Ambala News : भयी कृपा श्रीराम की तो बन गये तुलसीदास : आचार्य सनातन चैतन्य जी महाराज

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Ambala News : भयी कृपा श्रीराम की तो बन गये तुलसीदास : आचार्य सनातन चैतन्य जी महाराज
Ambala News : भयी कृपा श्रीराम की तो बन गये तुलसीदास : आचार्य सनातन चैतन्य जी महाराज

Ambala News | अंबाला सिटी। गोस्वामी तुलसीदास जी की 527 वीं जयन्ती पर श्री कबीर जन कल्याण सेवाश्रम, नगर खेड़ा मोती नगर मे आचार्य सनातन चैतन्य जी महाराज की अध्यक्षता मे कार्यक्रम का आयोजन हुआ। इस अवसर पर महिला मंडल द्वारा श्री रामचरित मानस का पाठ पारायण किया गया। पोथी पूजा के लाभार्थी सुनीता वर्मा ने मानस पूजन, संत शिरोमणि गोस्वामी तुलसीदास जी की चित्र पर तिलक टीका पुष्प माला अर्पित कर आचार्य सनातन चैतन्य जी महाराज को भी संत पूजा कर सम्मानित किया।

आचार्य सनातन चैतन्य जी महाराज ने संबोधित करते हुए कहा कि मध्य कालीन युग सोलहवीं शताब्दी मे आज से 527 वर्ष पूर्व गोस्वामी तुलसीदास जी का कलिपावनी अवतार हुआ था। उत्तरप्रदेश बान्दा जिला के राजापुर ग्राम मे भगवतभक्त श्री आत्मा राम दुबे व श्रीमती हुलसी बाई के पुत्र बन गोस्वामी तुलसीदास जी का जन्म हुआ। जन्म लेते ही श्रीराम बोले इसलिए बालक का नाम श्रीराम बोला रख दिया गया।

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रामबोला के बाल्य अवस्था मेें ही माता-पिता स्वर्ग सिधार गाये थे। एक दासी ने बालक राम बोला का लालन पालन करी। कुछ समय बाद चुनीया दासी भी स्वर्ग सिधार गई। अब तो राम बोला बिल्कुल अनाथ हो गये। यहां वहां बालक भटकने लगा। अयोध्या के स्वामी नरहरीदास ने राम बोला का उपनयन संस्कार कर नाम दिया तुलसी दास। आचार्य चैतन्य जी महाराज ने आगे कहा कि कुछ काल बाद तुलसीदास जी का एक सुसंस्कृत कन्या रत्नावली के साथ विवाह हुआ।

पत्नी प्रेम में पागल हुए तुलसीदास जी एक रात रत्नावली से मिलने ससुराल चले गये वहां रत्नावली ने तुलसीदास को फटकार लगाते हुए कही कि स्वामी नाथ जितना प्रेम मुझसे कर रहे है उनसे थोड़ा भी प्रेम भगवान से करते तो बेड़ा पार हो जाता। तुलसीदास जी को पत्नी की यह बात आत्मा में उतर गयी वहां से निकला तो अब तुलसीदास जी इन्द्रिय जित बन गया और नाम हो गया गोस्वामी तुलसीदास !

“तुलसी-तुलसी सब कहे, तुलसी बन की घास!
भयी कृपा श्रीराम के तो बन गये तुलसीदास !!

भगवान शिव जी की प्रेरणा से गोस्वामी तुलसीदास जी ने श्रीराम नवमी के दिन से मानस की रचना प्रारंभ किये और दो वर्ष सात महीने छब्बीस दिन बाद श्रीराम सीता विवाह दिन ग्रन्थ पूरा हुआ और इस मानस का नाम श्रीराम चरित मानस रखा गया। काशी विश्वनाथ मंदिर में मानस को रखा गया।

प्रात: श्रीराम चरित मानस के प्रथम पन्ने पर सत्यम शिवम सुन्दर लिखा हुआ मिला। भगवान शंकर ने मानो हस्ताक्षर कर गोस्वामी तुलसीदास जी कृत मानस को अमर बना दिया।। इस कार्यक्रम में साध्वी कोमल महाराज, रमा शास्त्री, पं सुरेन्द्र शर्मा, चंदन विश्वकर्मा, सुनीता वर्मा, कविता गुप्ता, उषा बंसल, संदीप सिंह, पूजा रानी, रेशमा, भिरी आदि उपस्थित रहे। कार्यक्रम के अंत में श्रीरामायण जी की आरती पश्चात प्रसाद वितरण किया गया।

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