Ambala news : अंबाला। सनातन धर्म कॉलेज,अम्बाला छावनी में कुरुक्षेत्र विश्विद्यालय, युवा एवं सांस्कृतिक कार्यक्रम विभाग द्वारा जोनल यूथ फेस्टिवल 2024 का आयोजन किया जा रहा है क एसडी कॉलेज को कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय के अम्बाला क्षेत्र के 47वें क्षेत्रीय युवा महोत्सव के आयोजन का दायित्व मिला है। इस महोत्सव का आयोजन 18 से 20 अक्तूबर को किया जाएगा। कॉलेज के प्राचार्य डॉ. राजेंदर सिंह ने कहा कि युवा महोत्सव से विद्यार्थियों को हरियाणवी संस्कृति और कला के बारे में सीखने को मिलता है और वे अपनी संस्कृति से जुड़ते हैं। इसके साथ ही नए-नए विषयों के बारे में भी जानकारी प्राप्त होती है। इससे समाज में एकता, नैतिकता, सद्भाव और प्रेम की स्थापना होती है। सांस्कृतिक गतिविधियों की अधिष्ठाता डॉ. विजय शर्मा ने बताया कि यह युवा महोत्सव हरियाणा प्रदेश की समृद्ध कलाओं को जीवंत रखने में नींव का पत्थर सिद्ध हो रहा है।
तीन दिवसीय इस युवा महोत्स्व में लगभग बीस महाविद्यालयों के अनेक छात्र- छात्राएं प्रतिभागिता करेंगे। इस आयोजन में पांच विधाएँ जिनमें- रंगमंच, संगीत, नृत्य, साहित्यिक एवं ललित कला शामिल हैं। उत्सवधर्मी और त्योहार प्रेमी हरियाणवी जनमानस अपने भावों को अभिव्यक्त करने के लिए भिन्न-भिन्न कलाओं का आश्रय लेता रहा है।अम्बाला मंडल के सभी कॉलेज एक टीम के रूप में इस महोत्सव को सफल बनाएंगे। कुरुक्षेत्र यूनिवर्सिटी के सांस्कृतिक पर्यवेक्षक डॉ हरविंदर राणा का मानना हैं कि हरियाणा प्रदेश लोक संस्कृति, लोक मान्यताओं और संस्कारों से जुड़ा हुआ प्रदेश है, जहाँ समय- समय पर हरियाणा प्रदेश की लोक विधाओं और लोक नृत्यों का प्रस्तुतीकरण देखने को मिलता है क हरियाणा में उत्सवों पर विभिन्न प्रकार के नृत्य किये जाते हैं जैसे कि लूर नृत्य, रसिया नृत्य, हरियाणवी नृत्य आदि क ये नृत्य युवा महोत्सव की शान बन चुके हैं। हरियाणा की लोक संस्कृति में उत्सवों की विशेष चहल-पहल दिखाई देती है। इन अवसरों पर लोकनृत्य के माध्यम से अपने भावों की अभिव्यक्ति को सर्वोपरि माना गया है।लोकनृत्य लोक संस्कृति का अभिन्न अंग है क लोक नृत्य समाज विशेष की पहचान होते हैं। ये खेत-खलिहान, खुले मैदान, ऋतु परिवर्तन, तीज-त्योहार की उर्वरक भूमि पर पुष्पित-पल्लवित होते हैं। लोक नृत्य का स्रष्टा सम्पूर्ण लोक है।
ये लोकनृत्य न केवल हरियाणा की सांस्कृतिक पहचान हैं, अपितु जनमानस की आत्माभिव्यक्ति भी हैं। यह परम्परा प्राचीन काल से ही चली आ रही है।नृत्य का अर्थ है-लय और ताल के साथ अंग संचालन करते हुए हृदय की भावनाओं को शरीर की चेष्टाओं द्वारा प्रकट करना। लोकनृत्य में लोकमानस की मनोरम अभिव्यक्ति होती है।। हरियाणा के लोक नृत्य राज्य के समृद्ध लोकगीत और परंपरा को प्रदर्शित करते हैं और लोगों की सांस्कृतिक पृष्ठभूमि को दशार्ते हैं। इन लोक नृत्यों से लोगों में एकता और एकजुटता की भावना पैदा होती है। जनसंपर्क अधिकारी संजीव कुमार ने बताया कि नृत्य की श्रेणी में 1. हरियाणवी लूर नृत्य 2. शास्त्रीय नृत्य 3. सामूहिक नृत्य (सामान्य ) 4. सामूहिक नृत्य (हरियाणवी ) 5. हरियाणवी एकल नृत्य ( पुरुष / महिला श्रेणी ) 6. कोरिओग्राफी 7. रसिया (हरियाणवी सामूहिक नृत्य) को मुख्य रूप से सम्मिलित किया गया है।
लूर नृत्य
लूर हरियाणा के बांगर क्षेत्र का लोकप्रिय नृत्य है। हरियाणा के दादरी क्षेत्र में लड़की के लिए लूर शब्द का प्रयोग होता है। इस नृत्य में केवल युवतियां और महिलाएं ही भाग लेती हैं। इसी कारण से इसे लूर नृत्य कहा गया होगा। यह फाल्गुन महीने में होलिका दहन से दो सप्ताह पहले किया जाता है। हरियाणा का लूर नृत्य एक ऐसी लड़की की भावनाओं पर आधारित है जो शादी के बाद एक महिला के रूप में विकसित होती है क यह नृत्य सुखद वसंत के आगमन और रबी फसल की बुवाई का प्रतीक है। लूर के लिए एकत्रित महिलाएं अर्धगोलाकार घेरे में एक दूसरे के सामने दो पंक्तियों में खड़ी हो जाती हैं। लूर की अपनी विशिष्ट लय व ताल होती है। लूर नृत्य में आमने-सामने दोनों पंक्तियों में खड़ी महिलाएं नाचती हुई एक दूसरे के पास जाती हैं और गीतों के माध्यम से सवाल पूछती है। दूसरी पंक्ति में खड़ी हुई महिलाएं नाचते हुए आती हैं और सवालों के जवाब देती हैं। जिज्ञासाओं और ज्ञान से भरे हुए गीतों पर नृत्य करती हुई महिलाओं की कोयल सी सुरीली आवाज वातावरण में मिठास भर देती है।
हरियाणा के लोक नृत्य
हरियाणा का एक अनूठा पारंपरिक लोक नृत्य, घूमर नृत्य अत्यंत लोकप्रिय है। नर्तकियों की वृत्ताकार चालें इस नृत्य को भिन्न रूप में चिह्नित करती हैं। नर्तक, जो एक गोलाकार मोड लेते हैं और ताली बजाते और गाते हैं, इस नृत्य को करते हैं।
सामूहिक नृत्य (सामान्य)
सामान्य सामूहिक नृत्य समूह द्वारा आयोजित किया जाता हैं. यह किसी भी अवसर पर प्रसन्नता को अभिव्यक्त करने का अद्भुत माध्यम हैं.
सामूहिक नृत्य (हरियाणवी )
हरियाणा का सामूहिक नृत्य इस प्रदेश की संस्कृति का परिचायक हैं. इसमें हरियाणा के लोग मिलकर भाव भंगिमाओं द्वारा नृत्य प्रस्तुत करते हैं. हरियाणा के विभिन्न अंचलों में भिन्न-भिन्न प्रकार के लोकनृत्यों की अनुपम छटा दिखाई देती है।
एकल नृत्य (हरियाणवी – पुरुष श्रेणी / महिला श्रेणी)
एकल नृत्य में नर्तक स्वतंत्र रूप से नृत्य करता है। सबसे अच्छे नर्तक ही एकल नृत्य करते हैं।
रसिया नृत्य
रास नृत्य का संबंध भगवान श्रीकृष्ण की रासलीलाओं से जुड़ा हुआ हैक यह नृत्य मुख्यत: दो प्रकार का होता है – तांडव नृत्य एवं लास्य नृत्य क हरियाणा में यह नृत्य होडल, पलवल, बल्लभगढ़ आदि क्षेत्रों में प्रसिद्ध है।
कोरियोग्राफी
नृत्य मानवीय अभिव्यक्तियों का एक रसमय प्रदर्शन है। यह एक सार्वभौम कला है, जिसका जन्म मानव जीवन के साथ हुआ है। इसमें मानव अपनी समसामयिक वातावरण के अनुसार भावाभिव्यक्ति करता है क इन्हीं आंगिक-क्रियाओं से नृत्य की उत्पत्ति हुई है। इसमें 8-12 नर्तक अपनी प्रस्तुति देते हैं