आंगनबाड़ी कार्यकर्ता: जहां रोका, वहीं धरना Anganwadi Workers

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संजीव कौशिक, रोहतक:
Anganwadi Workers : आंगनबाड़ी तालमेल कमेटी के बैनर तले संचालित आंगनबाड़ी कार्यकर्ता और सहायिकाओं की गत 8 दिसंबर से चली आ रही हड़ताल के क्रम में आज 3 मार्च को समग्र हरियाणा की आंगनबाड़ी कर्मियों का हरियाणा विधान सभा के घेराव का घोषित कार्यक्रम था। हरियाणा सरकार ने पुलिस के माध्यम से आंगनबाड़ी कर्मियों के रास्ते में तरह-तरह की रुकावटें डालीं। कहीं उनकी बसों को जब्त कर लिया, कहीं टोल नाकों से उनके वाहनों को आगे नहीं जाने दिया।

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पंचकूला पार्क में घुसने नहीं दिया कार्यकर्ताओं को

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आंगनबाड़ी कर्मी किसी तरह पंचकूला पहुंच भी गई उन्हें भी उस पार्क में नहीं घुसने दिया जहां उनको इकठ्ठा होना था। इस तानाशाही की कठोर शब्दों में निंदा करते हुए आल इंडिया यूनाइटेड ट्रेड यूनियन सेंटर हरियाणा के सचिव कामरेड हरिप्रकाश व आंगनबाड़ी की प्रदेश महासचिव पुष्पा दलाल ने निम्न प्रेस वक्तव्य जारी किया।

पंचकूला जाने वालों को रोकने का आरोप

रेवाड़ी, महेंद्रगढ़, रोहतक, पानीपत सहित अनेक जिलों में पुलिस ने आंगनबाड़ी कर्मियों के पंचकूला जाने वाले वाहनों को जबरन रोका और कई जगह उनके वाहन जब्त भी कर लिए और उनके साथ दुर्व्यवहार किया। आंगनबाड़ी कर्मियों को पंचकूला प्रदेश स्तर की रैली में जाने से रोकने का निहायत घटिया अभियान चलाया जा रहा है। जो आंगनबाड़ी कर्मी जिस-तिस तरीके से पहुँच भी गई उन्हें उनकी इकठ्ठा होने की घोषित जगह, यवनिका पार्क पंचकूला में, घुसने नहीं दिया जा रहा है। रास्ते भर में जगह-जगह टोल नाकों पर भी गाड़ियों को रोक लिया जा रहा है।

सरकार के तरीके को बताया अलोकतांत्रिक

पुलिस के माध्यम से हरियाणा सरकार के इस अलोकतांत्रिक तरीके से साफ जाहिर है कि वह आंगनबाड़ी के न्यायसंगत आंदोलन को राज की ताकत से कुचलने का कुत्सित प्रयास कर रही है। हालांकि सरकार को चाहिये तो ये था कि वह कार्यकर्ता व सहायिकाओं के मानदेय में प्रधानमंत्री ने 12 सितंबर 2018 को 1500 रुपये और 750 रुपये बढ़ाए जाने की जो घोषणा की थी उसे व 1 मार्च 2018 को मुख्यमंत्री श्री मनोहर लाल खट्टर द्वारा आंगनबाड़ी यूनियनों के साथ किए समझौते, जिसमें कुशल और अर्धकुशल का दर्जा देना, महंगाई के आंकड़े लागू करना और अन्य स्वीकृत मांगों को लागू करती; पर इसके उलट सरकार तानाशाहीपूर्ण तरीकों से इस आंदोलन को तोड़ने पर उतारू है।

कार्यकर्ताओं को दिखा रहे गिरफ्तारी का डर

बेहद कम मजदूरी पर काम करने वाली गरीब महिलाओं, जिनमें बड़ी संख्या में विधवा व बेसहारा महिलायें हैं, को नौकरी से निकाला जा रहा है और उन्हें पुलिस से पकड़वाने का डर दिखाया जा रहा है। गरीब महिलाओं पर सरकार का ये अत्याचार साफ दिखाता है कि महिलाओं के प्रति सरकार का रवैया कितना गिरा हुआ है। इससे ये भी पता चलता है कि सरकार का लोकहितैषी चेहरा ढोंगभरा है।

मनोहर लाल खट्टर व दुष्यंत चौटाला की यह भाजपा-जजपा गठबंधन सरकार घोर जनविरोधी काम कर रही है, मजदूर-कर्मचारी विरोधी निर्णय ले रही है। सरकार के इस तानाशाहीपूर्ण कदम की घोर निंदा करते हैं और मांग करते हैं कि वह तालमेल कमेटी के साथ बात करके आंगनबाड़ी की कर्मियों की घोषित व स्वीकृत मांगों को फौरन लागू करे।

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