Ambala News : अंबाला। महामंडलेश्वर गीता मनीषी स्वामी ज्ञानानंद महाराज के सानिध्य में धार्मिक एवं सामाजिक कार्यों में सेवारत श्री कृष्ण कृपा जीओ गीता परिवार द्वारा कार्तिक मास के उपलक्ष्य में चलाए जा रहे गीता पाठ संकीर्तनों की श्रृंखला में बुधवार को गीता पाठ संकीर्तन अम्बाला शहर के लाजपत नगर स्थित श्री राधा कृष्ण मंदिर में जगदीश सचदेवा परिवार द्वारा आयोजित किया गया। जिसमें बृजमंडलाधीश्वर गीता मनीषी स्वामी ज्ञानानंद जी महाराज ने कहा कि कार्तिक मास पूजा पाठ जप-तप ज्यादा से ज्यादा करने का महीना है। हमारे ऋषि-मुनियों ने विचार किया कि सामान्य दिनों के अतिरिक्त कोई ऐसा महीना बनाया जाए जिसमें ज्यादा से ज्यादा जप-तप हो सके। इसलिए उन्होंने कार्तिक मास को चुना। उन्होंने कहा कि कार्तिक मास का प्रत्येक दिन व्रत-त्यौहार का दिन होता है इसलिए इस मास का महत्व और अधिक बढ़ जाता है। जैसे व्यापारी कहते हैं कि सीजन आने पर ज्यादा से ज्यादा कमाई अथवा काम कर लो ताकि जब सीजन चला जाए और कमाई न हो तो भी कमाई का बलैंस बना रहे।
इसी प्रकार कार्तिक मास में अधिक से अधिक पूजा पाठ करना चाहिए ताकि अन्य महीनों का बैलेंस बराबर बना रहे। गीता पाठ संकीर्तन का शुभारंभ जीओ गीता के रविन्द्र चोपड़ा ने महामंत्र ओम नमो भगवते वासुदेवाय की मधुर धुन एवं विनोद कुमार सौंडा ने गणपति वंदना गाकर किया। परम पूज्य स्वामी ज्ञानानंद जी महाराज ने गीता जी के अष्टादश श्लोकी गीता पाठ एवं श्रीकृष्ण कृपा अमृतवाणी का पाठ सामूहिक रूप से अंसख्य भक्तों की उपस्थित में करवाया। भजनों की श्रृंखला में विजय कुमारी चोपड़ा, पूजा-सपना चावला एवं रसिक रतन जी रतन ने एक के बाद एक सुंदर भजन प्रस्तुत किए। जहां एक ओर विजय चोपड़ा ने अपने चरणों का दास बना ले, ए शाम मुरलिया वाले तथा रतन जी द्वारा मेरे सतगुर की कृपा बड़ी मैनू शीश झुका लेण दे तथा सारथी बनो सतगुर मेरे जीवन रथ के भजनों पर श्रद्धालु झूमते दिखाई दिए, वहीं पूजा-सपना चावला के भजनों से वातावरण कृष्णमय हो गया। श्रीमद्भगवद्गीता जी की आरती के साथ गीता पाठ संकीर्तन का समापन हुआ। इस अवसर पर जीओ गीता परिवार की ओर से अमन सचदेवा, अशोक चावला, दिनेश ग्रोवर, राजू चावला, हैप्पी चावला, रविन्द्र चोपड़ा, रमेश सचदेवा, शुभम वैद, केवल चावला, मनमोहन कपूर, सतीश चावला, मोनू खरबन्दा, मोनू चावला, पवन चावला सहित काफी संख्या में श्रीकृष्णकृपा परिवार के सदस्य उपस्थित थे।