- ‘‘आज से थोड़ा कम, तेल चीनी नमक कम’’: डॉ. पूनम गुप्ता
- मोटा अनाज हृदय रोग तथा पाचन से संबंधित समस्याओं से बचाता है: डॉ. इन्द्रजीत वालिया
- मोटा अनाज खाना कोई फैशन नहीं भारतीय आहार परम्परा है: डॉ. अनुपमा आर्य
Ambala News | Arya College | अम्बाला | आर्य गर्ल्ज कॉलेज, अम्बाला छावनी के प्रांगण में स्वरोजगार सैल तथा इन्नरव्हील क्लब अम्बाला के संयुक्त तत्वावधान में एक दिवसीय कार्यशाला का आयोजन किया गया। कार्यक्रम के आरंभ में महाविद्यालय प्राचार्या महोदया डॉ. अनुपमा आर्य ने मुख्यातिथियों का स्वागत किया।
प्राचार्या महोदया ने जानकारी देते हुए बताया कि महाविद्यालय के स्वरोजगार सैल द्वारा मोटे अनाज के स्टोर का शुभारंभ किया गया है जिसका उदद्ेश्य केवल व्यापार करना ही नहीं अपितु 5000 वर्ष पूर्व की भारतीय आहार परम्परा पुनर्जिवित करना है ताकि युवा वर्ग इससे अवगत करवाया जा सके।
कार्यक्रम में मुख्यातिथि के रूप में साकेत अस्पताल, अम्बाला छावनी के आहार विशेषज्ञ इन्द्रजीत वालिया तथा टूगेदर वी केन फाउंडेशन की संस्थापक श्रीमती पूनम गुप्ता (एफ.एस.एस.ए.आई. टेªनर) रहीं। कार्यक्रम के दौरान अंजलि वधावन, इन्नरव्हील अध्यक्षा सीमा, श्रीमती शोभा धवन मंचस्थ रहे।
डाइटिशियन वालिया ने कहा कि मोटे अनाज में पोषक तत्वों की मात्रा सामान्य अनाज से कहीं अधिक होती है तथा इसमें पाया जाने वाला फाइबर गेहूं और चावल से अधिक है तथा इसमें ग्लूटन भी नहीं पाया जाता है जिसकी वजह से हृदय रोग तथा पाचन से संबंधित होने वाली बीमारियों से मुक्ति दिलाता है।
यह अनाज कम पानी और विषम परिस्थितियों में भी उगाया जा सकता है। उन्होंने मोटे अनाज की विभिन्न किस्मों जैसे सामक, कोदरा, कुटकी, बाजरा, ज्वार, कंगनी, चना, रागी आदि के फायदों के बारे में भी बताया।
श्रीमती पूनम गुप्ता ने छात्राओं को संबोधित करते हुए कहा कि आज के समय में जब स्वास्थ्य संबंधी समस्याएं बढ़ रही हैं, लोग अधिकतर रिफाइंड और प्रोसेस्ड खाद्य पदार्थों की ओर आकर्षित हो रहे हैं, जो कि स्वास्थ्य के लिए अत्यंत हानिकारक है। ऐसे समय में भारतीय पारम्परिक आहार को दोबारा अपनी खुराक का हिस्सा बनाने की आवश्यकता है।
मोटे अनाज के स्टोर लोगों को स्वास्थ्य के प्रति जागरूक करने का प्रभावी तरीका हो सकते हैं। सरकार द्वारा भी इस ओर कई कदम उठाए जा रहे हैं तथा आज के समय को देखते हुए लोगों के स्वास्थ्य तथा पर्यावरण संरक्षित करने हेतु मोटे अनाज को लोकप्रिय बनाने की आवश्यकता है। श्रीमती पूनम गुप्ता ने नारे के रूप में कहा कि ‘‘आज से थोड़ा कम, तेल चीनी नमक कम’’।
डॉ. अनीता गोदारा ने बताया कि मोटे अनाजों से विभिन्न खाद्य पदार्थों को स्वादिष्ट बनाया जा सकता है तथा इसके द्वारा छात्राएं स्वरोजगार प्राप्त कर सशक्त बन सकती है। सिविल अस्पताल, अम्बाला छावनी से डॉ. जोगिन्द्र,ने कहा कि मोटा अनाज हमारी डाइट की सभी आवश्यकताओं को पूरा करने में सक्षम हैं।
आए हुए गणमान्य सदस्यों ने छात्राओं द्वारा लगाए गए मोटे अनाज के स्टॉल्स का निरीक्षण कर उन्हें प्रोत्साहित किया। इस अवसर पर छात्राओं ने मोटे अनाज से बनी बहुत सामग्रियां तैयार कीं जिन्हें सभी ने सराहा।
इस कार्यक्रम में कॉलेज की सभी छात्राएं तथा एलुमनाई डॉ. उर्मिल गुप्ता, प्रो. सविता बजाज, सरबजीत, रवि, प्रगति, श्री कमलेश शर्मा, मधु बांसल जी के अतिरिक्त वरिष्ठ प्राध्यापिकाएं जिनमें डॉ. राजेंद्रा तथा इन्नरव्हील, जे.सी.आई. तथा फ्रेंड्स क्लब से मोनिका तथा संजना जी सहित अन्य सदस्यों ने शोभा बढ़़ाई।
कार्यक्रम के अंत में प्राचार्या द्वारा आए हुए गणमान्य अतिथियों सिस्टर तारा, पूर्व प्राचार्या, कॉन्वेंट जीजस एंड मैरी स्कूल, अम्बाला, इन्द्रजीत वालिया, डॉ. जोगिन्द्र, डॉ. पूनम गुप्ता, अंजलि वधावन जी को पौधा तथा शॉल देकर सम्मानित किया।
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