Aaj Samaj (आज समाज), Amit Shah Interview, नई दिल्ली: केंद्र सरकार केंद्रशासित प्रदेश जम्मू-कश्मीर से सशस्त्र बल विशेष अधिकार अधिनियम (अफस्पा) को भी हटाने की तैयारी में है। केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने एक साक्षात्कार में इस बात के संकेत दिए हैं। उन्होंने कहा है कि सरकार जम्मू-कश्मीर से अफस्पा हटाकर वहां से सैनिकों को वापस बुलाने और कानून व्यवस्था को अकेले जम्मू-कश्मीर पुलिस पर छोड़ने पर विचार करेगी। अमित शाह ने कहा कि पहले जम्मू-कश्मीर पुलिस पर भरोसा नहीं किया जा सकता था लेकिन अब वे विभिन्न आपरेशन का नेतृत्व कर रहे हैं।बता दें कि पूर्वोत्तर राज्यों के 70 प्रतिशत क्षेत्रों में अफस्पा हटा दिया गया है।
- सितंबर से पहले होंगे विधानसभा चुनाव
विभिन्न संगठनों व लोगों ने की है अफस्पा हटाने की मांग
गृह मंत्री ने कहा कि जम्मू-कश्मीर और पूर्वोत्तर राज्यों के विभिन्न संगठनों व लोगों ने अफस्पा हटाने की मांग की है। उन्होंने कहा, कश्मीर में लोकतंत्र को स्थापित करना प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी का वादा है और इसे पूरा किया जाएगा। यह लोकतंत्र केवल तीन परिवारों तक सीमित नहीं रहेगा, यह लोगों का लोकतंत्र होगा। बता दें कि सुप्रीम कोर्ट ने कश्मीर में सितंबर से पहले विधानसभा चुनाव कराने का निर्देश दिया है।
जम्मू-कश्मीर के ओबीसी को मोदी सरकार ने आरक्षण दिया
अनुसूचित जाति (एससी),अनुसूचित जनजाति (एसटी) और अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) के आरक्षण को लेकर पूछे गए सवाल पर अमित शाह ने कहा कि पहली बार, जम्मू-कश्मीर के ओबीसी को मोदी सरकार ने आरक्षण दिया है और महिलाओं को एक तिहाई आरक्षण दिया गया है। उन्होंने कहा, पंचायत और शहरी स्थानीय निकायों में ओबीसी आरक्षण दिया गया। हमने एससी और एसटी के लिए जगह बनाई है। गुज्जर और बकरवालों की हिस्सेदारी कम किए बिना, पहाड़ियों को 10 प्रतिशत आरक्षण दिया गया है। पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर से विस्थापित लोगों को समायोजित करने के लिए विशेष प्रावधान किए गए हैं।
समझें क्या होता है अफस्पा
अफस्पा के तहत अशांत क्षेत्रों में काम कर रहे सशस्त्र बलों के जवानों को अधिकार देता है कि यदि सार्वजनिक व्यवस्था के रखरखाव के लिए उन्हें जरूरत पड़े तो वे तालाशी, गिरफ्तारी और गोली चला सकतें हैं। सशस्त्र बलों के संचालन को सुविधाजनक बनाने के लिए इस अधिनियम के अंतर्गत किसी क्षेत्र या जिले को अशांत घोषित किया जाता है।
यह भी पढ़ें: