श्रीनगर। भारत ने जम्मू-कश्मीर से आर्टिकल-370 हटाकर उसे केंद्र शासित राज्य बनाया था। जिसके बाद वहां कई प्रतिबंध लगाए गए थे। वहां के कई बड़े-छोटे नेताओं को नजरबंद किया गया था। मोबाइल, इंटरनेट सेवाओं को भी बंद किया गया था जिसे बाद में बहाल किया गया है। पाकिस्तान ने दुनिया के सामने बार-बार भारत में कश्मीर में मानवाधिकार का रोना रोया है और वह बार-बार कश्मीर मुद्दे को ग्लोबल मंचों पर उठाता रहा है जबकि भारत ने इसे हमेशा भारत और पाकिस्तान के बीच का मुद्दा बताया है। अब जम्मू-कश्मीर के हालातों को देखने के लिए अमेरिका के राजदूत केनेथ आई जस्टर सहित 16 देशों के राजनयिक आज कश्मीर की दो दिनों की यात्रा पर हैं। सभी आज श्रीनगर पहुंचे। केंद्र सरकार ने जम्मू कश्मीर का विशेष दर्जा समाप्त कर पिछले वर्ष पांच अगस्त को इसे केंद्र शासित प्रदेश घोषित किया था। दिल्ली से ये राजनयिक गुरुवार को को हवाई मार्ग से श्रीनगर गए और वहां से वे जम्मू जाएंगे। वे वहां पर उप राज्यपाल जी सी मर्मू के साथ ही नागरिक समाज के लोगों से भी मुलाकात करेंगे। इनमें बांग्लादेश, वियतनाम, नार्वे, मालदीव, दक्षिण कोरिया, मोरोक्को, नाइजीरिया आदि देशों के भी राजनयिक शामिल हैं। अधिकारियों ने बुधवार को बताया कि ब्राजील के राजनयिक आंद्रे ए कोरिये डो लागो के भी जम्मू कश्मीर का दौरा करने का कार्यक्रम था। यद्यपि उन्होंने यहां अपने पूर्व निर्धारित कार्यक्रम के चलते दौरे पर नहीं जाने का फैसला किया। ऐसा माना जाता है कि यूरोपीय संघ के देशों के प्रतिनिधियों ने किसी अन्य तिथि पर केंद्र शासित प्रदेश का दौरा करने की बात कही है। यह भी माना जाता है कि इन्होंने पूर्व मुख्यमंत्रियों फारूक अब्दुल्ला, उमर अब्दुल्ला और महबूबा मुफ्ती से मुलाकात करने की इच्छा जताई है। अधिकारियों ने बताया कि गुरुवार को दौरा करने वाले राजनयिक नागरिक समाज के सदस्यों से मुलाकात करेंगे और उन्हें विभिन्न एजेंसियों द्वारा सुरक्षा व्यवस्था की जानकारी दी जाएगी। उसी दिन राजनयिकों को जम्मू ले जाया जाएगा जहां वे उप राज्यपाल जी सी मुर्मू और अन्य अधिकारियों से मुलाकात करेंगे।