Ambala News : पुलिस डीएवी स्कूल में 39वां राष्ट्रीय नेत्रदान जागरूकता पखवाड़ा के तहत कार्यशाला आयोजित

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Ambala News : पुलिस डीएवी स्कूल में 39वां राष्ट्रीय नेत्रदान जागरूकता पखवाड़ा के तहत कार्यशाला आयोजित
मुख्यातिथि के साथ स्टाफ।

Ambala News | अंबाला। पुलिस डी.ए. वी पब्लिक स्कूल, अम्बाला शहर में माधव नेत्र ज्योति  सोसाइटी   के सहयोग से 39 वां  राष्ट्रीय नेत्रदान जागरूकता पखवाड़ा के अंतर्गत अध्यापकों के लिए एक कार्यशाला का आयोजन  किया गया । स्कूल के प्रधानाचार्य डॉ. विकास कोहली द्वारा  माधव नेत्र ज्योति  सोसाइटी  के सभी सदस्यों  को ओम का पटका  देकर उनका स्वागत किया गया।

माधव नेत्र ज्योति  सोसाइटी  के सदस्यों  ने अध्यापकों को संबोधित करते हुए कहा की नेत्रदान, रक्तदान से कम पुण्य का काम नहीं, क्योंकि इस दान से आप किसी की जिंदगी में उजाला ला सकते हैं। आंखें हमारे जिंदा रहने तक तो हमारी जिंदगी रोशन करती ही हैं, मरने के बाद भी ये किसी दूसरे की जिंदगी रोशन कर सकती हैं।

हाल-फिलहाल बदलती लाइफस्टाइल, अनियमित दिनचर्या, प्रदूषण और बहुत ज्यादा स्ट्रेस की वजह से ज्यादातर लोग आंख से जुड़ी समस्याओं का शिकार होने लगे हैं। विश्व स्वास्थ्य संगठन (हऌड) के अनुसार, कॉर्निया की बीमारियां (कार्निया की क्षति, जो कि आंखों की अगली परत हैं), मोतियाबिंद और ग्लूकोमा के बाद, दृष्टि हानि अंधेपन के प्रमुख वजहों में से एक हैं। ब्लड केंसर जैसी बीमारियों के कारण भी कई व्यक्ति अपनी आंखें गवां बैठते हैं।

गांवों से लेकर शिक्षित समाज में आज भी नेत्र दान को लेकर कई तरह की भ्रांतियां हैं कि, आंखें दान कर देने से अगले जन्म में अंधे पैदा होंगे, नेत्रदान से  शरीर खराब हो जाता है। तो इन्हें दूर करने का प्रयास करें क्योंकि इनमें किसी भी तरह की सच्चाई नहीं। मरने के बाद नेत्रबैंक के व्यक्ति मृतक के चेहरे को बिना बिगाड़े आसानी से आंखों को निकाल लेते हैं। कई सारे गंभीर रोगों से पीड़ित व्यक्ति नेत्रदान नहीं कर सकते हैं।

जैसे- एड्स, हैपेटैटिस,  ब्लड केन्सर, ब्रेन टयूमर, आंख के आगे की काली पुतली (कार्निया) की खराबी हो, अथवा जहर आदि से मृत्यु हुई हो तो इन्हें नेत्रदान की मनाही होती है। चश्मा पहनने वाले, मधुमेह (डायबिटीज), अस्थमा, उच्च रक्तचाप (हाई ब्लड प्रेशर) और अन्य शारीरिक विकारों जैसे सांस फूलना, हृदय रोग, क्षय रोग आदि के रोगी नेत्र दान कर सकते हैं। इसके अलावा मोतियाबिंद, कालापानी या आंखों का आपरेशन करवाने वाले व्यक्ति भी आसानी से नेत्रदान कर सकते हैं। नेत्रदान का पूरा प्रोसेस आसान होने के साथ मात्र 15-20 मिनट में पूरा  भी हो जाता है।

प्रधानाचार्य डॉ. विकास कोहली ने अपने वक्तव्य में बताया कि हर साल 10 जून को नेत्रदान दिवस मनाया जाता है। जिसका उद्देश्य लोगों में नेत्रदान के प्रति जागरूकता फैलाना है। आज हमारे देश में ऐसे कई लोग हैं जो या तो किसी दुर्घटनावश या फिर जन्मजात अंधे हैं।

जागरूकता और कुछ प्रयासों के माध्यम से इन्हें एक बेहतर जिंदगी दी जा सकती है।   माधव नेत्र ज्योति  सोसाइटी नरेंदर बतरा, अरविन्द जैन , नरेश चोपड़ा एवं दीपशिखा मुख्य रूप से मौजूद रहे। इस अवसर पर सभी ने  नेत्रदान की महत्वता को समझा  और आगे बढ़कर लोगों को नेत्र दान के प्रति जागरूक करने  की शपथ ली ।

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