Ambala News: कृपाण पहनने के चलते अंबाला की गुरसिख को परीक्षा में बैठने रोका

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कृपाण पहनने के चलते अंबाला की गुरसिख को परीक्षा में बैठने रोका
कृपाण पहनने के चलते अंबाला की गुरसिख को परीक्षा में बैठने रोका

Ambala News (आज समाज) अंबाला: राजस्थान में एक गुरसिख लड़की लोक सेवा आयोग द्वारा आयोजित न्यायिक परीक्षा में इसलिए शामिल नहीं हो पाई, क्योंकि उसने कक्कड़ कृपाण पहन रखी थी। शिरोमणि अकाली दल के अध्यक्ष सुखबीर बादल ने राजस्थान लोक सेवा आयोग द्वारा गुरसिख लड़की से कृपाण उतारने को कहने और उसे परीक्षा केंद्र में प्रवेश करने से रोकने का विरोध किया है। सुखबीर बादल ने जिस गुरसिख लड़की का मामला उठाया है, वह अंबाला कैंट की रहने वाली है। लड़की का नाम लखविंदर कौर है और वह रूप नगर स्थित रियात कॉलेज आॅफ लॉ में असिस्टेंट प्रोफेसर है। लखविंदर कौर ने बताया कि वह पंजाब यूनिवर्सिटी चंडीगढ़ से पीएचडी कर रही है और यह उसका अंतिम वर्ष है। वह साथ ही न्यायपालिका परीक्षा की तैयारी भी कर रही थी। बीते सप्ताह 23 जून को उसकी राजस्थान ज्यूडीशियरी परीक्षा थी। जिसका केंद्र जोधुपर में बना था। वे तय समय पर संबंधित सेंटर में पहुंच गई थी। जब वे परीक्षा केंद्र में जाने के लिए लाइन में लगी तो उन्हें कड़ा व कृपाण उतारने के लिए कहा गया। लखविंदर कौर ने बताया कि उन्होंने सीनियर अधिकारियों को 5 ककारों के बारे में बताया, लेकिन उन्हें केंद्र में बैठने से रोक दिया गया। जब उनसे नियमों के बारे में पूछा गया तो वे इंस्ट्रक्शन लिस्ट लाए। जिसमें इलेक्ट्रॉनिक गैजेट्स, ज्वेलरी आदि के बारे में लिखा था। आदि शब्द में उन्होंने कृपाण व कड़ा को भी जोड़ दिया। जब उन्हें समझाया कि आर्टिकल 25 में संवैधानिक अधिकार दिया गया है। इसके बावजूद उन्होंने उसे परीक्षा केंद्र में बैठने से मना कर दिया। लखविंदर कौर ने बताया कि भविष्य के लिए इस मुद्दे को उठाना बहुत जरूरी है। जो उनके साथ हुआ है, आने वाले समय में अन्य के साथ ना हो, इसलिए इसका हल निकालना जरूरी है। इस परीक्षा से पहले वे अन्य राज्यों में और राजस्थान में भी पहले परीक्षा दे चुकी है। लेकिन, इस बार ही उन्हें परीक्षा देने से रोक दिया गया।

इससे पहले भी आया था एक मामला

इससे पहले भी गुरसिख लड़की वकील अरमानजोत कौर को कृपाण सहित न्यायिक परीक्षा देने से रोक दिया गया था। जिस पर शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी के विरोध जताया था। एडवोकेट धामी ने कहा था कि भारत के संविधान के अनुसार सिखों को कृपाण धारण करने का पूरा अधिकार है और सिख रहत मयार्दा के अनुसार कोई भी अमृतधारी सिख पांच सिख ककारों को अपने शरीर से अलग नहीं कर सकता है।