आज समाज, नई दिल्ली: Allahabad High Court: इलाहाबाद हाई कोर्ट ने नाबालिग बच्ची के साथ रेप की कोशिश के मामले में अहम टिप्पणी की है। इलाहाबाद HC ने कहा कि नाबालिग का स्तन पकड़ना, पायजामे का नाड़ा तोड़ना, उसे पुलिया के नीचे खींचना, रेप या रेप का प्रयास नहीं, यौन उत्पीड़न माना जाएगा।

रेप की कोशिश के आरोप के लिए साबित करना होगा कि यह तैयारी के चरण से आगे गया था। अपराध की तैयारी और प्रयास के बीच अधिक दृढ़ संकल्प का अंतर है। इस आधार पर जस्टिस राम मनोहर मिश्र ने आरोपियों की रिव्यू याचिका आंशिक रूप से स्वीकार कर ली।

न्यायमूर्ति राम मनोहर नारायण मिश्र की एकल पीठ ने कासगंज के स्पेशल जज पोक्सो कोर्ट के समन आदेश को संशोधित कर दिया है। कोर्ट ने कहा कि दुष्कर्म के आरोप में जारी किया गया समन विधि सम्मत नहीं है और नए सिरे से सुनवाई का आदेश दिया है।

जानें पूरा मामला

यह मामला एटा के पटियाली थाने का है, जहां कुछ साल पहले 11 साल की बच्ची के साथ रेप की कोशिश हुई थी। आरोपियों आकाश, पवन और अशोक के खिलाफ IPC की धारा 376 और पोक्सो एक्ट की धारा 18 के तहत मुकदमा दर्ज किया गया था।

यह यौन उत्पीड़न का मामला

हाई कोर्ट ने निर्देश दिया है कि आरोपियों के खिलाफ IPC की धारा 354-B (निर्वस्त्र करने के इरादे से हमला) और पोक्सो एक्ट की धारा 9/10 (गंभीर यौन हमला) के तहत मुकदमा चलेगा। कोर्ट ने स्पष्ट किया कि यह रेप का मामला नहीं है, बल्कि यौन उत्पीड़न का मामला है। कोर्ट के इस फैसले पर कानूनी विशेषज्ञों ने कहा है कि इससे रेप और यौन उत्पीड़न के मामलों को लेकर कानूनी स्थिति और स्पष्ट हो गई है।

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