Ambala News | अंबाला। दसलक्षण पर्व जैन धर्म का एक अत्यंत महत्वपूर्ण और पवित्र पर्व है, जिसे जैन श्रद्धालु हर साल भाद्रपद शुक्ल पक्ष के दौरान पंचमी तिथि से प्रारंभ होकर अनंत चतुर्दशी तक बड़े ही उत्साह और श्रद्धा के साथ मनाते हैं। यह दस दिवसीय पर्व आत्मा की शुद्धि, संयम, और आध्यात्मिक उन्नति के लिए मनाया जाता है, जिसमें जैन धर्म के अनुयायी दस धर्मों का पालन करते हैं।
दसलक्षण पर्व जैन धर्म के मूल सिद्धांतों पर आधारित है, जिसमें दस प्रमुख धर्मों का पालन किया जाता है। ये दस धर्म हैं:
उत्तम क्षमा: दूसरों को क्षमा करना और मन में किसी के प्रति द्वेष न रखना।
उत्तम मार्दव: अहंकार से दूर रहना और विनम्रता अपनाना। *उत्तम आर्जव:* सरलता और सच्चाई का पालन करना। उत्तम सत्य: सत्य बोलना और झूठ से बचना।
उत्तम शौच: आंतरिक और बाहरी शुद्धता का पालन करना।
उत्तम संयम: इंद्रियों पर नियंत्रण रखना और विषय-भोगों से दूर रहना।
उत्तम तप: आत्म-संयम और तपस्या करना।
उत्तम त्याग: सांसारिक वस्तुओं का त्याग और मोह-माया से मुक्त रहना।
उत्तम आकिंचन्य: किसी भी वस्तु के प्रति आसक्ति न रखना।
उत्तम ब्रह्मचर्य: ब्रह्मचर्य का पालन और शारीरिक इच्छाओं पर नियंत्रण।
इस पवित्र पर्व के अवसर पर श्री दिगंबर जैन समाज अंबाला शहर द्वारा विभिन्न धार्मिक और सांस्कृतिक कार्यक्रमों का आयोजन किया जाएगा। सभा के उपाध्यक्ष अभय जैन ने बताया कि इन दस दिनों में प्रतिदिन प्रात:कालीन विशेष पूजन, सांयकालीन आरती इत्यादि आयोजित की जाएंगी। इस अवसर पर विशेष रूप से व्रत नियम संयम पालन करते हुए मंदिरों में जाकर पूजा-अर्चना करेंगे और इन दस धर्मों का पालन करने का संकल्प लेंगे।
दिनांक 13 सितंबर को सुगंध दशमी, दिनांक 17 सितंबर को अनंत चतुर्दशी पर्व के पावन अवसर पर अतिशय क्षेत्र अम्बाला शहर में भूगर्भ से प्रकटित भगवान वासुपुज्य जी के मोक्ष कल्याणक महोत्सव के उपलक्ष्य में निर्वाण लड्डू अर्पित किया जाएगा एवं दिनांक 18 सितंबर 2024 को विशेष रूप से क्षमावाणी पर्व का मनाया जाएगा जिसमें सभी मिच्छामि दुक्कडम कहकर सभी से सम्पूर्ण वर्ष में हुई गलतियों का पश्चाताप करते हुए क्षमा याचना करेंगे।
इसके साथ साथ विभिन्न समाज सेवा से जुड़े कार्यक्रमों का आयोजन भी किया जाएगा। इस दौरान अतिशय क्षेत्र में विशेष सजावट की जाएगी जिसे कलकत्ता के कारीगर अंजाम देंगे। यह पर्व आत्मा की शुद्धि, आत्म-संयम, और मोक्ष की प्राप्ति का मार्ग दिखाता है। इस दौरान सभी जैन बंधु दस धर्मों का पालन करते हुए समाज में शांति, सद्भाव, और नैतिक मूल्यों को बढ़ावा देंगे।
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