Ambala News | अंबाला । मनोवैज्ञानिक व साइकोथेरेपिस्ट डॉ कुलदीप सिंह ने कहा कि पोस्ट ट्रॉमेटिक स्ट्रेस डिसऑर्डर एक मानसिक स्थिति है, जो किसी व्यक्ति के जीवन में किसी गंभीर या दर्दनाक हादसे के बाद उत्पन्न होती है।

यह स्थिति उस समय उत्पन्न होती है जब व्यक्ति को किसी दुर्घटना, युद्ध, बलात्कार, या किसी अन्य शारीरिक या मानसिक रूप से आघात पहुँचाने वाली घटना का सामना करना पड़ता है। पीटीएसडी की समस्या तब उत्पन्न होती है जब व्यक्ति घटना के बाद सामान्य रूप से उबरने में असमर्थ होता है और उसकी मानसिक स्थिति पर इसका दीर्घकालिक प्रभाव पड़ता है।

पीटीएसडी के लक्षणों में आमतौर पर घटना से जुड़ी हुई तस्वीरें, बुरे सपने, और यादें शामिल होती हैं। व्यक्ति को ऐसी घटनाओं व हादसों के बार-बार ख्याल आ सकते हैं, जो उसे मानसिक रूप से परेशान करते हैं। इसके अलावा, व्यक्ति को अत्यधिक चिंता, डर, गुस्सा, और उदासी का अनुभव भी हो सकता है। अन्य लक्षणों में अन्य लोगों के पास जाने से तथा बात-चीत करने से बचना, डिप्रेशन, और शारीरिक स्वास्थ्य समस्याएँ भी हो सकती हैं।

पीटीएसडी से पीड़ित व्यक्ति खुशी महसूस नहीं कर सकता

पीटीएसडी से पीड़ित व्यक्ति अपने आसपास की चीजों से असंवेदनशील हो सकता है। वह सामान्य रूप से खुशी महसूस नहीं कर सकता और उसे अपने परिवार, दोस्तों, या कामकाजी जीवन में समस्याएँ आ सकती हैं। इसके अलावा, व्यक्ति को नींद की समस्या, अत्यधिक थकान और मानसिक अशांति का सामना भी करना पड़ सकता है।

पीटीएसडी का इलाज संभव है, और इसके लिए विभिन्न प्रकार की काउंसलिंग व साइकोथेरेपी उपलब्ध हैं। काउंसलिंग, साइकोथेरपी (जैसे सीबीटी – कॉग्निटिव बिहेवियरल थेरेपी, आर ई बी टी-रैशनल इमोटिव बिहेवियर थेरेपी), और दवाइयाँ शामिल होती हैं। कुछ मामलों में, विशिष्ट शारीरिक व्यायाम या ध्यान (मेडिटेशन) भी सहायक हो सकता है।

सही उपचार से व्यक्ति अपनी मानसिक स्थिति को बेहतर कर सकता है और सामान्य जीवन जीने में सक्षम हो सकता है।

पीटीएसडी के लक्षणों का समय रहते इलाज करना बहुत जरूरी है, क्योंकि यदि इसका इलाज न किया जाए तो यह लंबे समय तक मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य पर असर डाल सकता है। इसके लिए मनोवैज्ञानिकों व मनोचिकित्सकों की मदद लेना महत्वपूर्ण है।

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