Ambala News : गांव बाड़ा में योगा सेशन व कैंप आयोजित

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Ambala News : गांव बाड़ा में योगा सेशन व कैंप आयोजित
कैंप में जांच करवाने पहुंचे लोगों को जानकारी देते डॉ. समिधा।
  • डॉ. समिधा शर्मा बुजुर्गों को कैंप में दी निशुल्क आयुर्वेदिक दवाईयां

Ambala News | अंबाला। अंबाला के गांव बाड़ा स्थित आयुष्मान आरोग्य मंदिर सब सेटर में जिÞला आयुर्वेद अधिकारी अंबाला डॉ शशिकांत शर्मा के दिशानिर्देशन में डॉ समिधा शर्मा एमडी आयुर्वेद, इंचार्ज आयुष्मान आरोग्य मंदिर बाड़ा अंबाला ने योगा सेशन के पश्चात बुजुर्गों के लिए विशेष कैम्प शुरू किया व वर्षा ऋतुचर्या के बारे में बताया।

कैम्प में 72 बुजुर्गों को नि:शुल्क आयुर्वेदिक दवाइयाँ दी गई व मालिश का तेल भी वितरित किया गया ।इस मौसम में व्यक्ति की ताकत कमजोर हो जाती है। वात दोष के परिवर्तन और पित्त दोष के जमाव से अग्नि भी खराब हो जाती है। आहार दिनचर्या: लवण (नमकीन) स्वाद वाले और स्नेह (चिकना) गुणों वाले खाद्य पदार्थ खाने चाहिए।

पथ्य आहार-विहार

वर्षा-ऋतु में हल्के, सुपाच्य, ताजे, गर्म और पाचक अग्नि को बढ़ाने वाले खाद्य-पदार्थों का सेवन हितकारक है। ऐसे पदार्थ लेने चाहिए, जो वात को शान्त करने वाले हों। इस दृष्टि से पुराना अनाज, जैसे गेहूँ, जौ, शालि और साठी चावल, मक्का (भुट्टा), सरसों, राई, खीरा, खिचड़ी, दही, मट्ठा, मूँग और अरहर की दाल, सब्जियों में झ्र लौकी, भिण्डी, तोरई, टमाटर और पोदीना की चटनी, सब्जियों का सूप, फलों में झ्र सेब, केला, अनार, नाशपाती, पके जामुन और दही की लस्सी में लौंग, त्रिकटु (सोंठ, पिप्पली और काली मिर्च), सेंधा नमक, अजवायन, काला नमक आदि डाल कर पीने से पाचन-शक्ति ठीक रहती है। लहसुन की चटनी व शहद को जल एवं अन्य पदार्थों (जो गर्म न हों), में मिला कर लेना उपयोगी है। इस मौसम में वात और कफ दोषों को शान्त करने के लिए कटु, रसायन रूप में हरड़ का चूर्ण सेंधा नमक मिला कर लेना चहिए।

विहार- शरीर पर उबटन मलना, मालिश और सिकाई करना ,भोजन भूख लगने पर और ठीक समय पर ही करना चाहिए। रात्रि को भोजन जल्दी कर लेना चाहिए। मच्छर आदि से बचने के लिए मच्छरदानी का प्रयोग करना चाहिए।
अपथ्य आहार-विहार-वर्षा ऋतु में पत्ते वाली सब्जियाँ, ठण्डे व रूखे पदार्थ, चना, मोंठ, उड़द, जौ, मटर, मसूर, ज्वार, आलू, कटहल, सिंघाड़ा, करेला और पानी में सत्तू घोलकर लेना हानिकारक है।

रात के समय दही और मट्ठा तो बिल्कुल नहीं लेना चहिए। गीले, नमीयुक्त वत्रों और बिस्तर का प्रयोग नहीं करना चाहिए। शरीर के जोड़ों, विशेषकर जांघों के जोड़ और गुप्त अंगों के आस-पास की चमड़ी को पानी या पसीने से गीला होने से बचाये रखना चाहिए। वर्षा ऋतु में हरीतकी चूर्ण का सममात्रा में सैंधव लवण के साथ सेवन करना चाहिए ।

वर्षा-ऋतु में आहार-विहार

वर्षा-ऋतु विसर्ग काल के आरम्भ में आती है। इस समय आकाश और दिशाएँ बादलों से युक्त होती है। वातावरण में हरियाली के साथ-साथ नमी और रूक्षता भरी होती है। नमी के कारण मच्छर-मक्खी आदि जन्तुओं से गन्दगी बढ़ जाती है। कैम्प में उन्होंने योगा का शरीर पर अनुकूल प्रभाव के बारे में बताया । डॉ समिधा ने यह भी बताया कि उनके सेंटर की और से रोज तीन योगा सेशन ग्राम बाड़ा में लगाये जा रहे हैं। इस अवसर पर उनके साथ डिस्पेंसर नसीब सिंह, योगा सहायक देपिंद्रजीत कौर कौर, योगा इंस्ट्रक्टर सोनिया शर्मा, पार्टिम सनी साथ रहे ।

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