Ambala News : अंबाला। मनोवैज्ञानिक व साइकोथेरेपिस्ट डॉ. कुलदीप सिंह ने बताया कि मनोविज्ञान में चिता व वहम की बीमारी को ओसीडी कहा जाता है, ओसीडी यानी के ऑब्सेसिव कम्पल्सिव डिसऑर्डर इसमें कुछ गैर जरूरी विचार व आदतें किसी इंसान के मन में इस कदर जगह बना लेती है की इंसान चाह कर भी इन पर काबू नहीं पा सकता । इसमे व्यक्ति किसी विचार के बारे में बार बार सोचता रहेगा या किसी काम को बार बार करता रहेगा जब तक कि उसे चैन नहीं मिलता।
ओसीडी के लक्षण व पहचान:
बार बार हाथ धोते रहना, इस बारे सोचते रहना की उसके हाथ गंदे है या हाथों में कीटाणु लगे है, पैसों को बार बार गिनना, बार बार नहाना या घर की सफाई करते रहना, बार बार ताले या गैस चेक करना, ऐसा लगना कि हर तरफ गंदगी है, मन में बार बार किसी तस्वीर को ले के आना, कुछ विचार या फिकर मन में बार बार आना और इंसान इन पर काबू नहींपा सकता और हमेशा बेचैन और परेशान रहता है, यहाँ तक कि रोजमर्रा के काम काज करने में परेशानी होती है । अपने आप से बहस करते रहना वि छोटा सा निर्णय भी ना ले पाना ।फालतू चीजो को घर में जमा करके रखना व दूसरे लोगो की अपेक्षा जल्दी परेशान हो जाना इत्यादि ।
अगर इस तरह के लक्षण किसी व्यक्ति में काफी समय से हैं और उसकी रोजमर्रा की जिदगी इससे प्रभावित हो रही है तो उसे ओसीडी हो सकती है और तुरंत किसी मनोवैज्ञानिक या मनोचिकित्सक की सलाह जरूरी है।
ओ सी डी कब शुरू हो सकता है?
ओ सी डी किसी इंसान को कभी भी शुरू हो सकता है । लक्षण समय के साथ साथ कम या ज्यादा हो सकते है । मनोवैज्ञानिकों का मानना है की ओ सी डी का पहला पड़ाव 10 से 12 साल के बच्चों में या 20 से 25 साल के लोगो में शुरू हो सकता है ।
क्या है ओसीडी का इलाज:
मामूली ओसीडी वाले लोग बिना इलाज के ही जागरूकता से अपना आप ठीक हो सकते है । मध्यम से गंभीर बीमारी वाले लोगो को इलाज की जरूरत पड़ती है। इलाज का असर शुरू होने में कुछ हफ्ते लग सकते है । इसके इलाज में जितना महत्व दवाईओं का है उससे ज्यादा अधिक महत्व मनोवैज्ञानिक काउंसलिंग व साइकोथेरेपी का है । ओसीडी के इलाज में ई आर पी ऐवम सी बी टी बहुत कारगर है । ओसीडी का इलाज संभव है इसका इलाज करवाएँ और आप ठीक हो सकते है ।