Ambala News | अंबाला। पीएम श्री केंद्रीय विद्यालय क्रमांक 2, अंबाला छावनी में संस्कृत सप्ताह के अंतर्गत लघु नाटिका तथा श्रुतलेख प्रतियोगिता का आयोजन किया गया, जिसमें छात्रों ने उत्साहपूर्वक भाग लिया। कार्यक्रम का शुभारंभ वरुण मित्र, उपायुक्त ,केंद्रीय विद्यालय संगठन, गुरुग्राम संभाग के वक्तव्य से प्रारंभ हुआ।
उन्होंने छात्रों को संबोधित करते हुए कहा कि भारतीय संस्कृति की दो ही प्रतिष्ठाएं हैं एक भारत की संस्कृति और दूसरी, भारत की संस्कृत भाषा। संस्कृत भाषा सभी भाषाओं की जननी है लगभग सभी भाषाएं संस्कृत भाषा से ही उत्पन्न हुई हैं। उपायुक्त महोदय ने संस्कृत के महत्व को दर्शाते हुए कहा कि संस्कृत भाषा में विज्ञान, राजनीति, आयुर्वेद, ज्योतिष,शल्य चिकित्सा, अच्छे वचन आदि ज्ञान का भंडार निहित है अत: संस्कृत को न केवल पढ़ना चाहिए बल्कि उसके सिखाए गए पाठों को अपने जीवन में उतरना चाहिए।
संस्कृत भाषा भारतीय सभ्यता और संस्कृति की आत्मा है। भारतीय नृत्य, संगीत, कला और स्थापत्य में संस्कृत का गहरा प्रभाव देखा जा सकता है। इसके अलावा, योग, आयुर्वेद और ज्योतिष जैसे विषयों का मूल भी संस्कृत में ही है। इसलिए, यदि संस्कृत भाषा का अध्ययन और संरक्षण किया जाए, तो यह न केवल हमारे अतीत को समझने में सहायक होगा, बल्कि वर्तमान और भविष्य के लिए भी एक स्थायी ज्ञान का स्रोत सिद्ध होगा।
तत्पश्चात लघु नाटिका कार्यक्रम का शुभारंभ हुआ। नाटिका का विषय “संकल्प: सिद्धिदायक:” तथा “त्रिवर्ण ध्वज:” था, जो विद्यार्थियों को संकल्प के माध्यम से सफलता की प्राप्ति कैसे की जाए तथा भारतीय तिरंगे के रंगों के महत्व के विषय में वर्णित करने वाला था। छात्रों ने प्रभावशाली संवाद और अद्वितीय अभिनय से दर्शकों का मन मोह लिया। तत्पश्चात एक अन्य प्रतियोगिता श्रुतलेख का विद्यालय में आयोजन किया गया।
प्रतियोगिता का उद्देश्य छात्रों में संस्कृत भाषा के प्रति रुचि को बढ़ावा देना और उनके शुद्ध लेखन कौशल को प्रोत्साहित करना था। श्रुतलेख प्रतियोगिता का संचालन संस्कृत अध्यापक अशोक कुमार एवं डॉ गौरव शर्मा के मार्गदर्शन में किया गया। उन्होंने छात्रों को कठिन शब्दों और वाक्यों का श्रुतलेख दिया, जिसे छात्रों ने बड़े ध्यान और एकाग्रता के साथ लिखा। छात्रों का प्रदर्शन अत्यंत सराहनीय रहा और उन्होंने कठिन शब्दों को भी सही ढंग से लिखा, जिससे उनकी संस्कृत भाषा पर पकड़ स्पष्ट दिखाई दी।
इस अवसर पर उप-प्राचार्य मनीष सेमवाल ने छात्रों की सराहना की और संस्कृत भाषा की महत्ता पर प्रकाश डाला। उन्होंने कहा कि “इस प्रकार के आयोजन न केवल छात्रों में संस्कृत भाषा के प्रति रुचि जागृत करते हैं, बल्कि उनके व्यक्तित्व विकास में भी सहायक होते हैं। कार्यक्रम में उपस्थित शिक्षकों ने भी इस आयोजन की खूब सराहना की और संस्कृत भाषा के प्रचार में इस तरह के कार्यक्रमों की निरंतरता की मांग की।
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