ये यात्रायां ग्रहगोचरे।
जन्मराशेः प्रधानत्वं नामराशिं न चिन्तयेत ।।
?कुंभ
आज का दिन आपके लिए उत्तम रूप से फलदायक रहेगा। संपत्ति के कार्य लाभ देंगे। उन्नति के मार्ग प्रशस्त होंगे। प्रसन्नता रहेगी। प्रमाद न करें। धैर्य एवं शांति से वाद-विवादों से निपट सकेंगे। दुस्साहस न करें। नए विचार, योजना पर चर्चा होगी। स्वयं की प्रतिष्ठा व सम्मान के अनुरूप कार्य हो सकेंगे। आपकी जीवनसाथी से कुछ कहासुनी होगी,जिसे आप बातचीत के जरिए ही सुलझाने में कामयाब रहेंगे। बड़ी मात्रा में धन हाथ लगने से आपके मन को संतोष रहेगा,लेकिन जीवनसाथी से आपकी किसी बात पर बहस हो सकती है। आपको किसी महान व्यक्ति से मिलने का मौका मिलेगा। यदि कार्यक्षेत्र में कुछ समस्या चली आ रही थी,तो वह भी समाप्त होंगी। आपको किसी परिवार के सदस्य के स्वास्थ्य की चिंता सता सकती है। यदि आपको कोई बीपी और शुगर आदि जैसी समस्या है,तो डॉक्टरी परामर्श अवश्य लें।
तिथि———– पंचमी 29:41: 27 तक
पक्ष———————— शुक्ल
नक्षत्र—उत्तरा फाल्गुनी 17:27:43
योग————– शिव 18:35:23
करण————– बव 17:30:37
करण———– बालव 29:41:27
वार———————– मंगलवार
माह———————— श्रावण
चन्द्र राशि——————– कन्या
सूर्य राशि——————- कर्क
रितु————————– वर्षा
आयन—————– दक्षिणायण
संवत्सर——————- शुभकृत
संवत्सर (उत्तर)——————— नल
विक्रम संवत—————- 2079
विक्रम संवत (कर्तक)———- 2078
शक संवत—————– 1944
वृन्दावन
सूर्योदय————— 05:44:07
सूर्यास्त—————- 19:06:30
दिन काल————- 13:22:22
रात्री काल————- 10:38:09
चंद्रोदय—————- 09:35:01
चंद्रास्त—————- 22:04:45
लग्न—- कर्क 15°33′ , 105°33
सूर्य नक्षत्र——————– पुष्य
चन्द्र नक्षत्र———- उत्तरा फाल्गुन
नक्षत्र पाया——————- रजत
??? पद, चरण ???
पा—- उत्तराफाल्गुनी 11:09:32
पी—- उत्तरा फाल्गुनी 17:27:43
पू—- हस्त 23:44:10
??? ग्रह गोचर ???
ग्रह =राशी , अंश ,नक्षत्र, पद
==========================
सूर्य=कर्क 15:12 पुष्य , 4 ड़
चन्द्र = कन्या 03 °23, उ o फ़ाo , 3 पा
बुध =सिंह 01 ° 07′ मघा ‘ 1 मा
शुक्र=मिथुन 23°05, पुनर्वसु ‘ 2 को
मंगल=मेष 24°30 ‘ भरणी ‘ 4 लो
गुरु=मीन 14°30 ‘ उ o भा o, 4 ञ
शनि=कुम्भ 29°33 ‘ धनिष्ठा ‘ 2 गी
राहू=(व) मेष 24°15’ भरणी , 4 लो
केतु=(व) तुला 24°15 विशाखा , 2 तू
??? मुहूर्त प्रकरण ???
?चोघडिया, दिन
रोग 05:44 – 07:24 अशुभ
उद्वेग 07:24 – 09:05 अशुभ
चर 09:05 – 10:45 शुभ
लाभ 10:45 – 12:25 शुभ
अमृत 12:25 – 14:06 शुभ
काल 14:06 – 15:46 अशुभ
शुभ 15:46 – 17:26 शुभ
रोग 17:26 – 19:07 अशुभ
?चोघडिया, रात
काल 19:07 – 20:26 अशुभ
लाभ 20:26 – 21:46 शुभ
उद्वेग 21:46 – 23:06 अशुभ
शुभ 23:06 – 24:26* शुभ
अमृत 24:26* – 25:45* शुभ
चर 25:45* – 27:05* शुभ
रोग 27:05* – 28:25* अशुभ
काल 28:25* – 29:45* अशुभ
?होरा, दिन
मंगल 05:44 – 06:51
सूर्य 06:51 – 07:58
शुक्र 07:58 – 09:05
बुध 09:05 – 10:12
चन्द्र 10:12 – 11:18
शनि 11:18 – 12:25
बृहस्पति 12:25 – 13:32
मंगल 13:32 – 14:39
सूर्य 14:39 – 15:46
शुक्र 15:46 – 16:53
बुध 16:53 – 17:59
चन्द्र 17:59 – 19:07
?होरा, रात
शनि 19:07 – 19:59
बृहस्पति 19:59 – 20:53
मंगल 20:53 – 21:46
सूर्य 21:46 – 22:39
शुक्र 22:39 – 23:32
बुध 23:32 – 24:26
चन्द्र 24:26* – 25:19
शनि 25:19* – 26:12
बृहस्पति 26:12* – 27:05
मंगल 27:05* – 27:58
सूर्य 27:58* – 28:51
शुक्र 28:51* – 29:45
?? उदयलग्न प्रवेशकाल ??
कर्क > 03:46 से 06:02 तक
सिंह > 06:00 से 08:12 तक
कन्या > 08:12 से 10:22 तक
तुला > 10:22 से 12:37 तक
वृश्चिक > 12:37 से 14:52 तक
धनु > 14:52 से 17:12 तक
मकर > 17:12 से 18:56 तक
कुम्भ > 18:56 से 20:28 तक
मीन > 20:28 से 21:02 तक
मेष > 21:02 से 11:34 तक
वृषभ > 11:34 से 01:26 तक
मिथुन > 01:26 से 03:46 तक
?विभिन्न शहरों का रेखांतर (समय)संस्कार
(लगभग-वास्तविक समय के समीप)
दिल्ली +10मिनट——— जोधपुर -6 मिनट
जयपुर +5 मिनट—— अहमदाबाद-8 मिनट
कोटा +5 मिनट———— मुंबई-7 मिनट
लखनऊ +25 मिनट——–बीकानेर-5 मिनट
कोलकाता +54—–जैसलमेर -15 मिनट
नोट– दिन और रात्रि के चौघड़िया का आरंभ क्रमशः सूर्योदय और सूर्यास्त से होता है।
प्रत्येक चौघड़िए की अवधि डेढ़ घंटा होती है।
चर में चक्र चलाइये , उद्वेगे थलगार ।
शुभ में स्त्री श्रृंगार करे,लाभ में करो व्यापार ॥
रोग में रोगी स्नान करे ,काल करो भण्डार ।
अमृत में काम सभी करो , सहाय करो कर्तार ॥
अर्थात- चर में वाहन,मशीन आदि कार्य करें ।
उद्वेग में भूमि सम्बंधित एवं स्थायी कार्य करें ।
शुभ में स्त्री श्रृंगार ,सगाई व चूड़ा पहनना आदि कार्य करें ।
लाभ में व्यापार करें ।
रोग में जब रोगी रोग मुक्त हो जाय तो स्नान करें ।
काल में धन संग्रह करने पर धन वृद्धि होती है ।
अमृत में सभी शुभ कार्य करें ।
?दिशा शूल ज्ञान————-उत्तर
परिहार-: आवश्यकतानुसार यदि यात्रा करनी हो तो घी अथवा गुड़ खाके यात्रा कर सकते है l
इस मंत्र का उच्चारण करें-:
शीघ्र गौतम गच्छत्वं ग्रामेषु नगरेषु च l
भोजनं वसनं यानं मार्गं मे परिकल्पय: ll
? अग्नि वास ज्ञान -:
यात्रा विवाह व्रत गोचरेषु,
चोलोपनिताद्यखिलव्रतेषु ।
दुर्गाविधानेषु सुत प्रसूतौ,
नैवाग्नि चक्रं परिचिन्तनियं ।। महारुद्र व्रतेSमायां ग्रसतेन्द्वर्कास्त राहुणाम्
नित्यनैमित्यके कार्ये अग्निचक्रं न दर्शायेत् ।।
5 + 3 + 1 = 9 ÷ 4 = 1शेष
पाताल लोक पर अग्नि वास हवन के लिए अशुभ कारक है l
?? ग्रह मुख आहुति ज्ञान ??
सूर्य नक्षत्र से अगले 3 नक्षत्र गणना के आधार पर क्रमानुसार सूर्य , बुध , शुक्र , शनि , चन्द्र , मंगल , गुरु , राहु केतु आहुति जानें । शुभ ग्रह की आहुति हवनादि कृत्य शुभपद होता है
बुध ग्रह मुखहुति
? शिव वास एवं फल -:
5 + 5 + 5 = 15 ÷ 7 = 1 शेष
कैलाश वास = शुभ कारक
?भद्रा वास एवं फल -:
स्वर्गे भद्रा धनं धान्यं ,पाताले च धनागम:।
मृत्युलोके यदा भद्रा सर्वकार्य विनाशिनी।।
?? विशेष जानकारी ??
* नाग पंचमी
*मंगला गौरी व्रत
*नागदष्ट्र व्रत
??? शुभ विचार ???
यथा चतुर्भिः कनकं पराक्ष्यते
निघर्षणं छेदनतापताडनैः ।
तथा चतुर्भिः पुरुषः परीक्ष्य़ते
त्यागेन शीलेन गुणेन कर्मणा ।।
।। चा o नी o।।
सोने की परख उसे घिस कर, काट कर, गरम कर के और पीट कर की जाती है. उसी तरह व्यक्ति का परीक्षण वह कितना त्याग करता है, उसका आचरण कैसा है, उसमे गुण कौनसे है और उसका व्यवहार कैसा है इससे होता है.
??? सुभाषितानि ???
गीता -: मोक्षसान्यांसयोग अo-18
विषयेन्द्रियसंयोगाद्यत्तदग्रेऽमृतोपमम्।,
परिणामे विषमिव तत्सुखं राजसं स्मृतम्॥,
जो सुख विषय और इंद्रियों के संयोग से होता है, वह पहले- भोगकाल में अमृत के तुल्य प्रतीत होने पर भी परिणाम में विष के तुल्य (बल, वीर्य, बुद्धि, धन, उत्साह और परलोक का नाश होने से विषय और इंद्रियों के संयोग से होने वाले सुख को ‘परिणाम में विष के तुल्य’ कहा है) है इसलिए वह सुख राजस कहा गया है॥,38॥,
?आपका दिन मंगलमय हो?
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आचार्य नीरज पाराशर (वृन्दावन)
(व्याकरण,ज्योतिष,एवं पुराणाचार्य)
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