Aaj Samaj (आज समाज), Amicus Curiae, नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट से अपराध में संलिप्त नेताओं से सख्ती से निपटने की मांग की गई है। सुप्रीम कोर्ट में एमिकस क्यूरी (न्याय मित्र) विजय हंसारिया ने शीर्ष अदालत के समक्ष अपनी 19वीं रिपोर्ट दाखिल कर यह बात कही है। दोषसिद्ध विधायकों और सांसदों के आजीवन चुनाव लड़ने पर रोक लगाने की याचिका को लेकर विजय हंसारिया को सुप्रीम कोर्ट में बतौर एमिकस क्यूरी नियुक्त किया गया है। सांसद और विधायकों के खिलाफ लंबित मामलों के तेजी से निपटाने की निगरानी कर रहे एमिकस क्यूरी ने अपनी 19वीं रिपोर्ट में कहा कि यदि कोई विधायक या सांसद दोषी है तो उसके चुनाव लड़ने पर छह साल प्रतिबंध के बजाए आजीवन प्रतिबंध लगाया जाना चहिए।
- एमिकस क्यूरी ने कन्विक्टेड एमपी/एमएलए के लिए 6 साल सजा को कम बताया
अधिनियम, 1951 के अनुच्छेद आठ को दी गई है चुनौती
बता दें कि सुप्रीम कोर्ट में लोक प्रतिनिधित्व अधिनियम, 1951 के अनुच्छेद आठ को चुनौती दी गई है। एमिकस क्यूरी ने अपनी रिपोर्ट में कहा कि केन्द्रीय सतर्कता आयोग अधिनियम, 2003 और लोकपाल व लोकायुक्त अधिनियम, 2013 के तहत दोषी ठहराए जाने के बाद स्थायी अयोग्यता धारण करने से हटाने का प्रावधान है। साथ ही धारा 8 के तहत अपराध को गंभीरता और गंभीरता के आधार पर वर्गीकृत किया गया है, लेकिन सभी मामलों में दोषी ठहराए जाने के बाद अयोग्यता केवल छह वर्ष की अवधि के लिए है।
यूपी में लंबित मामलों की संख्या सबसे ज्यादा
देशभर में सांसद और विधायकों के खिलाफ लंबित मामलों की संख्या बढ़ती जा रही है।। नवंबर 2022 तक ऐसे मामलों की संख्या 5175 थी। 2018 में यह संख्या 4122 थी। उत्तर प्रदेश में सांसद और विधायकों के खिलाफ लंबित मामलों की संख्या सबसे ज्यादा है। नवंबर 2022 तक इस राज्य में 1377 केस लंबित थे। उत्तर प्रदेश के बाद सांसदों और विधायकों के खिलाफ सबसे ज्यादा 546 मामले बिहार में लंबित हैं। फिलहाल एमिकस क्यूरी के सुझाव पर सुप्रीम कोर्ट अंतिम फैसला लेगा
सीजेआई ने लॉन्च किया राष्ट्रीय न्यायिक डाटा ग्रिड
सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ ने आज राष्ट्रीय न्यायिक डाटा ग्रिड (एनजेडीजी) का उद्घाटन किया। यह ग्रिड लंबित मामलों की पहचान, प्रबंधन और कम करने के लिए एक निगरानी उपकरण के रूप में काम करेगा। साथ ही मामलों के निपटान में देरी को कम करने के मकसद से नीतिगत निर्णय लेने के लिए समय पर इनपुट प्रदान करने के साथ-साथ एनजेडीजी लंबित मामलों को कम करने में मदद करेगा।
सीजेआई ने कहा एनजेडीजी सुप्रीम कोर्ट के काम में पारदर्शिता और जवाबदेही लाने के लिए है। अभी सुप्रीम कोर्ट में 80 हजार से ज्यादा केस लंबित हैं। लेकिन 15,000 मामले ऐसे हैं जो अभी तक पंजीकृत नहीं हैं, इसलिए वे अभी तक लंबित नहीं हैं। उन्होंने कहा, डाटा ग्रिड लॉन्च होने के बाद अब हमारे पास इसका ग्राफ उपलब्ध रहेगा।
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