चंडीगढ़ । मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह द्वारा बीते हफ्ते किए गए ऐलान के बाद पंजाब कैबिनेट ने बुधवार को पीसीएस बनने के इच्छुक पूर्व सैनिकों के लिए मौके बढ़ाने को मंजूरी दे दी है। पंजाब राज्य सिविल सेवा संयुक्त प्रतियोगी परीक्षा में मौकों की संख्या में यह वृद्धि अब केंद्रीय लोक सेवा आयोग (यूपीएससी) की तरफ से दिए जाने वाले मौकों के पैटर्न के अनुसार कर दी गई है। इस मंजूरी से जनरल श्रेणी के पूर्व सैनिक उम्मीदवारों को मौजूदा समय में मिलने वाले चार मौकों की बजाय अब छह मौके मिलेंगे। इसी तरह पिछड़ी श्रेणी के पूर्व सैनिक उम्मीदवारों के लिए चार मौकों को बढ़ाकर 9 मौके कर दिया है जबकि अनुसूचित जाति श्रेणी के पूर्व सैनिकों के लिए असंख्य मौके कर दिए गए हैं।
मुख्यमंत्री ने एडवोकेट जनरल को फीसों के मामले में एक हफ्ते में अपील दायर करने के लिए कहा
पंजाब सरकार लॉकडाउन के समय के दौरान स्कूल फीस की अदायगी के मामले में सिंगल जज के फैसले के विरुद्ध इस हफ़्ते हाई कोर्ट में एलपीए दायर करेगी। एडवोकेट जनरल अतुल नंदा ने बताया कि मंत्रिमंडल की बुधवार को हुई मीटिंग के दौरान इस मसले पर अनौपचारिक रूप से चर्चा की गई जिसके बाद मुख्यमंत्री ने कहा कि इस संबंधी हफ्ते के अंदर पंजाब और हरियाणा हाई कोर्ट में एलपीए दायर करनी चाहिए। हाई कोर्ट के सिंगल जज ने गत 30 जून को सुनाए अपने फैसले में कहा था कि लॉकडाउन के समय के दौरान ऑनलाइन क्लासों की पेशकश किए बिना भी स्कूल ट्यूशन फीस लेने के हकदार हैं। अपने फैसले में जस्टिस निर्मलजीत कौर ने कहा कि सभी स्कूल, चाहे उन्होंने लॉकडाउन के समय के दौरान ऑनलाइन क्लासों की पेशकश की या नहीं, ट्यूशन फीस लेने के हकदार हैं। हालांकि अदालत ने कहा कि स्कूल ऑनलाइन/संचार के माध्यम से पढ़ाई करवाने के प्रयास जारी रखेंगे, जिससे महामारी के कारण मौजूदा और भविष्य में होने वाले लॉकडाउन के अमल के कारण शिक्षा पर बुरा प्रभाव न पड़े। अदालत की तरफ से चाहे फैसले के खिलाफ 13 जुलाई से अपीलों पर सुनवाई की जानी है, लेकिन पंजाब सरकार ने माता-पिता, अध्यापकों, स्टाफ के साथ-साथ स्कूल प्रशासन समेत सभी संबंधित पक्षों के हित में डिवीजन बैंच में अपील करने का फैसला लिया है। मुख्यमंत्री पहले ही स्पष्ट कर चुके हैं कि लॉकडाउन के समय के दौरान ऑनलाइन या ऑफलाइन क्लासें न लगने पर वह माता-पिता से फीस वसूलने के हक में नहीं हैं।