Ambala News | अंबाला। अंबाला के गांव बाड़ा स्थित आयुष्मान आरोग्य मंदिर सब सेटर में जिÞला आयुर्वेद अधिकारी अंबाला डॉ शशिकांत शर्मा के दिशानिर्देशन में डॉ समिधा शर्मा एमडी आयुर्वेद, इंचार्ज आयुष्मान आरोग्य मंदिर बाड़ा अंबाला ने आयुष्मान आरोग्य मंदिर बाड़ा में सुश्रुत जयंती इस अवसर पर उनके साथ रहे हैं। इस अवसर पर डिस्पेंसर नसीब सिंह, योगा सहायक देपिंद्रजीत कौर कौर, योगा इंस्ट्रक्टर सोनिया शर्मा, पार्टिम सनी साथ रहे ।
डॉ समिधा ने यह भी बताया कि उनके सेंटर की और से रोज तीन योगा सेशन ग्राम बाड़ा में लगाए जा रहे हैं। इस अवसर पर एक विशाल कैम्प का आयोजन किया गया। जिसमे ग्राम बाड़ा के लोगो को अश्वगंधा टेबलेट्स नि:शुल्क सेंटर की और से वितरित की गई । 80 मरीजो ने इस कैम्प का लाभ उठाया।
पूरी दुनिया में 15 जुलाई के दिन विश्व प्लास्टिक सर्जरी दिवस के रूप में मनाया जाता है। इस दिन लोगों को प्लास्टिक सर्जरी के महत्व को समझाने और उनमें जागरूकता लाने के प्रयास किए जाते हैं। प्लास्टिक सर्जरी के बारे में आम धारणा है कि यह खूबसूरती बढ़ाने के लिए की जाती है, जबकि असल मायनों में किसी एसिड अटैक, इंफेक्शन, कैंसर, एक्सीडेंट, जलने या किसी अन्य कारणों से अपना शरीर या चेहरा बिगाड़ चुके लोगों के लिए यह किसी वरदान से कम नहीं है। वैसे प्लास्टिक सर्जरी का भारत से भी खास रिश्ता रहा है। भारत के महर्षि सुश्रुत को दुनिया का पहला प्लास्टिक सर्जन भी माना जाता है। उनका नाम भारत में ही नहीं बल्कि पूरी दुनिया में सम्मान के साथ लिया जाता है।
कौन थे महर्षि सुश्रुत ?
महर्षि सुश्रुत काशी के प्राचीन शहर में रहते थे। वह एक महान चिकित्साशास्त्री एवं शल्यचिकित्सक थे। दुनिया को प्लास्टिक सर्जरी का ज्ञान भले ही 400 साल पहले हुआ, लेकिन महर्षि सुश्रुत ने 2600 साल पहले ही डिलिवरी, मोतियाबिंद, कृत्रिम अंग लगाना, पथरी का इलाज और प्लास्टिक सर्जरी जैसी चीजों को कर दिखाया था। महर्षि सुश्रुत आयुर्वेद के महान ग्रन्थ सुश्रुत संहिता के प्रणेता भी है।उनके इस ग्रंथ में करीब 300 तरह की सर्जरियों का जिक्र है।
महर्षि सुश्रुत के उपचार का तरीका
महर्षि सुश्रुत कॉस्मेटिक सर्जरी, सिजेरियन डिलीवरी से लेकर आंखों तक के जटिल आॅपरेशन भी करते थे। उन्होंने आपरेशन के लिए कई मेडिकल उपकरण भी तैयार किए थे। वह उपकरणों को बैक्टीरिया मुक्त करने के लिए सैनिटाइज करते थे। इसके अलावा आपरेशन के दौरान मरीज को दर्द ना हो इसके लिए औषधि दिया करते हैं ।इसे वर्तमान समय में एनिस्थिसिया कहा जाता है।
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