US Bureau of Industry & Security, (आज समाज), वाशिंगटन/नई दिल्ली: अमेरिका ने 3 भारतीय परमाणु संस्थाओं पर लगा प्रतिबंध हटा दिया है और चीन की 11 संस्थाओं को प्रतिबंधित सूची में जोड़ा है। भारत के जिन तीन संस्थाओं से बैन हटाया है उनमें इंदिरा गांधी परमाणु अनुसंधान केंद्र (आईजीसीएआर), भाभा परमाणु अनुसंधान केंद्र, (बीएआरसी) और इंडियन रेयर अर्थ्स (आईआरई) हैं। तीनों संस्थानों पर अमेरिका ने 20 साल से बैन लगाया था।
अमेरिकी राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार (एनएसए) जेक सुलिवन इसी महीने की शुरुआत में भारत दौरे पर आए थे और इसके बाद यूनाइटेड स्टेट्स ब्यूरो आफ इंडस्ट्री एंड सिक्योरिटी (बीआईएस) का आईजीसीएआर, बीएआरसी और आईआरई से बैन हटाने का फैसला आया है। सुलिवन ने एक सार्वजनिक कार्यक्रम में कहा था कि अमेरिका लंबे समय से चली आ रही नियामक बाधाओं को दूर करने के लिए कदम उठा रहा है, जिन्होंने ऐतिहासिक रूप से भारत की शीर्ष परमाणु एजेंसियों और अमेरिकी कंपनियों के बीच असैन्य परमाणु सहयोग में बाधा डाली है।
यू्सएस बीआईएस ने द्विपक्षीय संबंधों को मजबूत करने और उन्नत ऊर्जा सहयोग पर ध्यान केंद्रित करने के मकसद से आईजीसीएआर, बीएआरसी और आईआरई को अपनी प्रतिबंधात्मक सूची से हटाया है। इसका मुख्य उद्देश्य विज्ञान और प्रौद्योगिकी, विशेष रूप से ऊर्जा क्षेत्र में संयुक्त अनुसंधान व सहयोग को बढ़ावा देना है। साथ ही द्विपक्षीय संबंधों को मजबूत करना भी इसका मकसद है।
यूएस वाणिज्य विभाग के मुताबिक, तीनों भारतीय परमाणु संस्थाओं से प्रतिबंध हटाने से साझा ऊर्जा सुरक्षा जरूरतों और लक्ष्यों की दिशा में संयुक्त अनुसंधान एवं विकास तथा विज्ञान व प्रौद्योगिकी सहयोग सहित उन्नत ऊर्जा सहयोग में बाधाओं को कम करके अमेरिकी विदेश नीति के उद्देश्यों का समर्थन होगा।
बता दें कि वाशिंगटन और नई दिल्ली भारत की बढ़ती ऊर्जा मांगों को पूरा करने के लिए अमेरिकी परमाणु रिएक्टरों की आपूर्ति के संबंध में एक दशक से अधिक समय से चर्चा कर रहे हैं। 2007 में बातचीत ने उस समय एक महत्वपूर्ण मोड़ लिया जब तत्कालीन राष्ट्रपति जॉर्ज डब्ल्यू बुश ने एक समझौते पर हस्ताक्षर किए, जिसने संयुक्त राज्य अमेरिका के लिए भारत को असैन्य परमाणु प्रौद्योगिकी बेचने का मार्ग प्रशस्त किया। जेक सुलिवन ने भारत के दो दिवसीय दौरे के दौरान कहा था कि करीब 20 साल पहले पूर्व राष्ट्रपति बुश व भारत के पूर्व पीएम मनमोहन ने परमाणु समझौते की एक दूरदर्शी सोच की आधारशिला रखी थी और इसे हमें अब हकीकत बनाना है।
1998 में भारत के परमाणु परीक्षणों के बाद संयुक्त राज्य अमेरिका ने 200 से अधिक भारतीय संस्थाओं पर प्रतिबंध लगा दिए थे। हालांकि, जैसे-जैसे पिछले कुछ वर्षों में द्विपक्षीय संबंधों में सुधार हुआ, इनमें से कई संस्थाओं को सूची से हटा दिया गया। एक रिपोर्ट के अनुसार, एक अनाम भारतीय अधिकारी ने कहा कि अमेरिकी वाणिज्य विभाग की सूची में अभी भी भारत के परमाणु ऊर्जा विभाग के भीतर कई प्रमुख संस्थाएं, साथ ही कुछ परमाणु रिएक्टर और बिजली संयंत्र शामिल हैं।
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