Amit Shah DSGMC: मोदी सरकार आने पर सिख दंगा पीड़ितों को न्याय मिलना शुरू हुआ

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Amit Shah DSGMC
दिल्ली सिख गुरुद्वारा प्रबंधन समिति (डीएसजीएमसी) के एक कार्यक्रम के दौरान केंद्रीय गृह एवं सहकारिता मंत्री अमित शाह।

Aaj Samaj (आज समाज), Amit Shah DSGMC, नई दिल्ली: केंद्रीय गृह एवं सहकारिता मंत्री अमित शाह ने कहा है कि 1984 सिख विरोधी दंगों के पीड़ितों को न्याय मोदी सरकार के सत्ता संभालने के बाद ही मिलना शुरू हुआ। अमित शाह ने शुक्रवार को दिल्ली सिख गुरुद्वारा प्रबंधन समिति (डीएसजीएमसी) के एक कार्यक्रम के दौरान लोगों को संबोधित करते हुए यह बात कही। उन्होंने कहा, दंगों से संबंधित 300 मामलों को फिर से खोला गया और प्रत्येक पीड़ित परिवार को पांच-पांच लाख रुपए का मुआवजा दिया गया।

  • एसआईटी बनाई, 300 मामले दोबारा खोले

3328 पीड़ितों के परिजनों को पांच-पांच लाख दिए

गृह मंत्री ने कहा, 1984 के दंगों को कोई नहीं भूल सकता। मोदी सरकार के सत्ता में आने तक किसी को भी सजा नहीं मिली थी। उन्होंने कहा, कई जांच आयोग भी बने, लेकिन कोई नतीजा नहीं निकला, लेकिन जब मोदी सरकार सत्ता में आई तो उसने एसआईटी बनाई और 300 मामलों को दोबारा खोला गया। अमित शाह ने कहा कि दंगों के जो दोषी थे, उन्हें मोदी सरकार ने जेल भेजना शुरू किया है और इसके साथ ही, 3328 पीड़ितों के परिजनों को पांच-पांच लाख रुपए का मुआवजा भी उपलब्ध करवाया गया है।

सिख गुरुओं को अर्पित की श्रद्धांजलि

गृह मंत्री ने सिख गुरुओं को श्रद्धांजलि अर्पित करते हुए कहा, मैं सिख धर्म की गुरु परंपरा को सिर झुकाकर नमन करता हूं। उन्होंने कहा, नौवें गुरु तेगबहादुर के देश के लिए योगदान को कभी नहीं भुलाया जा सकता है। अमित शाह ने कहा, जब धर्म के लिए अपने जीवन का बलिदान देने की बात आती है, एक सच्चा सिख कभी पीछे मुड़कर नहीं देखता। कश्मीर की जनता पर मुगल शासक औरंगजेब के अत्याचारों के खिलाफ उनका सर्वोच्च बलिदान उनकी महानता को दशार्ता है।

गुरु नानक देव जी ने समानता का पाठ पढ़ाया

गृह मंत्री ने कहा कि जब पीएम मोदी ने गुरु तेग बहादुर की स्मृतियों का उत्सव मनाने का फैसला किया था तो निर्णय लिया गया था कि उनके स्तुतिगान की शुरूआत लाल किले पर उसी स्थान से होगी जहां उनके बलिदान की घोषणा की गई थी। सिख धर्म के संस्थापक गुरु नानक देव के संदर्भ में अमित शाह ने कहा, उन्होंने कई देशों में सभी धर्मों में समानता का पाठ पढ़ाया। उन्होंने कहा, उनके चरण कर्नाटक से लेकर मक्का तक पड़े थे। निस्वार्थ प्रेम के संदेश को प्रसारित करने के लिए उन दिनों इतनी लंबी पैदल यात्रा की कोई कल्पना नहीं कर सकता था। उन्होंने सिख धर्म में महिलाओं के सशक्तीकरण की परंपरा का भी उल्लेख किया।

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