Ambala News | अंबाला। मनोवैज्ञानिक डॉ. कुलदीप सिंह ने कहा कि जिंदगी भावनात्मक व मानसिक उतार चढ़ाव से भरी पड़ीं है। परन्तु जब जिंदगी में उलझन की स्थिति ज्यादा बानी रहे तो यह हमारी रोजमर्रा की जिंदगी व काम करने की योग्यता को प्रभावित करती है। ऐसी स्थिति में आप गंभीर बीमारी “डिप्रेशन” का शिकार हो सकते है।
डिप्रेशन हमारी मनोदश, मन, शरीर व व्यवहार को प्रभावित करता है। डिप्रेशन एक आम प्रचलित बीमारी है जो के पुरषों व औरतों दोनों को प्रभावित करती है, परन्तु पुरुषों की बजाये औरतों में इसकी दर दुगनी पाई गई गई। एक अध्ययन के अनुसार बायोलॉजिकल जीवन शैली तथा साइको-सोशल औरतों में डिप्रेशन की दर अधिक होने के कारण हो सकते है।
डिप्रेशन के लक्षण हर इंसान में अलग हो सकते हैं
ऐसा जरूरी नहीं है के दो लोगों में पाए जाने वाला डिप्रेशन दोनों को एक सामान रूप से प्रभावित कर। कई लोगों में इसके कुछेक लक्षण ही पाए जाते है जिसमे इसके समय और गंभीरता में अंतर होता है। कुछ लोगो में इसके लक्षण थोड़े समय के लये रहते है पर यदि इसका इलाज नहीं करवाया जाता तो यह लम्बे अर्से तक घर केर लेते है।
डिप्रेशन के कुछेक लक्षणों का अर्थ यह नहीं होता की व्यक्ति क्लिनिकली भी डिप्रेस्ड है, उदाहरण के तोर पर अपने किसी नजदीकी प्यारे भाई भंधु को खो देने पर उदासी या असहाय महसूस करना, तथा रोजमर्रा के कामो में रूचि न रहना एक आम बात हो सकती है। पर अगर ये लक्षण लम्बे समय तक रहते है तो संभवत: डिप्रेशन जैसी बीमारी का रूप धारण केर सकते है।
इसी प्रकार तनाव भरी जिंदगी, काम काज का भोज तथा आर्थिक व पारिवारिक समस्याएं चिडचिड़ेपन, उदासी व खिनता का कारन बन सकते है। कुछ हद तक तो ये अनुभूतियाँ आम इंसानी जिंदगी के अनुभव का एक हिस्सा हो सकती हैं|
परन्तु जब ये अनुभूतियाँ लम्बे समय तक व तीव्रता के साथ जारी रहे व एक व्यक्ति अपने रोजमर्रा के कामो को करने में असमर्थ हो जाये तो यह एक बीमारी का रूप धारण कर सकता हैं। यहाँ एक बात याद रखने लायक हैं के डिप्रेशन एक उपचार योग्य बीमारी हैं, इसका इलाज संभव हैं। काउन्सलिंग तथा साइकोथेरेपी द्वारा अनचाहे मनोभावों व डिप्रेशन से छुटकारा पाया जा सकता हैं।