Ambala news: अंबाला। सिक्ख सीनियर सेकेंडरी स्कूल अंबाला छावनी के परिसर में विद्यार्थियों तथा शिक्षकों के लिए बाल शोषण के बारे में जागरूकता पैदा करने के लिए चैत्राली वांकर तथा हेमंत देवादिगा पाटिल जो कि आहार सदन संस्था (मुंबई) के पिछले सात सालों से सह-संस्थापक हैं और गरीब बच्चों, बुजुर्गों की सेवा में हमेशा तत्पर रहते हैं तथा मानव अधिकारों के लिए लोगों को जागरुक करते हैं, के द्वारा दो दिवसीय वर्कशॉप आयोजित की गई। वर्कशॉप में विद्यालय के सभी छात्रों की उपस्थिति देखी गई। कार्यक्रम की शुरूआत में जूनियर कक्षा के विद्यार्थियों को गुड टच तथा बेड टच के बारे में विस्तार से बताया गया। इसके बाद स्टूडेंट्स को आपराधिक प्रवत्तियों वाले व्यक्तियों से दूरी बनाकर विषम परिस्थितियों में स्वयं की सुरक्षा संबंधी जानकारी दी। इस वर्कशाप के दौरान उपस्थित अध्यापको को कार्य स्थल पर होने वाली यौन उत्पीड़न एवं अन्य समस्याओं के खिलाफ आवाज उठाने के लिए भी प्रेरित किया।
उन्होंने सभी प्रकार के सहायता केंद्र एवं हेल्पलाइन नंबर की जानकारी उपलब्ध करवाई। स्टूडेंट्स को अपने संबोधन में पोक्सो एक्ट की जानकारी देते हुए आपराधिक घटना की प्रथम सूचना आगे पहुंचाने की प्रक्रिया की जानकारी विस्तार से दी। उन्होंने सभी स्टूडेंट्स से सदैव स्तर्क रहकर न सिर्फ स्वयं की सुरक्षा अपितु एक जागरूक नागरिक होने के नाते अन्य सहायता के लिए प्रेरित किया । उनका मकसद सभी विद्यार्थियों में सेल्फ डिफेंस ट्रेनिंग तथा अपने स्किल्स विकसित भी था। पोक्सो अधिनियम के तहत जानकारी देते हुए लड़का – लड़की को समान रूप से सुरक्षा प्रदान करने की जानकारी दी तथा उपस्थित सभी अध्यापकों से अनुरोध किया कि वे बच्चों को मानसिक भलाई के सीखने के केंद्र में रखे और उन्हें प्यार और करुणा के साथ पोषित करें जो उनकी शैक्षणिक शिक्षा को बढ़ाएगा स्कूल की प्रिंसिपल सरदारनी सुखजिंदर कौर कीथ जी ने उपस्थित अतिथियों का सफलतापूर्वक पोक्सो सेमिनार आयोजित करने के लिए धन्यवाद ज्ञापित किया।
उन्होंने स्वस्थ पोषण के लिए सुरक्षित स्कूल वातावरण बनाने पर शिक्षकों का ध्यान केंद्रित किया। इसके साथ ही विद्यालय की उप- प्राचार्या मैडम रीटा शर्मा ने भी वर्कशॉप का समापन करते हुए विद्यार्थियों को छेड़छाड़ होने पर ना घबराने तथा मामले को रफा-दफा करने की बजाय परिवार तथा शिक्षकों या पुलिस को सूचित करने को कहा । उन्होंने शिक्षकों को अपने विद्यार्थियों के साथ प्रेम और स्नेह का प्रतीक बनने को कहा ताकि विद्यार्थी बिना घबराए अपनी बात को शिक्षकों के सामने रख सके तथा गलत के खिलाफ आवाज उठा सकें।