Ambala News | अंबाला । गांधी मेमोरियल नेशनल कॉलेज, अंबाला छावनी में आज सी आर सी यूनिट द्वारा कॉलेज के रिसर्च एवं डेवलपमेंट सेल के सहयोग से “कॉपीराइट: नैतिक विचार” विषय पर व्याख्यान का आयोजन किया गया। कार्यक्रम में महर्षि दयानंद विश्वविद्यालय के फैकल्टी ऑफ फार्मास्यूटिकल साइंसेज एवं रिसर्च एंड डेवलपमेंट विभाग के डीन प्रो (डॉ) हरीश धुरेजा बतौर विशेषज्ञ शिरकत की।
कॉलेज प्राचार्य डॉ रोहित दत्त ने मुख्य वक्ता का कार्यक्रम में स्वागत किया एवं वहां उपस्थित सभी विद्यार्थियों को उनकी उपलब्धियों से रूबरू करवाया। तत्पश्चात मुख्य वक्ता प्रो (डॉ) हरीश धुरेजा ने चर्चा के विषय पर प्रकाश डालते हुए बताया कि भारत में कॉपीराइट, बौद्धिक संपदा संरक्षण का एक रूप है जो कॉपीराइट अधिनियम, 1957 के तहत दिया गया है।
कॉपीराइट अधिनियम, 1957 कानून देशभर में लागू
यह कानून देशभर में लागू है। कॉपीराइट, साहित्यिक, नाटकीय, संगीत, और कलात्मक कार्यों के रचनाकारों को दिया गया कानूनी अधिकार है। वेबसाइट और सॉफ्टवेयर को भी कॉपीराइट किया जा सकता है। पेटेंट, ट्रेडमार्क, चिन्ह और व्यापार रहस्य, बौद्धिक संपदा अधिकार के सबसे आम उदाहरण हैं।
कॉपीराइट में शामिल “अधिकारों का समूह” में सम्मिलित अधिकार हैं- कार्य वितरित करना, कार्य को पुन: प्रस्तुत करना, कार्य को प्रदर्शित करना उदाहरण के लिए, एक पेंटिंग जिसे आप संग्रहालय को सार्वजनिक रूप से प्रदर्शित करने की अनुमति देना चाहते हैं, कार्य का प्रदर्शन करना और मूल कार्य।
विषय की बारीकियों को समझते हुए मुख्य वक्ता ने बताया कि कॉपीराइट एक नैतिक मुद्दा है क्योंकि इसमें निष्पक्षता, समानता और रचनात्मक व्यक्तियों के साथ नैतिक व्यवहार जैसे बुनियादी प्रश्न शामिल हैं। अनैतिक कॉपीराइट प्रथाओं का सबसे तात्कालिक परिणाम प्रतिष्ठा को गंभीर क्षति पहुंचना है।
नैतिक सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए, अपने कार्य को पंजीकृत करें, उपयोग की शर्तों को स्पष्ट रूप से बताएं, तथा उचित उपयोग सिद्धांतों का ध्यान रखें। चर्चा के अंत में कार्यक्रम में उपस्थित विद्यार्थियों ने मुख्य वक्ता से प्रश्न पूछे एवं सांत्वना जनक उत्तर प्राप्त किए।
सी आर सी यूनिट की संयोजिका डॉ भारती सुजान, प्रशिक्षण और प्लेसमेंट अधिकारी प्रो श्याम रहेजा एवं प्रो कमलप्रीत कौर, रिसर्च एंड डेवलपमेंट सेल के संयोजक डॉ कुलदीप यादव ने मुख्य वक्ता को स्मृति चिह्न देकर कार्यक्रम में आने के लिए आभार व्यक्त किया। इस व्याख्यान से लगभग 50 से भी अधिक विद्यार्थी लाभान्वित हुए।