Amazing Story
परवीन वालिया,करनाल :
जहां अक्सर लोग घरों व दुकानों से चूहों को पकडऩे के लिए कई तरह के जाल बिछाते हैं, पिंजरों का इस्तेमाल करते हैं ताकि चूहें उसमें फंस जाएं और कई लोग तो उन्हें दवाई देकर मारते भी हैं। यूं कहिए की चूहों से तो हर कोई निजात पाना चाहता है। लेकिन एक शख्स ऐसा भी है जो प्रतिदिन सैंकड़ों चूहों को भोजन भी करवाता है, उनके सिर पर हाथ भी फेरता है। चूहें उसके ईद-गिर्द पैरों में घूमते रहते हैं। चूहे तो मानों जैसे उसके दोस्त बन गए हैं। इस शख्स का नाम है इंदल सिंह। जिसने सरहदों पर तैनात होकर 23 साल तक देश की सेवा की है।
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बता दें कि इंदल सिंह की एक आवाज पर सैंकड़ों चूहे बिलों से बाहर आ जाते हैं और खड़े होकर कैसे उसके हाथों से खाना मांगते हैं यह देख हर कोई अचम्भित हो जाता है। इंदल सिंह इस समय करनाल में सिक्योरिटी गार्ड हैं। रात्रि सात बजे इनकी डयूटी शुरू हो जाती है। कुंजपुरा रोड पर स्थित मुख्य डाकघर के निकट बरामदे में ही जहां यह बैठकर डयूटी देते हैं वहीं सामने पीपल का पेड़ है जिसकी जड़ों में चूहों ने बिलें बना रखी हैं। लेकिन डयूटी पर आने से पहले यह शख्स घर से रोजाना बीस रोटियां व खिल्ले व कुछ मिष्ठान चूहों के लिए लेकर आता है। खिल्लें व अन्य मिष्ठान चूहों को सारी रात परोसता है। चूहें भी इसकी एक आवाज से पीपल के पेड़ के नीचे बनी बिलों से निकल कर बाहर आ जाते हैं। यह नजारा शुरू होता रात को 7 बजे के करीब जब इंदल सिंह डयूटी पर आता है।
चूहे कैसे इंदल सिंह के हाथों से खड़े होकर भोजन का निवाला लेकर बिल में वापस चले जाते हैं, खाकर फिर आ जाते हैं। रोटी देने के बाद वह मिष्ठान व खिल्लों का प्रशाद भी उन्हें खिलाता है। इस तरह रात भर चलता है चूहों के लिए खान पान। सैंकड़ों चूहे बड़े चाव से उसके हाथों से निवाला लेकर खाते देखे जा सकते हैं। चूहे इंदल सिंह की आवाज से ही बिलों से बाहर आते हैं। सिर्फ इंदल सिंह जब बरामदे में बैठकर रात को डयूटी करता है तो चूहे उसके पास बेखौफ उसके पैरों पर चढक़र खेलते रहते हैं।
इंदल सिंह ने बताया कि व चूहों को बच्चों से भी ज्यादा प्यार करता है। उसने कहा कि पहले उसने 23 साल तक सरहदों पर रहकर देश सेवा की है। अब वह इन चूहों की सेवा कर रहा है। उसका कहना है कि प्यासे को पानी व भूखे को खाना खिलाना पुण्य का कार्य है। उसका कहना है कि चूहे तो इंसान के पास फटकते भी नहीं हैं, डरते हैं, लोग भी चूहों से घृणा करते हैं और इन्हें पिंजरों में पकड़ पर बाहर छोडक़र आते हैं व मार भी देते हैं। वह कहता है कि चूहों की सेवा करने से उसे सकून मिलता है। वह कहता है चूहे तो गणेश की सवारी हैं। उसका कहना है ये बोलकर बता नहीं सकते लेकिन भूख तो इन्हें भी लगती है। उसने कहा जब तक जिंदगी रहेगी इनकी इसी तरह सेवा करता रहूंगा।
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