Ambala News | अंबाला । गुरुवार को सिख सीनियर सेकेंडरी स्कूल के प्रांगण में सिक्खों के नौवें गुरु श्री गुरु तेग बहादुर जी का शहीदी दिवस बड़ी श्रद्धा और धार्मिक उत्साह के साथ मनाया गया। शहीदी दिवस और मानव अधिकारों तथा हिन्दू धर्म की रक्षा के लिए गुरु जी के बलिदान को याद करते हुए एक विशेष प्रार्थना सभा का आयोजन किया गया।
शिक्षकों ने छात्रों को गुरु की शहादत के बारे में बताया। दूसरों के लिए जीवन देने वाले तथा अत्यंत चुनौती पूर्ण कार्य करने वाले गुरु के लिए दसवीं कक्षा के छात्र मनमोहन सिंह तथा छात्रा वंशिका ने भाषण प्रस्तुत कर श्रद्धांजलि दी। विद्यालय की प्रधानाचार्या सुखजिंदर कौर कीथ ने बताया कि श्री गुरु तेग बहादुर जी सिखों के नौवें गुरू थे।
गुरु तेग बहादुर जी ने मानवता की रक्षा के लिए बलिदान दिया – प्रधानाचार्या सुखजिंदर कौर
विश्व इतिहास में धर्म एवं मानवीय मूल्यों, आदर्शों एवं सिद्धान्त की रक्षा के लिए प्राणों की आहुति देने वालों में गुरु तेग बहादुर जी का स्थान श्रेष्ठ है। गुरूद्वारा शीशगंज साहिब, जहां गुरू जी ने अपना शीश का बलिदान दिया तथा गुरूद्वारा रकाबगंज साहिब में उनकी याद में स्मारक स्थल बनाया गया।
उन स्थानों का स्मरण कराते शाश्वत मूल्यों के प्रति उनका बलिदान देना वस्तुत: सांस्कृतिक विरासत और इच्छित जीवन विधान के पक्ष में एक परम साहसिक अभियान था। भारतीय जनमानस में उन्हें सदैव याद किया जायेगा। उनके बलिदान को स्मरण करते हुए प्रधानाचार्या द्वारा छात्रों को उनके जीवन चरित्र से प्रेरणा लेने की शिक्षा दी गई।
मनप्रीत सिंह जी ने अपने भाषण के दौरान बताया कि गुरु तेग बहादुर जी ने अपनी शहादत से सिख परंपरा की एक मजबूत नींव रखी जिसे बाद में गुरु गोविंद सिंह जी ने आगे बढ़ाया।
गुरु तेग बहादुर जी ऐसे साहसी योद्धा थे जिन्होंने धर्म की रक्षा और सत्य के लिए अपने प्राणों की आहुति दे दी। उनकी शहादत को हम हृदय से नमन करते हैं। उन्होंने कहा कि गुरु तेग बहादुर जी ने मुगल बादशाह औरंगजेब के अत्याचारों के आगे घुटने नहीं टेके बल्कि ईश्वरीय शांति के साथ उसे सहन किया।
गुरु जी के जीवन से प्रेरणा लें छात्र – मनप्रीत सिंह
भाई मनप्रीत सिंह जी ने बच्चों को आह्वान किया कि हमें गुरु के निर्भय आचरण ,धार्मिक अधिकता तथा नैतिक उदारता को अपने जीवन के अंदर आत्मसात करना चाहिए ।विद्यालय की पंजाबी अध्यापिका मैडम दविंदर कौर ने गुरु तेग बहादुर जी के बारे में जानकारी देते हुए बताया कि गुरुजी को हिंद की चादर कहते हैं ।
गुरुजी ने धर्म की रक्षा के लिए लड़ते हुए अपने जीवन का बलिदान दे दिया था वह आस्था के रक्षक के रूप में खड़े हुए उनके बलिदान ने न केवल सिख समुदाय को प्रेरित किया बल्कि उत्पीड़न के खिलाफ खड़े होने के सिद्धांत को भी रेखांकित किया। अंत में संपूर्ण विद्यालय का परिसर जो बोले सो निहाल सत श्री अकाल के जयकारों से गूंज उठा।
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