Aaj Samaj (आज समाज), Andhra Pradesh News, नई दिल्ली/हैदराबाद: कहते हैं कि सत्य की हमेशा जीत होती है। ऐसा ही एक वाकया आंध्र प्रदेश में सामने आया है। यहां के एक व्यक्ति ने 40 साल तक कोर्ट कचहरी के चक्कर लगाने के बाद अपनी दादी का ‘दत्तक पुत्र’ होने का दावा करने वाले ढोंगी शख़्स को बेनकाब कर संपत्ति पर कब्जा हासिल किया है। ट्रायल कोर्ट से लेकर हाईकोर्ट और फिर सुप्रीम कोर्ट तक मुकदमा चला, लेकिन काली प्रसाद नाम के शख्स ने हार नहीं मानी।

  • बालों के अलावा संदेश पैदा करने वाले कई तथ्य : सुप्रीम कोर्ट

आरोपी ने वसीयत रद करने का फर्जी वसीयतनामा बना लिया था

रिपोर्ट के मुताबिक वेनकुबयम्मा नाम की एक महिला ने 1981 में वसीयत तैयार करवाकर अपनी संपत्ति अपने इकलौते पोते काली प्रसाद के नाम की थी। जुलाई 1982 में वेनकुबयम्मा की मौत हो गई। इसके बाद अचानक एक शख्स ने खुद को वेनकुबयम्मा का दत्तक पुत्र बताते हुए एक और वसीयतनामा पेश किया। अप्रैल 1982 के इस वसीयतनामे के मुताबिक वेनकुबयम्मा ने पोते के नाम वसीयत रद कर दी थी और सारी संपत्ति उसके नाम कर दी थी। इसके बाद मामला ट्रायल कोर्ट पहुंचा।

ट्रायल कोर्ट ने दत्तक पुत्र के पक्ष में फैसला सुनाया था

ट्रायल कोर्ट ने 1989 में दत्तक पुत्र के पक्ष में फैसला सुना दिया। इसके बाद पोते ने ट्रायल कोर्ट के फैसले को हाईकोर्ट में चुनौती दी। वर्ष 2006 में हाईकोर्ट ने ट्रायल के फैसले को पलट दिया। इसके बाद 2008 में खुद को दत्तक पुत्र बताने वाला शख़्स ने हाईकोर्ट के आदेश के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर कर दी। सुप्रीम कोर्ट ने अपने आदेश में कहा कि उसके सामने जो दस्तावेज पेश किए गए, उससे कहीं से पता नहीं लगता है आखिर ऐसी क्या नौबत आई जो वेनकुबयम्मा को वसीयत बदलनी पड़ी

तस्वीरों में महिला के बाल पूरी तरह काले दिखने पर गहराया शक

मामले की सुनवाई के दौरान 2010 में खुद को दत्तक पुत्र बताने वाले शख्स ने इस दौरान शीर्ष कोर्ट में तीन तस्वीरें पेश की और कहा कि ये उसकी एडॉप्शन सेरेमनी की हैं। 18 अप्रैल 1982 यानी निधन के तीन महीने पहले की इन तस्वीरों में 70 साल की बुजुर्ग महिला के बाल पूरी तरह काले नजर आ रहे थे। सुप्रीम कोर्ट को यहीं से शक हुआ। कोर्ट ने कहा कि केवल बाल के रंग से शक नहीं हो रहा है, बल्कि ऐसे तमाम तथ्य हैं जो संदेह पैदा करते हैं। सुप्रीम कोर्ट ने कथित दत्तक पुत्र की याचिका खारिज कर दी और संपत्ति का अधिकार पोते को दे दिया।

कोर्ट के सवालों का जवाब नहीं दे पाया आरोपी

जस्टिस सीटी रवि कुमार और जस्टिस संजय कुमार ने आरोपी (दत्तक पुत्र) से पूछा कि क्या 1982 में 70 साल की कोई बुजुर्ग महिला अपने बाल डाई करवाती होगी? उन्होंने यह भी पूछा कि आखिर एडॉप्शन सेरेमनी की केवल तीन तस्वीरें ही क्यों हैं? क्या फोटोग्राफर ने केवल तीन फोटो खींची थी? कथित दत्तक पुत्र इसका जवाब नहीं दे पाया। सुप्रीम कोर्ट ने यह भी पूछा कि आखिर अपने पोते के नाम वसीयत करने के बाद ऐसा क्या हुआ कि वेनकुबयम्मा ने पुरानी वसीयत कैंसिल कर दी और कथित दत्तक पुत्र के नाम संपत्ति कर दी?

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