नयी दिल्ली। लोकसभा में बृहस्पतिवार को निरसन और संशोधन विधेयक 2019 पेश किया गया जिसमें सौ से डेढ़ सौ वर्ष तक पुराने 58 अप्रचलित कानूनों को समाप्त करने का प्रावधान किया गया है । निचले सदन में विधि एवं न्याय मंत्री रविशंकर प्रसाद ने यह विधेयक पेश करते हुए कहा कि हमारी पूरी कोशिश है कि 100 से 150 वर्ष पुराने कानून जो अपनी प्रासंगिकता खो चुके हैं और पुराने हैं… उन्हें समाप्त किया जाए । केंद्र में मोदी सरकार के आने के बाद से पिछले पांच वर्षों से अधिक समय में हम करीब 1500 पुराने अप्रचलित कानूनों को समाप्त कर चुके हैं। प्रसाद ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की प्रेरणा से ऐसे पुराने कानूनों को समाप्त करने की पहल की गई है जो लोगों के लिए असुविधा उत्पन्न करते थे और परेशान करने वाले थे। कांग्रेस के शशि थरूर ने कहा कि वह विधेयक के विरोध में नहीं हैं लेकिन ऐसा लगता है कि सरकार जल्दबाजी में है । विधेयक की विषयवस्तु का अध्ययन करने के लिये सांसदों को पर्याप्त समय नहीं मिल रहा है। उन्होंने कहा कि जब 58 कानूनों को समाप्त किया जा रहा है, तो विधेयक की विषयवस्तु के अध्ययन के लिए सांसदों को पर्याप्त समय मिलना चाहिए ।
तृणमूल कांग्रेस के कल्याण बनर्जी ने भारतीय दंड संहिता के पुराने होने का जिक्र किया और इस पर विचार करने की बात कही । द्रमुक के ए राजा ने भी विधेयक के अध्ययन के लिये पर्याप्त समय दिये जाने की मांग की। लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने कहा कि ब्रिटिश काल के कानून के स्थान पर नये जमाने के अनुकूल कानून बनना चाहिए । बीजद के भृतहरि माहताब ने सरकार का बचाव करते हुए कहा कि आज सदस्यों को इंटरनेट की सुविधा उपलब्ध करायी गई है । रात में आठ से साढ़े आठ बजे के बीच अगले दिन का एजेंडा उपलब्ध हो जाता है तो सदस्य उसे देख सकते हैं । उन्होंने कहा कि इस सत्र में कामकाज कार्य मंत्रणा समिति में तय कार्यक्रम के अनुरूप ही हो रहा है । इस विधेयक के माध्यम से जिन 58 पुराने एवं अप्रचलित कानूनों को समाप्त करने का प्रस्ताव किया गया है, उनमें लोक लेखापाल चूक अधिनियम 1850, रेल यात्री सीमा कर अधिनियम 1892, हिमाचल प्रदेश विधानसभा गठन और कार्यवाहियां विधिमान्यकरण अधिनियम 1958, हिन्दी साहित्य सम्मेलन संशोधन अधिनियम 1960 शामिल है । इनमें एलकाक एशडाउन कंपनी लिमिटेड उपक्रमों का अर्जन अधिनियम 1964, दिल्ली विश्वविद्यालय संशोधन अधिनियम 2002 भी शामिल है ।