Ambala News : साहित्य सुरभि मंच ने आयोजित की काव्य संध्या

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Ambala News : साहित्य सुरभि मंच ने आयोजित की काव्य संध्या
उपस्थित महिलाएं।

Ambala News | अंबाला। साहित्य सुरभि मंच के तत्वावधान में 8अगस्त को सांयकाल एक काव्य गोष्ठी का आयोजन किया गया । इस में 14 सदस्याओं ने भाग ले कर अपनी – अपनी कविताएँ पढ़ीं । देशप्रेम , वर्षाऋतु , नारी मन, अध्यात्म आदि कविताओं के मुख्य विषय रहे ।  अमरीका से उर्मिल गुप्ता ने सावन की स्मृतियाँ साझी करते हुए कहा- आता था जब सावन घिर आती घनघोर घटाएं, खिल उठते थे धरती अम्बर गाते थे मोर पपीहे ।

सुमनकांत ने भी कहा  स्वागत वर्षा ऋतु तुम्हारा !  डॉ शशि धमीजा ने भी स्वर मिलाते हुए कहा , ह्य झुक झुक री बदरिया थोड़ा सा और , तेरे प्रेम में मैं हुई विभोर। पूनम खुराना ने भी कहा ,  मिट्टी की सोंधी सी खुश्बू सब के मन को बड़ा ही भाती! बीना भी कह उठी  कितना कुछ बदल गया है फिर भी सावन का महीना बहुत अच्छा लगता है ।बीना महाजन ने वर्षा के आनंद से दूरी बनाबरखने वालों पर कहा  बरसात में भी कोई खिड़की खुली नजर नहीं आती।

डॉ भारती बंधु ने विश्वपटल पर छाए युद्ध और आतंक से प्रभावित होते वर्षा के उत्साह पर कहा पर मन पहले सा उल्लसित नहीं गौरी वंदना ने परिवर्तनशील प्रकृति का बखान किया मौसम सदा एक सा नहीं रहता , घोर तपिश के बाद सावन आता है और सावन की तीज भी और रिश्तों की नाजुकता पर भी उन्होंने कहा  रिश्ते बहुत प्यारे होते हैं ये उद्यान है इसे सींचना पड़ता है । प्रेम और पीड़ा को स्वर दिया डॉ मुक्ता ने चातक की करुण पुकार को स्वाति जानता नही उर्ध्व लोक के वासी धरा वालों के दिल की क्या जानें ।

अपनी दूसरी कविता में डॉ मुक्ता ने अध्यात्म को छुआ , हर कतरे को समंदर हो जाने दो। नित्य व्यस्त नारी के मन को खोला अनिता चोपड़ा ने सूरज ने भर दी हाजिÞरी रजिस्टर में,और लग गया दिनचर्या में, निकल गए मुट्ठी भर लम्हे झटपट बिना किसी आवाज के । अपनी दूसरी कविता में भी कहा तुम को चाहना तो इक बहाना है, मुझ को तो खुद तक जाना है।

सत्य की समाज में स्थिति पर कहा विजय गुप्ता ने , मेरे मित्र ज्यादा पसंद नहीं करते मेरी मित्रता, क्योंकि सत्य उन का स्वभाव नहीं । कविता की परिभाषा देते हुए क्षमा लांबा ने कहा हर विवश की चाह को कविता कहा है  जिस से पाषाणों का हृदय हो स्पंदित , ऐसे भावोत्साह को कविता कहा है । इंदु गुप्ता ने शबरी की प्रतीक्षा को साक्षात् करते हुए कहा, शबरी तुम्हारे इंतजार को नमन है, धन्य तुम्हारे नेत्र जिन्होंने राम को पा लिया।

गोष्ठी में स्वतंत्रता दिवस की आहट भी देश प्रेम की कविताओं में दीखी। दिल्ली से शामिल हुई सुशीला गुप्ता ने देश का गुणगान करते हुए कहा,  भारत है प्यारा प्यारा , देश हमारा देश हमारा विजय गुप्ता ने अगस्त क्रांति का स्मरण करते हुए कहा  आज है भारत की आन का दिन ये तिरंगा कहानी बलिदानों की, जागो हिंदुओ भारत ही ठिकाना है। ऐसा ही भाव था डॉ विजय शर्मा का , आज स्वतंत्रता झूम रही है बन कर मद मस्तान आज भी याद आ जाती भारतीय वीरों की कुबार्नी पूनम खुराना ने बलिदानी की बहन का भाव बताया , ह्य आज मुझ सा भाग्यशाली कौन है संसार में , भाई जिसका आया हो देश के काम में ।

डॉ शशि भी गा उठी , ह्य एक स्वर में आओ गाएँ ,आज वंदे मातरम्!  गोष्ठी में बंगला देश की स्थितियों पर भी गंभीर चर्चा हुई, वहाँ हिंदुओं को हिंसा का निशाना बनाने की कड़े शब्दों में भर्त्सना की गई । राष्ट्रगान के साथ काव्यसंध्या सम्पन्न हुई॥

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