Amit Shah Raigad Visit: केंद्रीय गृह मंत्री ने की छत्रपति शिवाजी महाराज की प्रशंसा

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Amit Shah Raigad Visit
Amit Shah Raigad Visit: केंद्रीय गृह मंत्री ने की छत्रपति शिवाजी महाराज की प्रशंसा
  • छत्रपति शिवाजी महाराज ने देश को दिया स्वराज का मंत्र 

Amit Shah At Raigad, (आज समाज), मुंबई: केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह आज महाराष्ट्र के रायगढ़ पहुंचे और यहां उन्होंने एक सभा को संबोधित करते हुए छत्रपति शिवाजी महाराज की जमकर प्रशंसा की। उन्होंने कहा, छत्रपति शिवाजी महाराज एक बालक थे, जिन्होंने अपने अदम्य साहस और दृढ़ संकल्प से पूरे देश को स्वराज का मंत्र दिया।

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शिवाजी के सपने को पूरा करेगा भारत

केंद्रीय गृह मंत्री ने कहा, भारत आज संकल्प लेता है कि वह  शिवाजी के सपने को पूरा करेगा और जल्द ही दुनिया में नंबर एक पर होगा। उन्होंने कहा, छत्रपति शिवाजी महाराज के साथ न तो किस्मत थी और न ही अतीत उनके साथ था, न उनके पास पैसा था और न ही सेना। इसके बावजूद एक बालक ने अपने अदम्य साहस और दृढ़ संकल्प से पूरे देश को स्वराज का मंत्र दिया।

मुगल हुकूमत को चकनाचूर किया

गृह मंत्री ने कहा, शिवाजी महाराज ने कुछ ही समय में 200 साल पुरानी मुगल हुकूमत को चकनाचूर कर दिया और देश को आजाद कराया। आज आजादी के 75 साल बाद हम दुनिया के सामने सिर ऊंचा करके खड़े हैं। उन्होंने कहा, हम संकल्प लेते हैं कि जब आजादी के 100 साल पूरे होंगे तो हमारा भारत शिवाजी के सपने के अनुरूप दुनिया में नंबर 1 होगा।

स्वाभिमान की तीन मूल विशेषताएं दुनिया के सामने प्रस्तुत कीं

अमित शाह ने कहा, अपने धर्म पर गर्व, स्वशासन की आकांक्षा और अपनी भाषा को अमर बनाना ऐसे विचार हैं जो देश की सीमाओं से नहीं बल्कि मानव जीवन के स्वाभिमान से जुड़े हैं। उन्होंने कहा, छत्रपति शिवाजी महाराज ने स्वाभिमान की ये तीन मूल विशेषताएं पूरी दुनिया के सामने प्रस्तुत कीं। शिवाजी महाराज ने समाज के हर वर्ग को एकजुट करके अजेय सेना का निर्माण किया था।

अद्भुत इच्छाशक्ति, अदम्य साहस और अकल्पनीय रणनीति

गृह मंत्री ने कहा, अद्भुत इच्छाशक्ति, अदम्य साहस और अकल्पनीय रणनीति के साथ समाज के हर वर्ग को एकजुट करके अजेय सेना का निर्माण करने और उस रणनीति को साकार करने का काम छत्रपति शिवाजी महाराज के अलावा किसी और ने नहीं किया था। उस ऐतिहासिक स्थान पर शिवाजी महाराज को श्रद्धांजलि देने की भावना को शब्दों में बयां करना असंभव है, जहां इतने वर्षों के बाद हिंदवी स्वराज का स्वर्ण सिंहासन स्थापित हुआ था।

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