Aaj Samaj (आज समाज), Allahabad High Court Orders, नई दिल्ली। उत्तर प्रदेश के वाराणसी स्थित काशी विश्वनाथ-ज्ञानवापी स्थल के मालिकाना हक को लेकर चल रहे विवाद के बीच इलाहाबाद हाई कोर्ट ने मंगलवार को 1991 के मामले की सुनवाई की इजाजत देकर मुस्लिम पक्ष को बड़ा झटका दिया। कोर्ट ने उन याचिकाओं को खारिज कर दिया, जिसमें ज्ञानवापी मस्जिद से जुड़े स्वामित्व विवाद को चुनौती दी गई थी।
- मस्जिद से जुड़े स्वामित्व विवाद को दी गई थी चुनौती
मुस्लिम पक्ष की ओर से दायर की गई थीं याचिकाएं
उत्तर प्रदेश सुन्नी सेंट्रल वक्फ बोर्ड और अंजुमन इंतजामिया मस्जिद कमेटी (एआईएमसी) यानी मुस्लिम पक्ष की ओर से इस संबंध में याचिकाएं दायर की गई थीं। जस्टिस रोहित रंजन अग्रवाल की पीठ ने याचिकाओं पर सुनवाई करते हुए कहा कि यह मामला देश के दो प्रमुख समुदायों को प्रभावित करता है। पीठ ने वाराणसी जिला ट्रायल कोर्ट को छह महीने के भीतर मामले पर निर्णय लेने का निर्देश दिया। हिंदू पक्ष के वादी के अनुसार, ज्ञानवापी मस्जिद, मंदिर का एक हिस्सा है। हालांकि, मुस्लिम पक्ष का तर्क यह है कि मुकदमा पूजा स्थल अधिनियम द्वारा निषिद्ध है।
1991 से चल रही कानूनी लड़ाई
दरअसल, वर्ष 1991 में आदि विश्वेश्वर महादेव की ओर से उनके मित्रों ने एक याचिका दायर की थी। वाराणसी कोर्ट में दायर याचिका में ज्ञानवापी परिसर पर हिंदुओं का दावा किया गया था। इसमें कहा गया था कि आदि विश्वेश्वर महादेव मंदिर को तोड़कर मस्जिद का निर्माण किया गया है। इसलिए, इसे हिंदुओं को वापस दे दिया जाए। हिंदू पक्ष ने पूजा- पाठ की मंजूरी मांगी थी। इसके खिलाफ मुस्लिम पक्ष हाई कोर्ट चला गया।
1991 में पारित प्लेसेज आफ वर्शिप एक्ट का हवाला दिया
1991 में पारित किए गए प्लेसेज आफ वर्शिप एक्ट का हवाला देते हुए मस्जिद किसी प्रकार के दावे और केस की पोषणीयता पर सवाल खड़े किए गए। पिछले 32 वर्षों से इस केस पर सुनवाई होगी या नहीं, यह मामला झूलता रहा। अब इलाहाबाद हाईकोर्ट ने इस पूरे मामले की सुनवाई का आदेश जारी कर मुस्लिम पक्ष को बड़ा झटका दिया है। इस आदेश के तहत वाराणसी कोर्ट में अब 1991 के केस का ट्रायल शुरू होगा।
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