Ambala News : आईआईटी की जांच जनता की आंखों में धूल से ज्यादा कुछ नहीं : चित्रा सरवारा

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Ambala News : आईआईटी की जांच जनता की आंखों में धूल से ज्यादा कुछ नहीं : चित्रा सरवारा
Ambala News : आईआईटी की जांच जनता की आंखों में धूल से ज्यादा कुछ नहीं : चित्रा सरवारा
  • स्टेडियम घोटाले की जाँच भी आईआईटी से करवा रही थी सरकार, उसका क्या बना? :-चित्रा सरवारा
  • अम्बाला में चारों तरफ सीवरेज से लेकर सचिवालय तक हर प्रोजेक्ट में घोटाले पर सवालिया निशान:-चित्रा सरवारा
  • निर्माण हो,सौंदर्यीकरण हो, नवीनीकरण हो,रखरखाव हो हर हेडलाइन के नीचे हो सिर्फ घोटाला रहा है:- चित्रा सरवारा

Ambala News | अम्बाला छावनी|आज हरियाणा कांग्रेस की नेत्री चित्रा सरवारा ने भाजपा सरकार को आड़े हाथों लेते हुए कहा कि आज अम्बाला छावनी की सड़कों के निर्माण कार्य मे घटिया सामग्री इस्तेमाल को लेकर मिल रही शिकायतों पर भाजपा सरकार सड़को व नवनिर्मित पुलिया की जांच आईआईटी रुड़की से कराने की बात कर रही है परंतु अम्बाला छावनी में पहले भी बहुत बड़े कथित घोटाले हुए हैं जिनमें सरकार ने आईटीआई की जांच के वादे किए थे लेकिन आजतक ना वो आईटीआई की जांच की खबर है ना ही कोई रिपोर्ट I ये बड़े-बड़े संस्थानों से, आधुनिक उपकरणों से जांच का दावा सरकार द्वारा अपने घोटाले और विफलता छुपाने के लिए जनता की आंख में धूल झोंकने से ज्यादा कुछ भी नहीं।

आज अम्बाला में कथित घोटालों का पहाड़ दिन प्रति दिन बढ़ता जा रहा है। चारों तरफ सीवरेज से लेकर सचिवालय तक हर प्रोजेक्ट में जनता के पैसे का गबन, घटिया सामाग्री के ईस्तेमाल, टेन्डर की शर्तों का उलंघन या अवमानना, समय सीमा का उलंघन होने की बात आम है I निर्माण हो, सौंदर्यीकरण हो,नवीनीकरण हो,रखरखाव हो… हर हैडलाइन के नीचे सिर्फ देर और अंधेर हो रहा है।

2 साल पहले भी अम्बाला छावनी के स्टेडियम में भी लगभग 68 करोड का कथित घोटाले की खबर आयी थी और ये घोटाले भाजपा सरकार में पूर्व गृह मंत्री अनिल विज की नाक के नीचे हुआ था I इस मुद्दे के उठने पर भी सरकार ने मद्रास आईआईटी से जांच कराने की बात कही थी परंतु आरटीआई के माध्यम से ये पता चला था कि ना तो मद्रास आईटीआई को कोई संदेश गया ही, ना कोई उनके द्वारा जांच हुई है ना किसी और संस्थान की रिपोर्ट सार्वजनिक की गई है I

चित्रा ने कहा की हरियाणा के पूर्व गृह मंत्री अनिल विज के अपने विधानसभा क्षेत्र में बनने वाले अंतरराष्ट्रीय फुटबाल स्टेडियम में हुआ घोटाला प्रदेश का सबसे बड़ा स्पोर्ट्स घोटाला है जिसमें कथित आरोपों के अनुसार 117 करोड़ में से लगभग 68 करोड़ का गबन हुआ है। अर्थिक अनियमितताओं से अलग सबसे चिंताजनक इल्ज़ाम जो प्रोजेक्ट पर उठे वो हैं कि स्टेडियम में आर्किटेक्ट- इंजीनियर द्वारा निर्धारित सामग्री से कम समान लगा है। इंजीनियर की ड्राइंग और टेन्डर के हिसाब से स्टेडियम में 33 हजार टन लोहा लगना था और कथित माल की खरीद और जांच में पाया गया है कि मात्र 13 हजार टन ही लगा है। जरूरत से 20 हजार टन कम लोहे की बनी इमारत कितनी सुदृढ़ और सुरक्षित है ये आज बहुत बड़ा और गंभीर सवाल है जिस पर यहां आने वाले खिलाडियों और दर्शकों की जान अटकी है।

16 फरवरी 2022 में अखबारों में जहां स्टेडियम के अर्थिक घोटाले की पर्तें खुलने लगी, वहीँ ये भी लिखा आया कि स्टेडियम के पिलरों को जमीन में बांधने वाले नटबोल्ट भी निर्धारित लंबाई और साइज के नहीं हैं। सरकार ने कथित ‘कड़ा रुख’ अपनाते हुए आईआईटी मद्रास व एनआईटी कुरुक्षेत्र और पंजाब यूनिवर्सिटी के विशेषज्ञों की टीम से जाँच कराने का ऐलान किया जो स्टेडियम की इमारत के ढांचे की सुदृढ़ता की जांच कर तीन महीने में रिपोर्ट देने वाली थे।उस खबर को आज दो साल से ऊपर हो गया है लेकिन सरकार की उस कमेटी की और उसकी गुणवत्ता रिपोर्ट की कोई खबर अभी तक नहीं आई।

चित्रा ने कहा यह बात 22 फरवरी 2023 को डाली गई एक आरटीआई से जाहिर हुई जिसमें सवाल पूछा गया था कि स्टेडियम से संबंधित आईआईटी की रिपोर्ट कहाँ है। जवाब आया कि स्टेडियम के ढांचे की गुणवत्ता का निरीक्षण नक्शा बनने पर एनआईटी कुरुक्षेत्र द्वारा किया गया था, यानी काम शुरू करने से पहले। इमारत बनने के बाद,घोटाला उजागर होने के बाद,एनआईटी कुरूक्षेत्र की कोई रिपोर्ट नहीं आई ना ही कोई रिपोर्ट आईआईटी मद्रास के विशेषज्ञों से ली गई है,जैसा की सरकार द्वारा आश्वासन दिया गया था। पंजाब यूनिवर्सिटी को इस रिपोर्ट के लिए ‘गुजारिश’ भेजी गई है लेकिन इसके आगे कोई स्पष्टीकरण नहीं आया।

इतिहास को देखते हुए साफ़ है कि ये नयी आईआईटी की जांच भी जनता का मन बहलाने का तरीका है । करोड़ों की सड़कों और पुलिया निर्माण में अनियमितताओं की बात हर किसी की जुबान पर पहले से ही थी। सरकार अब आगामी चुनाव को देख कर जगी भी है तो सिर्फ अपना दामन बचाने के लिए।

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