- कूडे से अटे पड़े नालों ने पानी की निकासी को और दुर्लभ किया: चित्रा सरवारा
- ‘हाउसिंग बोर्ड’ बना ‘हाउसिंग बोट’ :-चित्रा सरवारा
- लोगों के सामान और घरों के नुकसान का जिम्मेवार कौन ? :- चित्रा सरवारा
Ambala News | अम्बाला छावनी | आज मात्र कुछ घंटे की बरसात ने अम्बाला के सारे प्रशासन की पोल खोल कर रख दी है चित्रा सरवारा ने कहा कि कुछ घंटे की बरसात ने प्रशाशन व पूर्व मंत्री जी द्वारा करोड़ो रुपयों से करवाये जा रहे विकास कार्यो की पोल खोल के रख दी।
चित्रा ने आज सुबह अम्बाला छावनी के हाउसिंग बोर्ड कालोनी, एकता विहार,रामकिशन कॉलोनी,राजा पार्क,बीडी फ्लौर मिल के अनेकों इलाकों में जाकर पानी में डूबे हुए लोगों के घरों में मुलाकात की व लोगों को आ रही समस्याओ को देखते हुए हाऊसिंग बोर्ड कॉलोनी में वहाँ बंद पड़ी ड्रेन व ऊँची बनी पुलिया को तुरंत सामने खड़े होकर मोके पर ही खुलवाया उन्होंने कहा कि प्राकृतिक आपदा के आगे किसी का बस नहीं लेकिन अम्बाला को प्रशासनिक-आपदा और प्लानिंग-आपदा ने भी बराबर डुबोया।
पार्क और स्मारकों को बनाने के लिए अम्बाला की सभी पुरानी डिग्गयां बंद कर दी गई जिससे इलाके की स्वभाविक निकासी खत्म हो गई। नए नाले बनाए गए लेकिन जमीन की ढलान को नजरअंदाज करते हुए नालो में ऊंचे पाइप डालकर पुलिया बनाई गई उस ऊंचे पुल पर बांध बनाकर हाउसिंग बोर्ड जैसे रिहायशी इलाकों को पूरी तरह डूबा दिया गया। चित्रा जहां लोगों के बुलावे पर मौके पर पहुंची वहीँ कॉलोनीवासियो को आ रही जलभराव की समस्या पर तुरंत अधिकारियों से बातचीत करके नाले पर जेसीबी लगवा पानी की निकासी खुलवाई जिससे घरों और गालियों में चढ़ा पानी नाले में पहुंचा और जलस्तर उतरने लगा।
लोगो ने बताया कि पिछली बाढ़ में भी विधायक व पूर्व मंत्री इस इलाके में आये थे और आश्वासन देकर गए थे कि एक हफ्ते में इस पुलिया का निर्माण कार्य शुरू करा दिया जाएगा परंतु धरातल पर आज तक एक इंच भी पुलिया ना तो तोड़ी गई ना ही नीचे करके नई बनाई गई।
चित्रा ने कहा की मात्र कुछ घंटे की बारिश के बाद पूरा अम्बाला छावनी तालाब में तब्दील हो गया है जिससे लोगो को परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। सारी रात आम-जन खुद संघर्ष करते रहे सामान और परिवार बचाने के लिए परन्तु अधिकारियों व सत्तापक्ष से किसी भी नेता ने एक बार भी जनता के बीच जाकर उनकी सुध लेने की जरूरत उचित नहीं समझी।चित्रा ने कहा कि रात भर की बरसात के बाद अम्बाला के कई इलाके ऐसे थे जहाँ अभी कई फुट पानी इकट्ठा हो गया और लोग खुद ही रात से दोपहर तक अपने घरों व दुकानों से पानी निकालते देखे गए।
लेकिन बाढ़ जैसे हालात होने के बावजूद कोई भी प्रशासन का कोई अफसर या नुमाइंदा कैंट के किसी भी इलाके में सुबह लोगों की सुध लेने नहीं पहुंचा। अनेकों लोगो के बैड, फ्रिज, वाशिंग मशीन व पानी की मोटरे तक खराब हो गई और पूरे नुकसान का आंकलन मुश्किल है।
चित्रा ने बताया कि हर साल नालों व नालियों की सफाई के लिए लाखों रुपये खर्च करने का दावा करने वाले व अम्बाला को बाढ़मुक्त बताने वाले पूर्व मंत्री व प्रशासन आज कहाँ थे? चित्रा ने कहा की मात्र कुछ घंटे की बरसात ने जिला प्रशासन के स्वच्छता अभियान की सच्चाई सामने रख दी है।
हालांकि देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने स्वच्छता अभियान के अंतर्गत करोड़ों रुपए खर्च करके भारत को स्वच्छ बनाने का दावा किया था, वहीं दूसरी ओर हर साल की बरसात में उनके इन दावों की को नकारा देती है। अम्बाला में जिधर भी देखो गंदगी का आलम है, बाजारों में गंदगी के ढेर लगे पड़े हैं। ना कुड़ा उठाने में कोई प्रत्यक्ष विकास हुआ है, ना ही रिहायशी इलाकों की निकासी पर कोई सुनियोजित योजना लागू करी गई है।
अम्बाला में बरसातों की हर साल की यही कहानी है और फिर भी प्रशासन या सरकार समय पर, बरसात से पहले कोई सशक्त कदम क्यूँ नहीं उठाते? करोड़ों के ड्रेनऐज प्रोजेक्ट की घोषणा होती है लेकिन जमीनी सच्चाई कुछ और ही है – बच्चे, बुजुर्ग, महिला या तो घुटनों पानी में चल रहे हैं या बच्चों के साथ बरसात में छतों पर बंधे खड़े रहे और सड़कों पर पानी चल रहा है ।
स्थानीय निवासियों ने खुद अपने हाथों से नालों में पानी पहुंचाने की क़वायद में जूझते रहे। टेन्डर पर टेन्डर लगते रहे हैं, पैसे लगते रहे हैं लेकिन साफ़ जाहिर है जिस काम के लिए पैसे दिए गए हैं उस काम पर पैसे लगे नहीं।
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