US Tariff Policy Effect : अमेरिका के फैसलों का पूरी दुनिया पर पड़ता है असर : संजय मल्होत्रा

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US Tariff Policy Effect : अमेरिका के फैसलों का पूरी दुनिया पर पड़ता है असर : संजय मल्होत्रा
US Tariff Policy Effect : अमेरिका के फैसलों का पूरी दुनिया पर पड़ता है असर : संजय मल्होत्रा

कहा, भारत पर अमेरिका की नई नीतियों का असर दुनिया के अन्य देशों के मुकाबले कम होगा

US Tariff Policy Effect (आज समाज), बिजनेस डेस्क : आरबीआई गर्वनर संजय मल्होत्रा ने अमेरिका की टैरिफ नीति संबंधी बातचीत करते हुए कहा कि अमेरिका एक ऐसी आर्थिक महाशक्ति है जिसके किसी भी बड़े आर्थिक निर्णय का विश्व के बहुत सारे देशों पर सीधा असर पड़ता है। भारत भी उनमें से एक है। अमेरिका ने टैरिफ नीति लागू करने की समय सीमा हालांकि 90 दिन तक बढ़ा दी है लेकिन अमेरिका द्वारा जारी की गई नई टैरिफ नीति के बारे में उन्होंने कहा कि जब भी यह टैरिफ लगाने के बाद व्यापार युद्ध गहराने की चिंता ने सभी क्षेत्रों में आर्थिक परिदृश्य को प्रभावित किया है।

दुनिया में निर्यात होगा प्रभावित, महंगाई बढ़ेगी

ट्रंप टैरिफ से न सिर्फ दुनियाभर की अर्थव्यवस्थाओं पर असर पड़ेगा, बल्कि निर्यात और महंगाई के लिए भी नई चुनौतियों के साथ जोखिम पैदा हुए हैं। हालांकि, भारत पर टैरिफ का असर कई अन्य देशों की तुलना में कम होगा। आरबीआई गवर्नर संजय मल्होत्रा ने बुधवार को चालू वित्त वर्ष 2025-26 की पहली मौद्रिक नीति समिति (एमपीसी) की बैठक की जानकारी देते हुए कहा, भारत के कुल निर्यात का जीडीपी में 12 फीसदी योगदान है, जबकि अमेरिका को होने वाला निर्यात 2 फीसदी से भी कम है। इसके उलट, चीन की जीडीपी में उसके निर्यात का हिस्सा करीब 19 फीसदी, जर्मनी का 37 फीसदी और यूरोपीय संघ (ईयू) का 30 फीसदी से ज्यादा है। इसी प्रकार, ताइवान और ईरान जैसे देशों से होने वाले निर्यात का उनकी जीडीपी में अधिक योगदान है।

अमेरिका को कम मात्रा में निर्यात करता है भारत

इसके अलावा, टैरिफ भारत के लिए कम महत्वपूर्ण है, क्योंकि अमेरिका के साथ हमारा व्यापार अधिशेष अन्य देशों से कम है। यह भारत को अमेरिकी टैरिफ के संदर्भ में तुलनात्मक लाभ देता है। हालांकि, यह सच है कि टैरिफ वृद्धि दर को धीमा कर सकता है। गवर्नर ने कहा, दुनिया में मची उथल-पुथल के बीच अमेरिकी डॉलर में गिरावट आई है। बॉन्ड पर रिटर्न घटा है। शेयर बाजारों में गिरावट आ रही है। क्रूड करीब चार साल के निचले स्तर पर आ गया है। ऐसे हालात में केंद्रीय बैंक प्राथमिकताओं के आधार पर सतर्कतापूर्वक काम कर रहे हैं।

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